Friday, September 21, 2012

प्रधानमंत्री ने कह दिया कि पैसे पेड़ों पर नहीं लगते। यह मुहावरा बोलचाल की भाषा में किस आशय से प्रयोग में लाया जाता है?

प्रधानमंत्री ने कह दिया कि पैसे पेड़ों पर नहीं लगते। यह मुहावरा बोलचाल की भाषा में किस आशय से प्रयोग में लाया जाता है?

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए बखूबी​ बता दिया कि निनानब्वे फीसद बहिष्कृत जनता अब इस देश की सरकार या राजनीतिक व्यवस्था से कुछ उम्मीद न करें क्योकि बाजार ​खुल्ला है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
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​भारतीय रिजर्व बैंक ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र, नागरिक उड्डयन, प्रसारण तथा बिजली एक्सचेंजों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति के सरकार के फैसलों को अधिसूचित कर दिया। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों से जुड़े कड़े फैसलों को जरूरी बताते हुए जनता से अपील की है कि वह विपक्षी दलों के बहकावे में न आए और सरकार का साथ दे। उन्होंने कहा कि वह देश को 1991 की हालत में वापस नहीं जाने देंगे, लेकिन उन्हें आम लोगों के समर्थन की जरूरत है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पैसा पेड़ों में नहीं उगता।प्रधानमंत्री ने कह दिया कि पैसे पेड़ों पर नहीं लगते। यह मुहावरा बोलचाल की भाषा में किस आशय से प्रयोग में लाया जाता है , तनिक​ ​ गौर करें। जब किसी को देने से मना करना होता है तब यही जुमला सुना दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए बखूबी​ ​ बता दिया कि निनानब्वे फीसद बहिष्कृत जनता अब इस देश की सरकार या राजनीतिक व्यवस्था से कुछ उम्मीद न करें क्योकि बाजार ​​खुल्ला है। गौरतलब है कि डीजल कीमतों में बढ़ोतरी किए जाने, सस्ते रसोई गैस सिलिडरों का कोटा निश्चित किए जाने और रिटेल सेक्टर में एफडीआई की इजाजत दिए जाने जैसे फैसलों के बाद यूपीए के एक घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मंगलवार को ही तृणमूल के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा और राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें समर्थन वापसी का पत्र सौंपा।इसके ठीक बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बेहद आक्रामक अंदाज में कहा कि पैसा पेड़ों पर नहीं उगता। डीजल कीमतों में बढो़तरी नहीं की जाती तो सबसिडी का बोझ बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए हो जाता। आखिर इतना पैसा कहां से आता?उन्होंने कहा कि अगर सब्सिडी का बोझ कम नहीं किया जाता तो कई कल्याणकारी योजनाए बंद करनी पड़तीं, विकास की गति मंद पड़ जाती और महंगाई बेकाबू हो जाती और नौकरियां कम हो जातीं। उन्होंने कहा मुझे अच्छी तरह पता है कि 1991 में देश की क्या हालत हो गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देश को उस हाल में वापस नहीं जाने दूंगा। लेकिन मुझे आप सबका समर्थन चाहिए।

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने सरकार को डीजल के बढ़े दाम रोलबैक न करने की चेतावनी दी है। मूडीज का कहना है कि अगर सरकार ने डीजल के बढ़ाए हुए दाम वापस लिए तो वो सब्सिडी का बोझ नहीं घटा पाएगी।डीजल के दाम बढ़ाने की वजह से इस साल सरकार का सब्सिडी का बोझ 30,000 करोड़ रुपये घट जाएगा। लेकिन, इसके बावजूद ये पिछले साल के मुकाबले 23 फीसदी ज्यादा है। मूडीज के मुताबिक अपना घाटा कम करने के लिए सरकार के लिए डीजल महंगा करना जरूरी था।

