दवा-दारू-दंगा-देशद्रोह (चच्चा और बच्चा – भाग 1)
उत्तर प्रदेश में कहीं फ़ैज़ाबाद-लखनऊ के पास गांव और शहर की सीमा पर किसी चाय की दुकान पर चच्चा और बच्चा बैठे हैं, हाथ में आज का अख़बार है…पहले पन्ने पर बाईं ओर तीस्ता सेतलवाड़ की तस्वीर के साथ एक ख़बर है, जिसे आप भी तस्वीर में देख लीजिएगा…बस चच्चा और बच्चा में बहस शुरु हो जाती है…और बहस में तो जीत धर्म की ही होनी है…
चच्चा – यार…वो तुम्हारी वो…क्या नाम है…वो तो चोर है यार…बताओ एनजीओ के पैसे की दारू पी गई…मुर्गा खा लिया…और वो डेबिट कार्ड से करो़ड़ों की कॉस्मेटिक्स खरीद ली…
बच्चा – चच्चा…दारू-मुर्गा पाप तो नहीं है…लेकिन हां, ऐसा हुआ है तो ग़लत है…
चच्चा – हां, खुली आंखें…
बच्चा – नहीं चच्चा…आंखें तो पूरी खुली हैं…इसीलिए और बहुत कुछ दिख रहा है…
चच्चा – क्या दिख रहा है?
बच्चा – ये बताइए कि कोई भी शख्स जो दो दशक से भी ज़्यादा समय से संगठन या एनजीओ चला रहा होगा…वो क्या इतना बेवकूफ होगा कि उसी डेबिट कार्ड से और खुलेआम उसी अकाउंट से ये सब खर्च करेगा…
चच्चा – अरे ये वामपंथी बहुत बेसरम हैं…
बच्चा – लेकिन बेवकूफ तो नहीं हैं न…फिर ये सब करने के तो और तरीके हैं न…जैसे बीजेपी-कांग्रेस के नेता लोग करते हैं…और फिर लाखों रुपए के कास्मेटिक्स वगैरह की बात तो हजम ही नहीं होती…
चच्चा – तुमहु लेफ्टिस्ट होते जा रहे हो…
बच्चा – लेकिन जिसकी आप बात कर रहे हैं, वो तो लेफ्टिस्ट है भी नहीं…हां, लेफ्ट का सपोर्ट है…
चच्चा – ये भी तो पाप ही है न…लेकिन करप्ट तो है…
बच्चा – व्यापमं से ज़्यादा…?
चच्चा – ऊ त पलिटिक्स है न…लेकिन ई बताओ फिर ई आरोप काहे लगा है…पुलिस काहे अदालत मा बोली है कि मुर्गा दारू उड़ाए हैं…
बच्चा – चच्चा…पहिली बात तो पुलिस भी मुर्गा दारू में ही ज़्यादा इंट्रेस्टेड रहती है…दूसरा ये कि मेरे लिए ये भी बहुत अहम है कि कौन और किस पर आरोप लगा रहा है…
चच्चा – का मतबल???? कौन किसका किस पर…ई का है…
बच्चा – 2002 में गुजरात का सीएम कौन था…
चच्चा – पता है…पीएम हैं…
बच्चा – दंगे कब हुए…
चच्चा – 2002
बच्चा – किसके लोग थे…
चच्चा – पता है…सब एक ही थे…
बच्चा – केस किसने लड़े…
चच्चा – तुम्हरी समाजसेविका ने…हुंह
बच्चा – कितनों को सज़ा हुई?
चच्चा – 120 को…
बच्चा – इससे पहले कभी किसी दंगे में सज़ा हुई?
चच्चा – काहे होगी…नहीं हुई…
बच्चा – तो सीएम से पीएम बनने पर पहला दुश्मन कौन था…
चच्चा – हां, पता है…
बच्चा – तो निशाना किस पर होगा…
चच्चा – तो वो तो सभी करते हैं….
बच्चा – सीबीआई आज़ाद है?
बच्चा – दारू-मुर्गा आरोप किसने लगाया है?
