Sunday, May 12, 2013

नवाज़ शरीफ संभालेंगे पाक सत्ता की बागडोर

नवाज़ शरीफ संभालेंगे पाक सत्ता की बागडोर

Sunday, 12 May 2013 10:06

इस्लामाबाद । पाकिस्तान मुस्लिम लीग एन के प्रमुख नवाज शरीफ आम चुनाव में शानदार जीत हासिल की है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग एन के प्रमुख नवाज शरीफ आम चुनाव में शानदार जीत हासिल कर ऐसे समय में पाकिस्तान की सियासत के केंद्र में आए हैं जब देश लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार से लेकर तालिबानी आतंकवाद जैसी विकट समस्याओं से घिरा है । 
प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किए जाने , गिरफ्तारी और अपमानजनक तरीके से सउदी अरब में निर्वासन पर भेजे जाने के 13 साल बाद शरीफ ने ऐतिहासिक आम चुनाव में अपनी जीत का ऐलान कर दिया है । 
कई पहलुओं से देखा जाए तो विश्लेषक शरीफ की वापसी को पाकिस्तान में धीरे धीरे राजनीति और लोकतंत्र के परिपक्व होने के रूप में देख रहे हैं जिस पर 66 साल के इतिहास में आधे से अधिक समय तक सेना का शासन रहा है । 
ये शक्तिशाली सेना के साथ शरीफ के रिश्ते ही हैं जो विदेश और सुरक्षा नीतियों पर एजेंडा तय करते हैं जिनसे कुल मिलाकर देश का भविष्य तय होगा। 
संसद की 272 सीटों के लिए हुए चुनाव में पीएमएल एन 125 से अधिक सीटों पर कब्जा जमाने जा रही है और चुनाव के अंतिम दौर में इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ के उभार के मद्देनजर पीएमएल एन का प्रदर्शन उम्मीदों से अधिक बेहतर रहा है । 
पीएमएल एन अब आराम से गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच चुकी है और शरीफ अभूतपूर्व रूप से तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं । 
लेकिन शरीफ ऐसे समय में सत्ता में वापसी कर रहे हैं जब पाकिस्तान कई समस्याओं का सामना कर रहा है जिनमें बढ़ता चमरपंथ, देश के पश्चिमोत्तर हिस्से में तालिबान की बढ़ती मजबूती , चारों तरफ फैला भ्रष्टाचार , युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से विदेश बलों की वापसी से पूर्व अमेरिका के साथ तनावपूर्ण रिश्ते और एक ऐसी अर्थव्यवस्था शामिल है जिसमें पिछले कई सालों से गिरावट का दौर जारी है । 
वह पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भारत Þ पाकिस्तान संबंधों को वहां से शुरू करना चाहते हैं जहां 1999 में तख्तापलट के समय पर ये संबंध थे । 
भारत के 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण के जवाब में परमाणु परीक्षण करने के बाद शरीफ ने अपने तत्कालीन भारतीय समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के साथ संबंधों को सुधारने के लिए काम किया था। 
बीती रात मीडिया से बातचीत में शरीफ ने कहा था कि उन्होंने मुशर्रफ द्वारा अपदस्थ किए जाने से पूर्व भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। 
उन्होंने कहा, '' हम डोर को वहीं से पकड़ेंगे जहां हमने छोड़ा था। हम कश्मीर समेत बाकी बचे मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए भारत के साथ बेहतर रिश्तों की ओर बढ़ना चाहते हैं ।''
शरीफ ने दर्शाया है कि वह इन मुद्दों से निपटने के लिए अन्य राजनीतिक बलों के साथ काम करने के इच्छुक हैं । उन्होंने बीती रात यह भी कहा कि पाकिस्तान के समक्ष मौजूद समस्याओं के हल का रास्ता तलाशने के लिए सभी राजनीतिक दलों को पीएमएल एन के साथ मिल बैठकर काम करना चाहिए। 
हालिया दिनों में शरीफ ने पाकिस्तान तालिबान से भी शांति वार्ता का आह्वान किया था। संगठन पर चुनाव प्रचार के दौरान बहुत से लोगों को निशाना बनाने का आरोप है । 
विश्लेषकों का यह भी मानना है कि जल्दबाजी से काम लेने वाले शरीफ निर्वासन और सत्ता से बाहर रहने के कारण परिपक्व हो गए हैं । 
कई विश्लेषक कहते हैं कि इसी परिपक्वता की वजह से शरीफ ने पीपीपी की अगुवाई वाली सरकार को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का मौका दिया । हालांकि वह इस स्थिति में थे कि चाहते तो उलटफेर कर सकते थे । माना जा रहा है कि ऐसा उन्होंने सिर्फ पाकिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए किया। 
एक स्तंभकार फरूख पिताफी ने पे्रट्र से कहा,'' वह एक व्यावहारिक राजनेता हैं जो यह समझते हैं कि वह सेना के महत्व को कम नहीं कर सकते । उन्हें साथ काम करना सीखना होगा।''

