लोकतन्त्र में चली उल्टी बयार, सुदामा के दर पर कृष्ण
सुदामा और कृष्ण की दोस्ती के किस्से तो सारे जग में मशहूर हैं। सुदामा गरीब ब्राह्मण थे और कृष्ण के बचपन के साथी थे। सुदामा की गरीबी से आजिज आकर एक दिन उनकी पत्नी ने झिड़का कि तुम गरीबी में जी रहे हो और तुम्हारे सखा श्री कृष्ण राजा हैं, उनके पास जाकर अपनी गरीबी दूर क्यों नहीं करते। तोसुदामा ने अपनी पत्नी को उत्तर दिया कि "औरन को धन चाहिये बावरी/ बाभन को धन केवल भिच्छा"। लेकिन पत्नी के हठ में सुदामा कृष्ण के दर पर जा पहुँचे।
बहरहाल कलियुग में लोकतन्त्र आया तो इसी मुल्क में नारे लगे "तिलक, तराजू और तलवार/ इनके मारो जूते चार"। लेकिन विधि का विधान देखिये कि जिन्होंने यह नारा और "बामन ठाकुर लाला चोर/ बाकी सब हैं डीएस फोर" का नारा दिया था वही बामनों के दर पर शीश नवाने पहुँच गये और उनका जय भीम, जय बाम्हन में और "हाथी नहीं गणेश है/ ब्रह्मा, विष्णु, महेश है" में बदल गया।
आज एक अद्भुत घटना हुयी। श्री कृष्ण के वंशज सुदामा के वंशजों के दर पर याचक बन कर पहुँच गये। आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुस्लिम नवयुवकों को रिहा करने के वादे के साथ सत्ता में आई और और अपना वादा निभाने में नाकाम रही सपा सरकार के मुखिया ने पूर्ववर्ती बसपा राज में ब्राह्मणों एवं अन्य सवर्णों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किये जाने का आरोप लगाते हुये नया ऐलान कर दिया कि उनकी सरकार ऐसे सभी मुकदमे वापस ले लेगी।
समाजवादी पार्टी की तरफ से परशुराम जयंती पर आयोजित एक ब्राह्मण सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने कहा कि पिछली सरकार में आप लोगों पर फर्जी मुकदमे लगाये गये थे, आपको जेल भी जाना पड़ा था, मैं आप को आश्वासन देता हूँ कि आप पर लगे फर्जी मुकदमे वापस ले लिए जायेंगे और कई मामले पहले ही वापस लिये जा चुके हैं। उन्होंने ब्राह्मणवाद के विरोध के नारे के खिलाफ जाते हुये कह दिया कि ब्राह्मण समाज हमेशा ही समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलता रहा है और सही अर्थों में समाजवादी है। अखिलेश ने कहा कि सपा सरकार ब्राह्मण समाज के मान सम्मान की रक्षा में कोई कोर कसर नहीं रखेगी और हमेशा उनके साथ खड़ी दिखायी देगी।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये सपा ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष एवं अखिलेश सरकार में राज्य मन्त्री मनोज पाण्डेय ने परशुराम के जन्म स्थान जलालाबाद (शाहजहांपुर) को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की माँग की। ब्राह्मण सम्मेलन को विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय और लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव तथा कई संतों ने भी सम्बोधित किया।
वैसे समाजवादी पार्टी ने दाँव तो सही मारा है। अगर एकमुश्त न भी मिले, सूबे का आधा ब्राह्मण भी सपा के खाते में चला जाये तो 2014 मे सपा की बल्ले-बल्ले हो सकती है। लेकिन सपा की इस राह में कई रोड़े हैं। पहला तो यही कि जिन मनोज पाण्डेय के कँधे पर सपा अपना ब्राह्मण कार्ड खेल रही है उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा न केवल संदिग्ध रही है बल्कि हर बार वह सपा को धकियाकर चले गये हैं और लगभग सभी दलों में परिक्रमा करते रहे हैं। दूसरे मनोज पाण्डेय की हैसियत सूबे के ब्राह्मणों में सिफर है वह केवल रायबरेली जिले के एक छोटे से हिस्से के ब्राह्मणों के नेता हैं, वह भी तब तक जब तक उनका बाहुबली अखिलेश सिंह से विवाद चलता रहे। ऐसे में मनोज पाण्डेय सपा के लिये कुछ खास कर पायेंगे, इसमें सन्देह है। तीसरी बात जिलों में सपा की कमान मुलायम सिंह के जमाने से जिन लोगों के हाथों में है वे सभी घोषित रूप से भयंकर ब्राह्मण विरोधी हैं। समस्या यह है कि युवा मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव अभी तक इन जिला स्तरीय क्षत्रपों से पार नहीं पा पाये हैं और यही क्षत्रप लगातार सरकार की बदनामी का सबब और स्वयं अखिलेश यादव के लिये सिर दर्द बन रहे हैं। ऐसे में अगर पार्टी की जिलों में कमान इन्हीं क्षत्रपों के हाथ में रही तो सुदामा का दिल पसीजने से रहा।
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