मौका आने पर जिस कसी की पूंछ उठायी गयी, वह कुछ और निकला!
सरकार जायेगी भी तो कांग्रेस की जगह भाजपा आयेगी और सुधार मुहिम और तेज हो जायेगी। क्योंकि तीसरे मोर्चे के तमाम क्षत्रप अपने अपने अतीत और महत्वांकाक्षाओं में कैद हैं। पालाबदल तो रिवाज है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
डीजल की दरों में वृद्धि और रसोई गैस सिलेंडर पर अनुदान की सीमा तय करने के विरोध में 20 सितंबर को भारत बंद रहेगा। वाम दलों ने 20 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। इसके साथ सपा, टीडीपी और बीजद ने बंद का समर्थन कर दिया है। इसके बाद राजग ने भी बंद में साथ आने की घोषणा कर दी। भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार के फैसले से देश को सिर्फ सेल्स ब्वाय और गर्ल्स मिलेंगे। बीजद और डीएमके ने भी बंद का समर्थन किया है।सपा संसदीय दल की गुरुवार को बैठक होगी। इसमें फैसला किया जाएगा कि केंद्र को समर्थन जारी रखा जाए या नहीं। पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को कहा, 'सरकार ने देश की जनता को दिया ही क्या है?...महंगाई और भ्रष्टाचार! हम 20 सितंबर को विरोध-प्रदर्शन करेंगे।' सरकार की सहयोगी डीएमके की चेन्नई में बुधवार को होने वाली अहम बैठक टल गई। वहीं, बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी चाहते हैं कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
ममता ने समर्थन के लिए रखी 3 शर्तें
1. रियायती दर पर सालभर में 24 सिलेंडर दिए जाएं।
2. डीजल दर में इजाफा पूरी तरह खत्म हो।
3. मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई पर फैसला वापस ले सरकार।
ममता की 5 दलील
1. यूपीए-2 सरकार लगातार जनविरोधी फैसले कर रही है।
2. फैसले से पहले सरकार हमारी पार्टी से चर्चा नहीं करती थी।
3. सरकार का अपने सहयोगी दलों से समन्वय सही नहीं है।
4. हमारे मना करने पर भी सरकार ने फैसले लिए।
5. समर्थन जारी रखा तो पेंशन और बीमा बिल भी आ जाएगा।
पब्लिक इश्यू की अंडरराइटिंग कर, मर्चेंट बैंकिंग सेवाएं देकर और इक्विटी खरीद करके बैंक व अन्य निकाय पूंजी बाजार से फंड जुटाने में एसएमई की मदद कर सकते हैं। -पी. चिदंबरम, वित्त मंत्री
भ्रष्टाचार के किलाफ आंदोलन का गुब्बारा भी फूट गया। ममता बनर्जी का कहना सही है कि कोलगेट को दफा रफा करने के लिए रिफार्म गेट लाया गया, जैस मंडल के खिलाफ कमंडल। सिविल सोसाइटी राजनीतिक महत्वांकाक्षा में राजनेताओं के नक्शेकदम पर है। राजनीति हो या जनांदोलन, बहिष्कृत निनानब्वे फीसद जनता के लिए सारे अवतार फरेबी निकल गये। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के अगले स्वरूप को लेकर अन्ना हजारे और उनकी पूर्ववर्ती टीम की हुई बैठक विफल हो गई और हजारे ने टीम के टूटने की औपचारिक घोषणा की। बैठक के बाद हजारे ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि टीम अलग हो गई है। मैं किसी पार्टी या समूह में शामिल नहीं होऊंगा। मैं उनके प्रचार अभियान में शामिल नहीं होऊंगा। मैंने उन्हें अपना फोटो और नाम के इस्तेमाल से मना कर दिया है। आप खुद से लड़िए।' उन्होंने केजरीवाल को साफ शब्दों में कहा है कि उनके नाम का इस्तेमाल करना बंद कर कर दिया जाए। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और किरण बेदी से मुलाकात के बाद अन्ना ने साफ शब्दों में हिदायत भी दी है कि लेटर कैंपेन के दौरान उनकी तस्वीरों को भी इस्तेमाल न करें।
