अगर इस पृथ्वी पर युयत्सा न होती , तो कलाम जैसा मेधावी , समर्पित और निष्ठावान विज्ञानी पानी को बचाने और बढ़ाने अथवा ओजोन परत की छीजत रोकने के उपाय ढूंढता । लेकिन हम युद्ध पिपासुओं ने उन्हें और उन जैसे कईयों को मारक आयुधों के निर्माण में झोंक दिया । धिक्कार है हमें । गाय को कुकर की तरह कटखना बना देते हैं हम । और ऑक्सीजन को ज़हरीली गैसों में बदलते हैं । सचमुच हम भस्मासुर हैं ।
अगर इस पृथ्वी पर युयत्सा न होती , तो कलाम जैसा मेधावी , समर्पित और निष्ठावान विज्ञानी पानी को बचाने और बढ़ाने अथवा ओजोन परत की छीजत रोकने के उपाय ढूंढता । लेकिन हम युद्ध पिपासुओं ने उन्हें और उन जैसे कईयों को मारक आयुधों के निर्माण में झोंक दिया । धिक्कार है हमें । गाय को कुकर की तरह कटखना बना देते हैं हम । और ऑक्सीजन को ज़हरीली गैसों में बदलते हैं । सचमुच हम भस्मासुर हैं ।
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