हो जाएगी फांसी :-तय हो गया कि यकूब मेमन को फांसी होगी ।
देश की उच्चतम न्यायालय ने उसकी क्युरेटिव पेटीशन खारिज कर दी । मुझे इस पर कोइ टिप्पणी नही करनी है ! दोष सिद्ध होजाने पर दंड मिलना ही चाहिये,
किन्तु मेरा प्रश्न है , हमारे देश की पूरी व्यवस्था से कि क्या उनका दोष भी सिद्ध होसकेगा ? उनको भी कोइ फ़ांसी दे सकेगा ?
जिन्हों ने हमरी मूलनिवासी बहनों का सामूहिक बलात्कार करने के पश्चात उनको जीवित जला दिया !
जिन्हों ने हमारे मूलनिवासीयों को ट्रेक्टर चढा कर मार डाला !
जिन्हों ने ८४ के द्ंगों में हमारे सिख भाइयों को तलवार की नोक पर रख लिया !
जिन्होंने गुजरात में मुस्लिम मूलनिवासी बहनों का पेट फ़ाडकर वच्चे निकाल लिये और जला दिया !
जिन्होंने गुजरात में मुस्लिम मूलनिवासी बहनों के गुप्तांग से तलवार डालकर मुंह से निकाल
लिया !
जिन्हों ने एक साथ ६७ आदिवासियों को जिन्मे बालक भी थे को भून डाला !
जिन्होंने मज़दूरी मांगने पर एक मूल निवासी को चारा काटने की मशीन में ज़िन्दा डाल दिया !
प्रश्न अनंत हैं कोइ कहां तक कहे !
और जिन पर गुजरी है ये प्रश्न उनके सीने में अग्नि के उलाव जैसा सदैव रहेगा !
यदि व्यवस्था और न्याय तंत्र में सब की उचित भागीदारी होती तो न्याय की वर्तमान परिभाषा कुछ अलग होती और वही दोषमुक्त होता !
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