पूंजी बाजार से फंड जुटाने में दिक्कत महसूस कर रहे छोटे एवं मझोले उपक्रमों (एसएमई) के लिए उत्साहवर्धक खबर है। आने वाले समय में एसएमई के लिए कैपिटल मार्केट से धन जुटाना आसान हो सकता है।दरअसल, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व रेटिंग एजेंसियों का आह्वान किया है कि वे पूंजी बाजार से फंड जुटाने में एसएमई की मदद करें।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और रेटिंग एजेंसियां छोटे और मझोले कारोबारियों (एसएमई) को पूंजी बाजार में सूचीबद्ध होने के लिए प्रोत्साहित करें। इनके प्रोत्साहन और सहयोग से छोटे और मझोले कारोबारी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर पूंजी जुटा सकेंगे। यह सलाह मंगलवार को वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए शुरू किए गए प्लेटफार्म 'इमर्ज' को लांच करते हुए दी है।
रिटेल में एफडीआई, डीजल और रसोई गैस के पेंच से पैदा हुए मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस ने नया दांव खेला है। कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पार्टी के मुख्यमंत्रियों को सस्ते एलपीजी सिलेंडरों का कोटा बढ़ाने को कहा है। यानी कांग्रेस शासित राज्यों में रहने वालों को साल में अब सब्सिडी वाले छह की बजाय नौ सिलेंडर मिलेंगे।कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेद्वी ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को इस बारे में निर्देश दिए हैं। हालांकि कांग्रेस ने डीजल की कीमतों में कमी किए जाने की संभावना से इनकार किया है। चिदम्बरम ने कहा कि सरकार के बहुत सोच समझ कर फैसला लिया है, ऐसे में पीछे हटने का सवाल ही नहीं है।
भारत बंद कोई पहली बार नहीं हो रहा है। लेकिन किसी भारत बंद से सत्तावर्ग की नींद में कभी खलल पड़ी हो, तो बताये। १९९१ से खुले बाजार की अर्थ व्यवस्था के खिलाफ राजनेता मुंहजबानी खूब विरोध करते रहे हैं। पर मौका आने पर जिस कसी की पूंछ उठायी गयी, वह कुछ और निकला।लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या के बाद रस्मी विरोध से कारपोरेट इंडिया की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।कारपोरेट नीति निर्धारकों को राजनीतिक उथल पुथल या सरकार के गिरने रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकारें आती जाती रहीं, पर विकास का दिशा दशा बदली नहीं, नरसंहार की संस्कृति पर अंकुश नहीं लगा। ममता बनर्जी के विद्रोह के बाद राजग यूपीए के गुप्त समझौते की प्रबल संभावना है। राजग अध्यक्ष शरद यादव ममता की तारीफ से अघा नहीं रहे, जबकि उनकी ही पार्टी के सुशासन बाबू, बिहार के मुख्यमंत्री का सुर बदल गया है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि केंद्र की जो सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी, वह उसी को समर्थन देंगे। इस क्रम में हालांकि उन्होंने किसी पार्टी या गठबंधन का नाम नहीं लिया। लेकिन लालू प्रसाद का कहना है कि नीतीश यह तमाशा कर रहे हैं।: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने सप्रंग सरकार द्वारा मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की अनुमति देने का समर्थन किया है लेकिन, वह चाहते हैं कि महाराष्ट्र में ऐसे केंद्रों में बाहरी लोगों को नौकरी नहीं दी जाए। ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि वह एफडीआई खुदरा विक्रेताओं से मराठी युवकों को नौकरी देने के लिए लिखेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में भी कारपोरेट घरानों को रायसीना हिल पर कब्जा करने में तकलीफ नहीं हुई। सारे राजनीतिक गढबंधन अस्त व्यस्त हो गये और विचारधाराओं के विश्वासघात का दौर चला।