चच्चा – गुजरात पुलिस
बच्चा – किस पर…पुरानी दुश्मन पर न…
चच्चा – तो…
बच्चा – जब नरोडा पटिया जल रहा था, दंगे हो रहे थे…3 दिन तक कहां थी गुजरात पुलिस…
चच्चा – तो…मुजफ्फरनगर में भी कहां थी…दिल्ली में कहां थी…
बच्चा – बात तो गुजरात पुलिस की हो रही है चच्चा…
चच्चा – हां तो…वही पुलिस अब बेचारे पीड़ितों के साथ धोखा हुआ है…जो उस औरत ने किया है…उस पर बात तो कर रही है न
बच्चा – आंखें भीग गई देख कर कि गुजरात पुलिस को वाकई दंगा पीड़ितों की कितनी चिंता है…!!! वो तो बस रास्ते में जाम लगा होने के कारण 3 दिन तक दंगा प्रभावित इलाकों में नही जा सकी थी..
चच्चा – तो का पुलिस झूठ कह रही है…
बच्चा – क्यों गुजरात पुलिस के खिलाफ उस महिला ने कोर्ट में मामला नहीं उठाया…
चच्चा – तब भी गुजरात पुलिस आरोप लगा रही है, तो क्या इसे नकार दोगे…
बच्चा – तो आरोप कौन लगा रहा है…इसलिए ये बात अहम है…
चच्चा – अरे तो क्या कोई खरीददारी नहीं हुई…
बच्चा – चच्चा कई बार ऑडिट हो गया…सरकार वाले ऑडिटर ने भी कहा कि कोई खरीददारी ट्रस्ट के अकाउंट से नहीं हुई है…बल्कि पर्सनल अकाउंट से हुई है…यार कान खोदने की सलाई और नेल कटर कौन खरीदता है, ट्रस्ट के डेबिट कार्ड से…अरे इतना भी बेवकूफ कोई नहीं होता है…
चच्चा – लापरवाही में हो जाता है…
बच्चा – चच्चा…वो लापरवाह नहीं हो सकती, जो देश के सबसे मज़बूत आदमी के खिलाफ लड़ रही है…न बेवकूफ है…और न सिर्फ अय्याशी में लड़ रही है…
चच्चा – अच्छा…फिर…
बच्चा – अरे…अगर फायदा चाहिए होता, तो पीएम के साथ या साथ वालों के साथ खड़ी होती…इतने साल से कितना फायदा हो जाता…
चच्चा – वो सब तो ठीक है लेकिन ई महिला हिंदुओं के खिलाफ है…मुसलमानों के साथ है…इसका पति भी मुस्लिम है…तभी तो ये बेईमानी कर रही है…
बच्चा – लेकिन चच्चा, इस्लाम में तो शराब हराम है…
बच्चा – चच्चा…अभी तो आप कह रहे थे कि सच्चे आरोप हैं…
चच्चा – अरे आरोप सच्चा हो या झूठा…इसको साली को अंदर जाना चाहिए…अब सही करेगी गुजरात पुलिस…जैसे 2002 में किया था…
बच्चा – चच्चा अब तो आप तर्क से हार गए हो…कॉमन सेंस की बात तो करो…
चच्चा – धर्म के मामले में कोई कॉमन सेंस नहीं…बड़ी चली थी ससुरी पीएम से पंगा लेने…अब समझ आएगा…हिंदुओं के देश में हिंदुओं से गद्दारी…जिस थाली में खाते हैं…उसी में छेद करते हैं…
बच्चा – लेकिन चच्चा…हम लोग तो दारू-मुर्गा पर बात कर रहे थे…
चच्चा – तेल लेने गया दारू और मुर्गा…देशद्रोही है ये औरत…इसको जेल में डालो…सारे एनजीओ चोर हैं…
बच्चा – अरे चच्चा सुनो तो…
चच्चा – जावत हैं पउआ लेने…टाइम हो गया है…और हां, सुनो ऊ आए घर पर तो कहिना कि पूजा करे गए हैं…चच्ची दिखें तो कहना मुर्गे का सालन गाढ़ा रखें…नहीं फिर खाएंगी पिटाई…और सुनो…थोड़ा बहस उहस कम करो…बजरंग दल का साखा उखा लग रहा है गांव में बहुत पेले जाओगे…
मयंक सक्सेना
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