उन्होंने कहा, '' अवधारणा यह है कि असैनिक सरकार और सेना मिलकर काम नहीं कर सकती , यह पूरी तरह गलत है । सेना एक अहम संस्थान है जो यह समझती है कि उसने प्रत्येक निर्वाचित सरकार के साथ काम करना होगा।''
उधर देश के सर्वाधिक आबादी वाले पंजाब प्रांत में भी पीएमएल एन सत्ता में लौटी है जहां से संसद के निचले सदन की आधे से अधिक सीटें आती हैं । अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में इमरान खान की पार्टी के सत्ता में आने और सिंध में पीपीपी के सरकार बनाने के मद्देनजर शरीफ के लिए अंतर प्रांतीय संबंधों से निपटने में भी शरीफ को महारत दिखानी होगी। 
शरीफ ने नयी ढांचागत परियोजनाओं , बलुेट ट्रेन और प्रमुख राजमार्गो के निर्माण का वादा किया है । विश्लेषकों का कहना है कि शरीफ को इन परियोजनाओं के लिए धन जुटाने में भी भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।

 

नवाज शरीफ तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की ओर

इस्लामाबाद-लाहौर । शुरूआती चुनावी नतीजों में दूसरे दलों पर बड़ी बढ़त हासिल करने वाली पीएमएल-एन पार्टी के नेता नवाज शरीफ तीसरे बार देश का प्रधानमंत्री बनने की ओर बढ़ रहे हैं। शरीफ पूर्व में सैन्य तख्तापलट का शिकार बन थे और उन्हें देश से निर्वासित कर दिया गया था, इस जीत से दोबारा उनकी शानदार वापसी हुई है।
आधिकारिक नतीजे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं लेकिन टीवी चैनलों के अनुसार किसी भी दल को 342 सदस्यीय नेशनल एसेंबली में 172 सीटों का साधारण बहुमत हासिल नहीं होगा।
जियो टीवी की खबर के अनुसार शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन :पीएमएल-एन: 126 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ :पीटीआई: 34 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी खराब प्रदर्शन करते हुए अब तक केवल 32 सीटों पर आगे दिखायी दे रही है।
पीएमएल-एन के सत्ता में आने की पूरी संभावना है। तालिबान की धमकियों और हिंसा से प्रभावित आम चुनाव में लाखों लोगों ने मत डाले। देश के 66 साल के इतिहास में एक असैन्य सरकार के कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी असैन्य सरकार के चयन के लिए हुए पहले चुनाव में हिंसा में 24 लोग मारे गए।
शरीफ ने कल देर रात गृहनगर लाहौर में अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी की जीत का दावा किया और लोगों से कहा कि वह उनकी पार्टी को 'पूर्ण बहुमत' मिलने की दुआ करें ताकि उन्हें एक कमजोर गठबंधन का नेतृत्व ना करना पडेÞ।
उन्होंने कहा, ''नतीजे अभी आ ही रहे हैं लेकिन यह बात तय है कि पीएमएल-एन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।''
शरीफ ने कहा, ''मैं आपसे यह दुआ करने के लिए कहता हूं कि सुबह आने वाले नतीजों में पीएमएल-एन को बिना किसी बाहरी समर्थन के सरकार बनाने का मौका मिले और पार्टी को किसी और का समर्थन ना जुटाना पड़े।''
शरीफ ने चुनावी प्रचार के दौरान किए गए वादों को निभाने की भी बात कही। इनमें बिजली संकट, अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने और भ्रष्टाचार से निपटने के वादे शामिल हैं।
विश्लेषकों के अनुसार पीएमएल के अच्छे प्रदर्शन से शरीफ को निर्दलीय उम्मीदवारों और जमीयत उलेमा ए इस्लाम जैसी छोटी दक्षिणपंथी पार्टियों के समर्थन से केंद्र में सरकार के गठन में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने पीटीआई से कहा कि पीएमएल-एन को सरकार के गठन के बाद पीपीपी के साथ काम करने से गुरजे नहीं होगा क्योंकि पार्टी नेता, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के साथ गठबंधन करने को उत्सुक नहीं हैं।
साधारण बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन के पास नेशनल एसेंबली में 137 सीटें होनी चाहिए। नेशनल एसेंबली की 342 सीटों में से 272 के लिए चुनाव हुए थे और बाकी 70 सीटें महिलाओं और गैर मुस्लिमों के लिए आरक्षित हैं जिन्हें चुनाव में दलों के प्रदर्शन के आधार पर उनमें वितरित किया जाएगा। (भाषा)

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