कांग्रेस के संकटमोचकों ने सरकार बचाने का इंतजाम कर लिया है और न सरकार में और न नीति निवेशकों में अश्वमेध यज्ञ भंग करने का कोई लक्षण दीख रहा है। सरकार जायेगी भी तो कांग्रेस की जगह भाजपा आयेगी और सुधार मुहिम और तेज हो जायेगी। क्योंकि तीसरे मोर्चे के तमाम क्षत्रप अपने अपने अतीत और महत्वांकाक्षाओं में कैद हैं। पालाबदल तो रिवाज है।बीजेपी नेता प्रकाश जावेड़कर का कहना है कि मिड टर्म पोल की चर्चा इसलिए शुरू हो गई है, क्योंकि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। बीजेपी सिर्फ सरकार बनाने के लिए ही नहीं बल्कि इस वक्त वह जनता की लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में इस सरकार का जाना देश हित में है। संप्रग सरकार से मंगलवार की रात समर्थन वापस लेने के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात करने की इच्छा जताई है। यूपीए सरकार डीजल की कीमतों में वृद्धि और खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित अपने उन फैसलों के बारे में तृणमूल कांग्रेस को स्पष्टीकरण देगी, जिसके चलते ममता बनर्जी की इस पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रतिपक्षी दल बसपा ने कहा है कि वह डीजल एवं रसोई गैस की कीमतें बढ़ाये जाने तथा खुदरा व्यापार में एफडीआई को मंजूरी दिये जाने के विरोध में हड़ताल में शामिल नहीं होगी।बसपा ने कहा कि हालांकि वह अपने पत्ते अगले महीने होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद खोलेगी। पार्टी सूत्रों ने आज यहां कहा है कि, पार्टी मुखिया मायावती ने केन्द्र सरकार की जनविरोधी कदमों के बारे में अपने विरोध का इजहार पहले ही कर चुकी है और यह भी घोषणा कर चुकी है कि बसपा अपने पत्ते नौ अक्टूबर को लखनऊ में होने वाली पार्टी की महारैली के बाद खोलेगी।
डीजल कीमतों में बढ़ोतरी, खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति और रियायती रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमित करने के फैसलों के विरोध में गुरुवार को देशव्यापी हड़ताल होने जा रही है।सरकार में शामिल द्रमुक, सरकार को समर्थन दे रही सपा और जद-एस तथा विपक्षी राजग वाम मोर्चा भी गुरुवार 20 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे।
उक्त दलों का हालांकि यह साझा आंदोलन नहीं है। भाजपा के नेतृत्व वाला राजग अलग और वाम मोर्चा, सपा, बीजद तथा तेलगु देशम आदि दल पृथक हड़ताल कर रहे हैं। इन्हीं मुद्दों पर सरकार से हटने की घोषणा करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने अभी इनमें से किसी के साथ या अलग से हड़ताल पर जाने की बात नहीं की है।भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन इसे भारत बंद तो वाम मोर्चे के साथ वाले दल हड़ताल का नाम दे रहे हैं। इससे पहले राजग और वाम दलों ने 31 मई को पेट्रोल कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी। बहरहाल, दोनों ही गठबंधनों ने तब भी एक ही दिन हड़ताल करने के बारे में परस्पर किसी तरह का समन्वय होने की बात से इंकार किया था।इस बीच केन्द्र ने कल के लिए सभी राज्यों को भेजे परामर्श में कहा है कि वे विशेष सतर्कता बरतें, क्योंकि कहीं भी ऐसे भड़काऊ प्रदर्शन हो सकते हैं जिनसे हिंसा फैलने का डर हो।
गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस परामर्श में खुफिया सूचनाओं के आधार पर कहा गया है कि देश में कहीं भी ऐसी घटनाएं हो सकती है, अत: ऐसे किसी भी प्रदर्शन की सूचना मिलने पर उसे हल्के में नहीं लिया जाए।बंद को सफल बनाने के लिए भाजपा व्यापारी समुदाय पर आश्रित है जिसे उसका समर्थक माना जाता है। दूसरी ओर वाम दल इसे सफल बनाने के लिए अपने श्रमिक संगठनों पर भरोसा किए हैं।
सरकारी कंपनी आरआईएनएल यानि राष्ट्रीय इस्पात निगम का आईपीओ 16 अक्टूबर को आएगा। ये इश्यू 18 अक्टूबर को बंद होगा। आरआईएनएल के आईपीओ के जरिए सरकार 2500 करोड़ रुपये जुटाएगी।आरआईएनएल के आईपीओ को सेबी से 18 मई को ही मंजूरी मिल गई थी लेकिन बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के चलते इसे 2 बार टाल दिया गया।आरआईएनएल के शेयरों की लिस्टिंग 31 अक्टूबर को होगी। आईपीओ का इश्यू प्राइस 8 अक्टूबर को एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में तय होगा। आईपीओ के जरिए सरकार आरआईएनएल में 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी।सरकार विनिवेश की प्रक्रिया में बदलाव करने वाली है।सूत्रों के मुताबिक किश्तों में सरकारी कंपनियों का हिस्सा बेचा जाएगा। एक बार में सरकारी कंपनियों का 2-3 फीसदी हिस्सा बेचा जाएगा।शेयर की कीमतों में ज्यादा गिरावट न आए इसलिए सरकार ये फॉर्मूला अपनाने वाली है। साथ ही, इस फॉर्मूले से सरकार शेयर बाजार में आए उछाल का फायदा उठा सकेगी।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम वित्तीय घाटे को काबू में करने की बहुत कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने डीजल पर सब्सिडी घटा दी है। मगर आईएमएफ को ये काफी नहीं लग रहा है। आईएमएफ का मानना है कि मौजूदा कारोबारी साल में भारत वित्तीय घाटे को कम करने का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा।यही नहीं आईएमएफ रिजर्व बैंक के ब्याज दरों में कटौती नहीं करने के फैसले से भी सहमत है। उसका मानना है कि भारत में जो मौजूदा हालात हैं उसमें ब्याज दरें घटाने से महंगाई बढ़ेगी। उसके मुताबिक महंगाई कम करने के लिए सरकार को चीजों की सप्लाई दुरुस्त करने के लिए कदम उठाने चाहिए।हालांकि आईएमएफ विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए लिए गए फैसलों को अच्छा मान रहा है। उसके मुताबिक विदेशी निवेश के नियम को आसान करने की जरूरत है। आईएमएफ का मानना है कि निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए जीएएआर से विवादास्पद टैक्स कानून पर और जल्दी सफाई आनी चाहिए। हालांकि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद आईएमएफ अक्टूबर में भारत का 2012 का जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाएगा।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर, के सी चक्रवर्ती का कहना है कि फिलहाल खाद्य महंगाई में कमी आने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है।के सी चक्रवर्ती के मुताबिक दुनियाभर में कमोडिटी के दाम बढ़ रहे हैं। महंगाई दर 5 फीसदी के स्तर के आने के बाद ही अर्थव्यवस्था में स्थिरता दिखेगी।
2जी स्पेक्ट्रम बांटने से सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है। ये बयान है मौजूदा आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव का, जो स्पेक्ट्रम बंटवारे के वक्त वित्त सचिव थे।2जी घोटाले की जांच पर बनी संयुक्त संसदीय समिति के सामने डी सुब्बाराव पेश हुए। सुब्बाराव ने साफ किया कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में वित्त मंत्रालय पर कोई दबाव नहीं था, और इस घोटाले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से एक बार फिर बीजेपी के सदस्यों ने वॉकआउट किया। बीजेपी ने एक बार फिर इस मामले में गवाहों की सूची बनाने की मांग सामने रखी।
