टेलीकाम टावर बैठाने के खेल में गाव गांव में धोखाधड़ी!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
टेलीकाम के बिना अब किसी का काम नहीं चलता इस सूचना महाविस्फोट के जमाने में हर हाथ में काम हो या न हो, हर पेट में भोजन हो या न हो, देश में सूचना क्रांति के जरिये हर हाथ में मोबाइल है। माबाइल सेवा के विस्तार के साथ साथ गांव गांव लगने लगे हैं टेलीफोन टावर।
ऐसे टावर घने आबादी वाले शहरी और ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर लगाये ही जाते हैं। पर तेलीकाम टावर लगाने के बहाने आम लोगों से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी भी हो रही है। ऐसे लोगों के साथ जो अपनी जमीन या मकान पर टेलीकाम टावर लगाकर अतिरिक्त आमदनी का सपना देखते हैं।
ऐसे टावर लगवाने के मामले में चेलीकाम कंपनियों से सौदा तय करने के लिए बिचौलिये काम करते हैं। जो टावर लगाने के बहाने बड़ी रकम पेशगीअपने मुवक्वल से वसूलते हैं।
टावर लग गया तो भला हो गया। ऐसा अक्सर ही नहीं होता। अतिरिक्त आमदनी की जगह ठगे जा रहे हैं लोग। लेकिन इस धंधे का कोई नियमन न होने से इस धोखाधड़ी को रोकने का कोई इतंजाम नहीं है।
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