Tuesday, July 28, 2015

मज़दूर बिगुल का जुलाई 2015 अंक


(मज़दूर बिगुल के जुलाई 2015 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

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संपादकीय

"अच्छे दिनों" की असलियत पहचानने में क्या अब भी कोई कसर बाक़ी है?

कारखाना-बस्तियों से

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी इलाक़े में साम्प्रदायिक माहौल बनाने में फि़र सक्रिय हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

मालवणी शराब काण्ड ने दिखाया पुलिस-प्रशासन-राजनेताओं का विद्रूप चेहरा / विराट

महत्‍वपूर्ण

नयी समाजवादी क्रान्ति के तूफान को निमंत्रण दो! सर्वहारा के हिरावलों से अपेक्षा है स्वतंत्र वैज्ञानिक विवेक की और धारा के विरुद्ध तैरने के साहस की!

अख़बार और मज़दूर / अन्‍तोनियो ग्राम्‍शी

कौशल विकास: मज़दूरों के लिए नया झुनझुना और पूँजीपतियों के लिए रसमलाई / तपिश

झुग्गियों में रहने वालों की ज़िन्दगी का कड़वा सच: विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए मेहनतकशों के घरों की आहुति! / सिमरन

लाइलाज मर्ज़ से पीड़ित पूँजीवाद को अज़ीम प्रेमजी की ख़ैरात की घुट्टी / अखिल

चुनावबाज़ पार्टियों के खोखले वादों को पहचानना होगा और आम मेहनतकश जनता को आगे की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा!

दमन तंत्र

हिमाचल प्रदेश स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मण्डी में हुए गोलीकाण्ड पर एक रिपोर्ट

खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!

इतिहास

समाजवादी रूस और चीन ने नशाख़ोरी का उन्मूलन कैसे किया / तजिन्‍दर

मज़दूरों की कलम से

साहब! एक बात पूछूँ?

मज़दूरों की कलम से दो पत्र

आन्‍दोलन/जनकार्रवाइयां

आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने किया दिल्‍ली विधान सभा का घेराव

चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर / अखिल

पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट की नर्सों की हड़ताल

संशोधनवाद

यूनानी जनता में पूँजीवाद के विकल्प की आकांक्षा और सिरिज़ा की शर्मनाक ग़द्दारी / आनन्‍द

महान शहीद

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के कमाण्डर, देश के सच्चे क्रान्तिकारी सपूत, आज भी सच्ची आज़ादी और इंसाफ़ के लिए लड़ रहे हर नौजवान के प्रेरणास्रोत चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवस (23 जुलाई) के अवसर पर

 

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'मज़दूर बिगुलका परिचय

मित्रो,

'मज़दूर बिगुलदेश की उस 80 करोड़ मेहनतकश आबादी की आवाज़ है जिन तक मुख्‍यधारा के मीडिया की निगाहें कभी पहुँचती ही नहीं। यह इस देश के मेहनतकशों की ज़ि‍न्‍दगीउनके सपनों और संघर्षों की तस्‍वीर पेश करता हैऔर मेहनतकशोंसंवेदनशील युवाओं और जागरूक नागरिकों के सामने इस दमघोंटू अन्‍यायपूर्ण सामाजिक ढाँचे का विकल्‍प पेश करता हैअपने हक़ों के लिए लड़ने और जीतने के लिए ज़रूरी ज्ञान और समझ से उन्‍हें लैस करने की कोशिश करता है। पूँजीवादी मीडिया की लीपापोती और पर्देदारी को भेदकर यह देश और दुनिया की तमाम महत्‍वपूर्ण आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक घटनाओं का बेबाक विश्‍लेषण प्रस्‍तुत करता है और निराशा के बादलों को चीरकर उम्‍मीद और हौसले की रोशनी दिखाने वाली साहित्यिक और वैचारिक कृतियों से उन्‍हें परिचित कराता है। अगर आप हर महीने 'मज़दूर बिगुलप्राप्‍त नहीं कर रहे हैंतो आप इस महादेश के अतीतवर्तमान और भविष्‍य के बेहद ज़रूरी पहलुओं को जानने से ख़ुद को वंचित कर रहे हैं।

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