साथ ही, इस सूची में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम को शामिल करने की भी बात कही गई थी। बैठक में बीजेपी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को भी गवाही के लिए बुलाने की मांग की, जिसे जेपीसी अध्यक्ष ने खारिज कर दिया।
तृणमूल कांग्रेस की ओर से मंगलवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा के बाद आज कांग्रेस और तृणमूल के रिश्तों में और ज्यादा खटास आ गई। तृणमूल मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सख्त लहजे में कहा कि साल में सब्सिडी वाले 24 रसोई गैस सिलिंडरों की आपूर्ति करने और मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विरोध को लेकर वह कोई समझौता नहीं करेगी।तो दूसरी ओर, नीतीश सुशासन बाबू राज ठाकरे का करतब दोहराने लगे।हालिया आर्थिक फैसलों से मुसीबत में आयी केंद्र सरकार के सामने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पासा फेंका है। उन्होंने कहा कि जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा, उसे हमारा समर्थन मिलेगा।नीतीश कुमार ने यह बयान ऐसे वक्त में दिया है जब यूपीए में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने सरकार छोड़ने का फैसला लिया है और इससे केंद्र सरकार के बहुमत के आंकड़ों पर असर पड़ा है। कुमार बुधवार को पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में अधिकार रैली में बोल रहे थे। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जदयू की ओर से नवंबर में होने वाली रैली की तैयारियों के तहत नीतीश कुमार का यह पहला कार्यक्रम था। इस क्रम में वह राज्य के 38 में से 34 जिलों में रैली करेंगे।
लोकसभा में बिहार से जदयू के 20 सांसद है। बिहार में भाजपा उसकी सहयोगी है। 2005 से ही जदयू और भाजपा की गठबंधन सरकार चल रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली किसी भी पार्टी का हम समर्थन करने को तैयार हैं। बिहार की यह मांग मंजूर करने वाली किसी भी पार्टी के साथ हम होंगे। बिहार को आज विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है। यह बिहार का हक भी है। यह प्रति व्यक्ति निवेश पहली योजना से ही दूसरे राज्यों की तुलना में कम रहा है। विकास के दूसरे मानकों पर बिहार पीछे रह गया।उन्होंने कहा कि हम इस मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं। अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मार्च में हम दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे।बुधवार को बेतिया में दिये नीतीश कुमार के बयान पर भाजपा सकते में है। भाजपा में इस बयान को लेकर सरगर्मी अचानक बढ़ गयी। पार्टी अध्यक्ष डॉ सीपी ठाकुर ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री के बयान के बारे में सुना है। यह नीतीश कुमार की व्यक्तिगत राय हो सकती है। भाजपा उनके इस विचार से कैसे सहमत होगी कि जो विशेष राज्य के दर्जे का समर्थन करेगा, हम उसके साथ जाएंगे। भाजपा खुद एक राष्ट्रीय पार्टी है और केंद्रीय नेतृत्व का फैसला ही अंतिम होगा। क्या जदयू के एनडीए से बाहर जाने की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है? इस सवाल पर डॉ ठाकुर ने भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि भाजपा भी बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग का समर्थन करती रही है। पर हम इसके एवज में कांग्रेस के साथ कैसे जा सकते हैं?