यूपीए की दूसरी पारी यहीं नहीं सिमटेगी, अब ये तय हो गया है। मुलायम सिंह ने कहा है कि वो यूपीए को समर्थन जारी रखेंगे।मुलायम सिंह ने कहा कि वो सरकार की सुधारवादी नीतियों से खफा हैं लेकिन सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए कांग्रेस के अगुवाई वाले यूपीए के साथ खड़े रहेंगे।

मुलायम सिंह ने ये भी कहा कि वो अभी चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। इस ऐलान के साथ ही सरकार के भविष्य पर छाए आशंका के बादल अब दूर हो गए हैं।

मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी, एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी और डीजल की कीमतें बढ़ाने की विरोध में सरकार से नाता तोड़ चुकी तृणमूल कांग्रेस के 6 मंत्री इस्तीफा दिया है।लोकसभा में तृणमूल के 19 सांसद है, लेकिन समर्थन वापसी के बाद भी सरकार के अल्पमत में जाने का खतरा नहीं है। सपा के साथ-साथ बसपा भी फिलहाल बाहर से समर्थन दे रही है। लोकसभा में सपा के 22 और बसपा के 21 सांसद है।

आर्थिक सुधारों की ओर सरकार के कदम बढ़ाने से बाजार साल 2012 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे। सेंसेक्स 403 अंक चढ़कर 18753 और निफ्टी 137 अंक चढ़कर 5691 पर बंद हुए। निफ्टी मिडकैप 2.75 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 1.5 फीसदी चढ़े। सरकार के आर्थिक सुधारों के फैसलों पर अडिग बने रहने से बाजार में जोश नजर आया। विरोध के बावजूद सरकार ने एविएशन, मल्टीब्रैंड रिटेल, पावर एक्सचेंज और ब्रॉडकास्ट कैरिजेस में एफडीआई का नोटिफिकेशन जारी किया है।इसके अलावा सरकार ने राजीव गांधी इक्विटी स्कीम को मंजूरी दी है। राजीव गांधी स्कीम के दायरे में ईटीएफ और म्यूचुअल फंड शामिल किए गए हैं। विदहोल्डिंग टैक्स को भी 20 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया है। जानकारों का कहना है कि अगर सरकार इसी रफ्तार से आर्थिक सुधारों पर काम करती रही तो विदेशी निवेशकों में भरोसा बढ़ेगा, जिससे बाजार में एफआईआई निवेश बढ़ेगा। पावर, कैपिटल गुड्स, मेटल, बैंक शेयरों में 4.5-4 फीसदी का उछाल आया। पीएसयू, रियल्टी, ऑयल एंड गैस, ऑटो, एफएमसीजी शेयर 2.75-1.5 फीसदी चढ़े।मुनाफावसूली की वजह से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और हेल्थकेयर शेयर मामूली तेजी पर बंद हुए। रुपये में मजबूती की वजह से आईटी शेयर 0.7 फीसदी टूटे। तकनीकी शेयरों में सुस्ती आई।

समाजवादी पार्टी के यूपीए को बाहर से समर्थन देने के बयान के बाद बाजार 2.5 फीसदी उछले हैं। निफ्टी 5700 के ऊपर चला गया और सेंसेक्स में 500 से ज्यादा का उछाल आया। हालांकि, ऊपरी स्तरों से बाजार थोड़ा फिसले हैं।

दोपहर 12:35 बजे, सेंसेक्स 422 अंक चढ़कर 18771 और निफ्टी 134 अंक चढ़कर 5688 के स्तर पर हैं। निफ्टी मिडकैप 2.5 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 1.5 फीसदी चढ़े हैं।

बैंक, पावर, कैपिटल गुड्स, मेटल शेयर 3.7-3 फीसदी उछले हैं। पीएसयू, रियल्टी, ऑयल एंड गैस, एफएमसीजी, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, तकनीकी, हेल्थकेयर 2.5-1 फीसदी मजबूत हैं। आईटी शेयरों में 0.5 फीसदी की तेजी है।

