नौकरी न मिलने से ३९० युवाओं ने राज्यपाल से किया स्वेच्छा मृत्यु का आवेदन!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
नौकरी न मिलने से ३९०युवाओं ने राज्यपाल से किया स्वेच्छा मृत्यु का आवेदन! प्राईमरी शिक्षकों के ३५ हजार पदों पर नियुक्तियों के लिए इस राज्य में ४५ लाख युवा टेट परीक्षा में बैठे थे। उस अराजकता का आलम हमने देखा है। अब चिटफंड कंपनियों के लाखों एजंटों और फील्डवर्करों को मारे मारे फिरते देख रहे हैं। बेरोजगारी के इस आलम में म़त्यु जुलूसों का नया सिलसिला शुरु होने वाला है और किसी को होश नहीं है।
राज्य में उद्योग धंधे ठप हैं। ऐसे में उनपर क्या बीतती होगी, जो परीक्षाएं पास करके वर्षों से नियुक्ति का इंतजार करते हैं और उम्र बीतती जाती है, हालात नहीं बदलते!
परीक्षा पास करके बाकायदा पब्लिक सर्विस कमीशन के पैनल मे नाम आ जाने के बाद बी इन्हें नियुक्तियां नहीं मिल रही हैं।इसके प्रतिवाद में इन ३९० युवाओं ने शुक्रवार को राज्य के राज्यपाल एम के नारायणन को आवेदन देकर स्वेच्छा से मौत को गले लगाने का आवेदन किया है।इनकी तमाम तरह की मजबूरियां है, जिनका इन्होंने खुलासा भी किया है। नौकरी न मिलने की हालत में इनके लिए जीने की कोई राह नहीं बची है।
दुनियाभर में लाइलाज बीमारियों से पीडित लाखों लोगों को मर्सी किलिंग (दयाभूत प्राणांत) का अधिकार देने पर बरसों से बहस जारी है।लेकिन नौकरी न मिलने की वजह से स्वेच्छा मृत्यु के आवेदन का शायद यह पहला मामला है।इससे पहले बीकानेर पेंशनर्स कल्याण समिति के तत्वावधान में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के पेंशनर्स ने कृषि विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन करते हुए जून, २०१० में स्वेच्छा मृत्यु प्रदान करने की अपील की थी।
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