जाहिर है कि ममता की मांग की अनदेखी करते हुए कांग्रेस ने अपने राज्यों में 6 के बजाय 9 सिलेंडर देने की घोषणा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि अब राज्य सरकारें भी सब्सिडी का बोझ ढोएं। सोनिया के नए दांव से न सिर्फ यूपीए के सहयोगियों बल्कि बीजेपी और एनडीए में भी हड़कंप मच गया है। बीजेपी ने केंद्र को चुनौती देते हुए कहा कि रोलबैक नहीं हुआ तो सरकार को बोरिया-बिस्तर पैक कर लेना चाहिए। बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि यूपीए सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है और इसे जल्द से जल्द इस्तीफा देना चहिए। वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने साफ किया कि यूपीए-2 को कोई खतरा नहीं है और सरकार चलाने के लिए उसके पास जरूरी संख्याबल है।
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने संवाददाताओं को बताया कि जैसा मैंने कल कहा था कि ममता बनर्जी ने कुछ मुद्दे उठाए हैं, जिनके बारे में सरकार के साथ बात होगी। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष को एक संदेश मिला कि ममता उनसे बात करना चाहती हैं। फोन के जरिए उनसे संपर्क साधने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।द्विवेदी ने कहा कि ममता से संपर्क नहीं होने पर उनकी पार्टी के नेता रेल मंत्री मुकुल रॉय को यह संदेश दे दिया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष तृणमूल प्रमुख से बात करना चाहती हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय से ममता से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक संपर्क नहीं हो पाया है।द्विवेदी ने कहा कि ममता की पार्टी द्वारा संप्रग से समर्थन वापस लेने के मुद्दे पर कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी विचार विमर्श किया गया। उन्होंने इस बारे में ब्यौरा देने से इंकार कर दिया।
लोकसभा में कुल 545 में से कांग्रेस के 205 सांसद हैं। तृणमूल कांग्रेस के 19 सदस्य सरकार को समर्थन नहीं देते हैं तो डीएमके के 18, राष्ट्रीय लोकदल के पांच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नौ, नेशनल कानफ्रेंस के तीन और कुछ अन्य पार्टियों के सांसद ही यूपीए में बचेंगे। सरकार को बाहर से समर्थन देने वालों में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल सेक्युलर के 50 सांसद हैं। सरकार में रहने के लिए 272 सांसदों का समर्थन जरूरी है। इस तरह फिलहाल सरकार को खतरा नहीं लगता।
1. फैसले वापस लें : सरकार चाहे तो सारे फैसले वापस ले सकती है, लेकिन यह कांग्रेस और यूपीए सरकार दोनों के लिए बड़ा झटका होगा। ऐसे में इसकी संभावना कम ही है। आंशिक रोलबैक से भी वह ममता को सरकार के साथ बनाए रख सकती है। लेकिन अभी तक सरकार ने इसके कोई संकेत नहीं दिए हैं।
2. सपा, बसपा साथ दें : मुलायम मौके पर सरकार के संकटमोचक रहे हैं। उन पर फिर दांव है। मगर ऐसे में भी सरकार को डीजल के दाम कम करने और गैस सिलेंडर की सीमा बढ़ाने का फैसला लेना पड़ सकता है। अगर कांग्रेस सरकार में आने के लिए सपा को राजी कर लेती है तो मनमोहन सिंह की स्थिति पूरी तरह से मजबूत हो जाएगी। संभव है कि बेहतर 'डील' (जैसे रेल मंत्रालय आदि) मिलने पर मुलायम सरकार में शामिल हो जाएं।
3. ऐसे ही चले सरकार: सपा और बसपा के बाहरी समर्थन से अल्पमत की सरकार चलाते रहने का भी एक विकल्प हो सकता है। समाजवादी पार्टी के पास 22 और बहुजन समाज पार्टी के 21 सांसद हैं। समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने यूपीए के पहले दौर में भी वामपंथियों के समर्थन वापिस लेने के बादल मनमोहन सिंह सरकार को टिके रहने में मदद की थी। बहुजन समाज पार्टी के नेता कह चुके हैं कि सरकार के गिरने से उन्हें कोई राजनीतिक फायदा नहीं होने वाला। ऐसे में मनमोहन सरकार इस बात की उम्मीद कर सकती है कि जरूरत पड़ने पर सदन में सपा, बसपा उसका साथ देंगी।
