अयोध्या कर्मस्थली थी इंजीनियर की
अयोध्या (फैजाबाद)। सर्वधर्म सद्भाव केन्द्र, सर्जुकुंज, दुरही कुआ, अयोध्या में अयोध्या की आवाज़ और अवध पीपुल्स फोरम के सयुक्त तत्वाधान में प्रगतिशील सामाजिक चिन्तक एव वैकल्पिक नॉबेल पुरुस्कार (राईट लिविलीहुड) से सम्मानित डॉ. असगर अली इंजीनियर के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया। शोक सभा में युगल किशोर शरण शास्त्री ने इंजीनियर साहब को याद करते हुये कहा कि उनके द्वारा अयोध्या को साझी विरासत का केन्द्र के रूप में पूरे विश्व में पहचान मिलनी चाहिये, क्यों कि यहाँ सभी धर्मों से सम्बंधित स्मारक और धरोहर मौजूद हैं। यदि अयोध्या की साझी विरासत पहचान मजबूत होती है तो साम्प्रदायिक शक्तियों के हौसले पूरे देश में पस्त होंगे। उन्होंने बताया कि 2002 में इंजीनियर साहब ने पहली बार सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अयोध्या में बैठक की थी। उसके बाद से लगातार वो अयोध्या-फैजाबाद में कई बार यहाँ आकर संघर्ष में हम लोगों की सरपरस्ती करते थे।
साकेत महाविद्यालय के डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि उनकी आत्मकथा "लिविंग फेथ" को पढ़ने से ज्ञात होता है कि हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बँटवारे ने उनके जीवन में काफी असर डाला, जिससे उनको सामाजिक दिशा में काम करने की प्रेरणा मिली। अपने संघर्ष के प्रारम्भिक दिनों में असगर साहब मार्क्सवादी विचारधारा से उसकी नास्तिकता के कारण परहेज़ करते थे, किन्तु बाद में मार्क्सवादी विचारधारा ने उनका दिल जीत लिया क्योंकि उनको मार्क्सवादी और इस्लामिक मूल्यों में समानता नज़र आने लगी थी। उन्हें महसूस होता था कि मार्क्सवादी होने के लिये नास्तिक होना ज़रूरी नहीं है। 2008 में साकेत कॉलेज अयोध्या में उन्होंने साम्प्रदायिक और साझी विरासत पर एक हफ्ते की कार्यशाला का आयोजन किया जो काफी सफल रहा था और अयोध्या और आस-पास के जिलों के लोगों को उनके सानिध्य का अवसर मिला था। उनके चले जाने से धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक मूल्यों के लिये काम करने वाले लोगों ने पूरे देश में अपना अभिभावक खो दिया है। शोक की इस घड़ी में हम उनके बेटे और परिवार के साथ हैं।
अब्दुल लतीफ़ ने कहा कि इंजीनियर साहब अपने व्यापक सामाजिक सरोकारों, धार्मिक सुधार पर जोर देने की प्रवृत्ति और साम्प्रदायिकता के खिलाफ अथक संघर्ष ने उनको दाउदी बोहरा समुदाय के नेता से एक अखिल भारतीय व्यक्तित्व प्रदान किया।
आफाक ने कहा कि धार्मिक यथास्थितिवाद और महिलाओं की स्थिति में सुधारों के प्रति प्रगतिशील नज़रिये के कराण उनके ऊपर कई बार व्यक्तिगत हमले भी हुये। फिर भी वो अपनी सोच पर अटल रहे।
इरम सिद्दीकी ने कहा कि हमने डॉ. इंजीनियर के साथ लखनऊ, वाराणसी, भोपाल में आधा दर्जन कार्यशालाओं में उनके साथ भागेदारी की। हमने हमेशा यही पाया कि महिलाओं के प्रति उनके नजरिये में दकियानूसी नहीं थी बल्कि वो महिलाओं के प्रति लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील विचार रखते थे।
शोक सभा में दिनेश सिंह, आजिज़ उल्लाह, डॉ. महादेव प्रसाद मौर्या, गुफरान सिद्दीकी, संजय मिश्र, आलोक निगम, भंते राठ्पला, रामानंद मौर्या, विनय श्रीवास्तव, मो. इमरान, आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। शोक सभा के अन्त में दो मिनट का मौन रखते हुये श्रद्दांजलि अर्पित की गयी।
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