दिग्गजों में रिलायंस इंफ्रा, एक्सिस बैंक, जेपी एसोसिएट्स, बीएचईएल, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, सेसा गोवा, एमएंडएम, सेल, टाटा पावर, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 8-4 फीसदी चढ़े हैं।

निफ्टी मिडकैप में रिलायंस कैपिटल, एनसीसी, आदित्य बिड़ला नूवो, वोल्टास, सिंटेक्स, लैंको इंफ्रा, जीवीके पावर 8-5.5 उछले हैं। बीएसई स्मॉलकैप में राम कश्यप इंडस्ट्रीज, मन इंडस्ट्रीज, फोर्ब्स गोकाक, सुराना इंडस्ट्रीज, अटलांटा 13-9 फीसदी चढ़े हैं।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में जबर्दस्त तेजी आई है और रुपया 54 के ऊपर पहुंच गया है। 54.16 के स्तर पर खुलने के बाद रुपया 53.5 के स्तर तक चढ़ा है।

केंद्रीय बैंक की अधिसूचना में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की समीक्षा के बाद अब यह फैसला किया गया है कि बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी।औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने गुरुवार को अपनी अधिसूचना में कहा था कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सभी उत्पादों में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी।केंद्र ने विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की भी अनुमति दी है. साथ ही टेलीपोर्ट, डीटीएच, मल्टी सिस्टम आपरेटर्स में विदेशी इक्विटी की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है। इसमें से 49 प्रतिशत विदेशी निवेश स्वत: मंजूर मार्ग से और 74 प्रतिशत सरकार की अनुमति के मार्ग से किया जा सकेगा।

इस बीच वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का कहना है कि सरकार को प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी करनी चाहिए। अनिल अग्रवाल ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर होनी चाहिए क्योंकि इससे आयात का बोझ भी कम होगा और साथ ही देश में रोजगार के भी मौके पैदा होंगे।

अनिल अग्रवाल के मुताबिक आर्थिक सुधारों से देश आगे बढ़ेगा हालांकि अभी कई और सुधार करने बाकी हैं। सरकार इंडस्ट्री पर भरोसा करे क्योंकि इंडस्ट्री के साथ देश आगे बढ़ता है। देश में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं हैं लेकिन संसाधनों के बावजूद भारी आयात करना पड़ता है। तेल, सोना, खाद का भारी आयात होता है और आयात का खर्च बहुत ज्यादा है। देश का विकास बढ़ाने कि लिए आयात का खर्च कम करना होगा। आयात बिल कम होने से गरीबी घटेगी।

अनिल अग्रवाल के मुताबिक देश में उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है और निवेश के जरिए उत्पादन बढाया जा सकता है। सरकार की एक्सप्लोरेशन पॉलिसी आसान होनी चाहिए जिससे भारतीय कंपनियों को मौका मिले। खदानों में संसाधन छिपे हैं और  प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी होनी चाहिए। नीलामी के लिए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल फायदेमंद हो सकता है।

कंपनियों को प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण की मंजूरी में देरी होने से नुक्सान बढ़ता है। मंजूरी नहीं मिलने से कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, ऐसे प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए। जल्द मंजूरी से रोजगार बढ़ेगा। पर्यावरण के नियम साफ होने चाहिए। नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना होना चाहिए। लोकतंत्र के चलते फैसलों में देरी हो रही है। रेवेन्यू शेयरिंग का फॉर्मूला बेहतर है जिसमें 60-70 फीसदी उत्पादन सरकार को जाता है। इसके साथ ही पर्यावरण मंत्रालय से जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए।

अनिल अग्रवाल के मुताबिक खराब नीतियों के चलते देश पीछे रह गया और दूसरे देश हमसे आगे बढ़ गए। संसाधनों का पूरा इस्तेमाल होना चाहिए और नई फैक्ट्रियां लगनी चाहिए। नई फैक्ट्रियों से रोजगार बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेगा तो ही रॉयल्टी बढ़ेगी।