4. मध्यावधि चुनाव: कांग्रेस अभी मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती। लेकिन अगर भाजपा, तृणमूल के साथ-साथ सपा-बसपा भी ठान लें तो उसे मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार होना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में सभी पार्टियों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास जाकर संसद का विशेष सत्र बुलवाने की गुजारिश करनी होगी। राष्ट्रपति को तय करना होगा कि अल्पमत सरकार को संसद में बहुमत सिद्ध करने को कहा जाए या नहीं। अगर कहते हैं और सरकार बहुमत सिद्ध नहीं कर पाती है तो मध्यावधि चुनाव का रास्ता खुल जाएगा।
इससे पहले केंद्र की यूपीए सरकार से बाहर होने का ऐलान करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को अपना रुख और कड़ा कर लिया। ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी अपने फैसले पर कायम है। उन्होंने सरकार के इन दावों को भी गलत करार दिया कि एफडीआई पर फैसला लेने से पहले पीएम ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। ममता ने कहा, 'सरकार की ओर से गलत बयानबाजी की जा रही है और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। कांग्रेस को डीजल के बढ़े दाम वापस लेने होंगे। मेरी पार्टी रिटेल में एफडीआई का विरोध करती रहेगी। मैं बंद की राजनीति में विश्वास नहीं करती हूं। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। कांग्रेस सरकार किसान विरोधी है।' कांग्रेस अध्यक्ष के नए दांव पर ममता ने कहा, 'हम जनता को धोखा नहीं दे सकते। कांग्रेस नाटक कर रही है। मेरे हिसाब से साल भर में 24 सस्ते सिलेंडर दिए जाने चाहिए।' पार्टी के सांसद कुणाल घोष ने कहा कि तृणमूल के मंत्रियों से पहले पीएम मनमोहन सिंह को इस्तीफा देना चाहिए।
चिदंबरम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एसएमई प्लेटफॉर्म 'इमर्ज' की लांचिंग के मौके पर बोल रहे थे। चिदंबरम ने कहा, 'एसएमई सेक्टर की ग्रोथ का एक तरीका इन उपक्रमों द्वारा पूंजी बाजार में उतरना भी है।
ऐसे बहुत सारे उद्यमी हैं, जो पूंजी बाजार में उतरना चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'छोटे मर्चेंट बैंकरों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और रेटिंग एजेंसियों सभी को छोटी व मझोली कंपनियों को पूंजी बाजार में लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए। ये कंपनियां बड़ी तादाद में हैं।' उन्होंने कहा कि पब्लिक इश्यू की अंडरराइटिंग कर, मर्चेंट बैंकिंग सेवाएं देकर और इक्विटी खरीद करके बैंक एवं अन्य निकाय पूंजी बाजार से फंड जुटाने में एसएमई की मदद कर सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा, 'एसएमई सेक्टर की कंपनियों को पूंजी बाजार तक लाना आसान नहीं है।
कारण यह है कि सेबी और अन्य नियामकों के ढेर सारे नियम-कायदों वगैरह से छोटे उद्यमी घबराते हैं। हालांकि, इन कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने, ग्रोथ व विस्तार करने के अवसर इतने ज्यादा हैं कि हमें इन बाधाओं से पार पाना ही होगा और पूंजी जुटाने की कवायद में उनकी पूरी मदद करनी ही होगी।' मालूम हो कि देशभर में तकरीबन 3.11 करोड़ एसएमई हैं। ये छोटे एवं मझोले उपक्रम देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 8 फीसदी और औद्योगिक उत्पादन में 45 फीसदी का योगदान करते हैं।
सेबी ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए हरसंभव कदम उठाने की बात कही है। बाजार नियामक ने कहा है कि बेहतर निवेश माहौल बनाने के लिए नियम-कायदों में अगले कुछ दिनों में संशोधन किए जाएंगे।
सेबी चेयरमैन यू.के. सिन्हा ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निवेश का माहौल बेहतर करने के लिए नियमन से जुड़े कुछ प्रावधानों को संशोधित करने की जरूरत है। ये कदम अगले कुछ दिनों में उठाए जाएंगे और आगामी 1 अक्टूबर से इन्हें लागू कर दिया जाएगा।
यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एसएमई प्लेटफॉर्म के उदघाटन के दौरान आयोजित समारोह में सिन्हा ने कहा कि म्यूचुअल फंड में एक्जिट लोड का मुद्दा भी इन संशोधनों में शामिल है। सेबी बोर्ड ने गत 16 अगस्त की अपनी बैठक में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के अलावा बेहतर निवेश माहौल बनाने के लिए कई कदम उठाने की भी घोषणा की थी।
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