मटन शाँप में जिस तरह बकरे कटे और लटकाये दिखते है . और कोई नही पुछता कि क्यो मारा इसे ? बस आज यही हाल है पुरे देश में आदिवासी वो का है. बिजापुर में बीज पुजा के लिये जमा हुये आदिवासियो पर CRF के जवानोंने गोलीबारी कर आठ लोगो की हत्या की उस मेँ तीन मासुम बच्चे थे . लोग इतने डरे हुये थे कि लाशे महिलायें ढोके लाई है. एक भी अखबार या मिडिया के लिये ये बडी या छोटी खबर नही थी ? वो तो मँचफिक्सिगं मे व्यस्त है. मुझे लग रहा कि मिडिया और CRPF , पुलिस को गीता का वो डोस पिलाया गया है . जिस में कृष्ण कहता है कि " मैँने इन्ह सबको पहले ही मार दिया है इनका जिंदा दिखना बस वहम है .तुम्हे ईन्हे मारना बस नाममात्र है . मत देखो भाई ,मामा , चाचा, दादा , अर्जुन अपना कर्तव्य करो " .छोटे ,बडे, बेगुनाह मार दो मार दो पुंजीपती ,साम्राज्यवादियो के आधुनिक अर्जून ये आदिवासी युगो से मरे है. मार दो अर्जून मार दो और मिडिया के द्रोणाचार्यो मत लिखो . बुध्दिजिवी यो आप इनका पक्ष मत लो . जो पहले से मरे है उनका थोडी मातम होता है . वो तीन बच्चे दिल्ली,मुंबई के होते तो ? छोडो यार स्कोर क्या हुआ भाई....................
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