भारत में चीन से ज्यादा संसाधन हैं और भारत में सोने की ढेरों खदानें हैं। सोने की खदानों का निजीकरण होना चाहिए। सरकार को निजी कंपनियों पर भरोसा करना जरूरी है।

अनिल अग्रवाल के मुताबिक जल्द से जल्द नेल्प की नीलामी होनी चाहिए। वेदांता रिसोर्सेज की राजस्थान में तेल की खुदाई करने की योजना है। साथ ही तेल, गैस क्षेत्र में कई योजनाएं हैं। कंपनी हिंदुस्तान जिंक और नाल्को में हिस्सा खरीदेगी।


तृणमूल कांग्रेस के 19 सांसदों के इस्तीफे के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के इतिहास का एक अध्याय आज समाप्त हो गया और इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार से अलग हो गई। तृणमूल के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर उन्हें अपने इस्तीफे दिए और संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र राष्टï्रपति प्रणव मुखर्जी को सौंपा। इसके बदले कोलकाता में सत्तारूढ़ तृणमूल सरकार में मंत्री बने कांग्रेस के विधायक शनिवार को अपने इस्तीफे देंगे।इधर तृणमूल कांग्रेस यूपीए सरकार से बाहर हुई, उधर बीजेपी ने कहा कि अब इस सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। पार्टी को उम्मीद है कि आम आदमी पर बोझ बन चुकी इस सरकार से मुक्ति का रास्ता खुलने जा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि टीएमसी ने जनहित में अच्छा कदम उठाया है। बीजेपी उन्हें बधाई देती है। यूपीए अब डूबता जहाज है, जिससे लोगों ने उतरना शुरू कर दिया है। उन्होंने यूपीए को समर्थन जारी रखने संबंधी बयान देने के लिए समाजवादी पार्टी की खिंचाई की। हुसैन ने कहा कि एक ओर तो वह सरकार के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर उतरती है, दूसरी ओर इसी सरकार को समर्थन देने का ऐलान करके ऑक्सीजन भी मुहैया कराती है।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डीजल के दामों में बढ़ोतरी और रसोई गैस सिलेंडरों पर लगाई गई सीमा को उचित बताते हुए कहा है कि पेट्रोलियम सब्सिडी पर रोक नहीं लगाई जाती तो रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ने लगती।प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि पिछले कुछ समय में पेट्रोलियम सब्सिडी में बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ है। यह सब्सिडी पिछले वर्ष एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए थी। अगर हमने कार्रवाई नहीं की होती तो यह बढ़कर दो लाख करोड़ से भी अधिक हो जाती।मनमोहन सिंह ने कहा कि इसके लिए पैसा कहां से आता। पैसा पेड़ों पर तो नहीं लगता। उन्होंने कहा कि अगर हमने कोई कार्रवाई नहीं की होती तो वित्तीय घाटा कहीं ज्यादा बढ़ जाता। अगर इसे रोका नहीं जाता तो रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें और तेजी से बढ़ने लगती। निवेशकों का विश्वास भारत में कम हो जाता। ब्याज की दरें बढ़ जाती और बेरोजगारी भी बढ़ जाती।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एफडीआई से किराना दुकानदारों के नष्ट होने का जो डर दिखाया जा रहा है वह बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि एफडीआई से किसानों को बहुत फायदा होने वाला है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल एफडीआई के फैसले से सहमत नहीं हैं। इसलिए हमने राज्यों को यह छूट दी है कि वह चाहें तो अपने यहां एफडीआई की इजाजत न दें। मगर किसी भी राज्य को यह हक नहीं है कि वह दूसरे राज्य को भी एफडीआई से वंचित रखे।

डॉ. मनमोहन सिंह ने जोर देकर कहा कि पहले भी आर्थिक सुधारों को लेकर डर दिखाया जाता रहा है। मगर वे सारे डर गलत साबित हुए। भारतीय कंपनियां विदेशों में भी कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वह विपक्षी दलों के बहकावे में न आए और सरकार के हाथ मजबूत करे।

सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए केंद्रिय मंत्रिमंडल ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर राष्ट्रीय नीति 2012 को मंजूरी दे दी। इस नीति में आईटी बाजार का आकार बढ़ाकर 300 अरब डॉलर करने और 2020 तक एक करोड़ अतिरिक्त नौकरियों का सृजन करने की कल्पना की गई है। संचार और आईटी मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि नीति में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में देश की विशेषज्ञता का उपयोग, अन्य क्षेत्रों और खासकर रणनीतिक व आर्थिक महत्व के क्षेत्रों में प्रतियोगिता में आगे बढ़ने में करने की कल्पना की गई है।नीति में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अतिरिक्त एक करोड़ नौकरियों का सृजन और हर घर में कम से कम एक ई-साक्षर तैयार करने की कल्पना की गई है।यह नीति, सरकार में और खासकर सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति में पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्यसक्षमता, विश्वसनीयता और विकेंद्रीकरण बढ़ाएगी। मंत्रालय ने कहा कि नीति को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।

मशहूर अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट का भारत में पहला रिटेल स्टोर 12 से 18 महीने के अंदर खुल सकता है। वॉलमार्ट (एशिया) के प्रेजिडेंट व सीईओ स्कॉट प्राइस ने यह बात कही।उन्होंने कहा कि अब हम उन राज्यों से इजाजत मांगेंगे, जो विदेशी रिटेल शॉप अपने यहां खोलने की इच्छा जता चुके हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि हम भारत में कहां-कहां और कितने स्टोर खोलेंगे। उन्होंने भारत में भारती एंटरप्राइजेज के साथ पार्टनरशिप जारी रहने की उम्मीद जताई। भारती के साथ 17 कैश एंड कैरी स्टोर्स में वॉलमार्ट की हिस्सेदारी है।

भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने अटॉमिक एनर्जी रेग्युलेटर (एईआरबी) से हरी झंडी मिलने के बाद कुडनकुलम के पहले रिएक्टर में एनरिच्ड यूरेनियम फ्यूल भरना शुरू कर दिया है।उड़ीसा स्थित एक ठिकाने से परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-3 मिसाइल का शुक्रवार को सफल परीक्षण किया गया। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। सतह से सतह पर 3000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल को भद्रक जिले में धामरा के पास इनर व्हीलर द्वीप के एक प्रक्षेपण परिसर से दागा गया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने बताया कि परीक्षण सफल रहा। भारतीय सेना के रणनीतिक बलों की कमान ने यह परीक्षण किया।

एक सीनियर अफसर ने कहा कि रिएक्टर में फ्यूल डालने की प्रक्रिया शुरू हो गई। पिछले साल मार्च महीने में जापान के फुकुशिमा में परमाणु हादसे के मद्देनजर स्थानीय लोगों में सुरक्षा चिंताओं को लेकर कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रॉजेक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। अफसर के मुताबिक, एईआरबी ने एनपीसीआईएल द्वारा तय शर्तें पूरी किए जाने के बाद प्लांट के 163 ईंधन बंडलों को भरना शुरू करने को हरी झंडी दे दी। उन्होंने बताया कि ईंधन भरने में करीब 10 दिन लगेंगे।गौरतलब है कि एनपीसीआईएल रूस की मदद से कुडनकुलम में एक हजार मेगावॉट के दो परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्थापित कर रहा है। ईंधन भरने के बाद एनपीसीआईएल परमाणु रिएक्टर में पहली बार विखंडन शुरू करने के लिए प्रक्रिया शुरू करेगा।

यूबी ग्रुप ने किंगफिशर एयरलाइंस में हिस्सेदारी बेचने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस में हिस्सा खरीदने के लिए 3 विदेशी कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है।फिलहाल किंगफिशर एयरलाइंस पर 1.4 अरब डॉलर का कर्ज है। सूत्रों का ये भी कहना है कि यूनाइटेड स्पिरिट्स (यूएसएल) और डियाजियो सौदे के लिए चर्चा का दौर अंतिम चरण में है। डियाजियो की ओर से यूएसएल के लिए 1,300 रुपये प्रति शेयर का भाव लगाया जा सकता है। लेकिन यूएसएल में हिस्सा बेचने के लिए यूबी ग्रुप 1,600 रुपये प्रति शेयर का भाव चाहती है। अगर दोनों पक्षों में वैल्यूएशन को बात बन जाती है, तो अगले हफ्ते तक सौदे की शर्तों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।

सरकार ने बिना सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलिंडर पर कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी खत्म कर दी है। लेकिन, आर्थिक सुधारों की मुहिम भी जारी रखी है। इस दिशा में कई कदम उठाए हैं।कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी खत्म होने के बाद बिना सब्सिडी वाला सिंलिंडर भी तोड़ा सस्ता मिलेगा। दिल्ली में बिना सब्सिडी का 14.2 किलो का एलपीजी सिलिंडर 895 रुपये का होता। यह सिलिंडर 5 पर्सेट कस्टम ड्यूटी और 8 पर्सेट एक्साइज ड्यूटी घटने के बाद 798 रुपये में मिलेगा, यानी 97 रुपये कम दाम पर। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने राज्यों से एलपीजी पर सब्सिडी बढ़ाने को कहा है। सब्सिडी पर सिलिंडर दिल्ली में 399 रुपए का है।

शेयरों में निवेश पर 50 पर्सेट टैक्स छूट : सुधारों की मुहिम जारी रखते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शेयर मार्केट में रिटेल इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम को अप्रूव कर दिया है। इस स्कीम के तहत सालाना 10 लाख तक टैक्सेबल इनकम वाले नए निवेशकों को टॉप शेयरों में 50 हजार रुपए तक के निवेश पर 50 पर्सेट तक टैक्स डिडक्शन मिलेगा। यह छूट म्यूचुअल फंड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) पर भी मिलेगी। तीन साल का निवेश जरूरी होगा। चिदंबरम ने कहा कि यह गोल्ड के बजाय निवेश का दूसरा विकल्प होगा।

विदेश से सस्ता कर्ज : विदेश से कर्ज लेने पर विदहोल्डिंग टैक्स भी 20 पर्सेट से घटाकर 5 पर्सेट कर दिया गया है। इससे घरेलू कंपनियां विदेश से सस्ता कर्ज ले सकेंगी। चिदंबरम ने बताया कि यह छूट 1 जुलाई 2012 से 30 जून 2015 तक लिए जाने वाले कर्ज पर मिलेगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की सब्सिडी का बोझ केंद्र के साथ साथ राज्य सरकारें भी वहन करें। चिदंबरम ने कहा, 'केंद्र सरकार ईंधन पर भारी भरकम सब्सिडी दे रही है। इसलिए यह अतार्किक नहीं है कि इस सब्सिडी के बोझ का कुछ हिस्सा राज्य सरकारें भी वहन करें।'  वर्ष 2011-12 में केंद्र सरकार ने विभिन्न पेट्रोलियम पदार्थों पर लगने वाले कर से 95,349 करोड़ रुपये जुटाए हैं। केंद्र ने राज्यों को इसमें से 15,778 करोड़ रुपये हिस्सा दिया। इस तरह केंद्र सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों से कुल कर संग्रह 79,571 करोड़ रुपये रहा।

केंद्र से अपने हिस्से के रूप में 15,778 करोड़ रुपये लेने के अलावा राज्य सरकारों ने पेट्रोलियम पर और तमाम कर लगा रखे हैं, जिसमें मूल्यवर्धित कर (वैट) भी शामिल है। इसके जरिये राज्यों ने 1,12,723 करोड़ रुपये कमाए हैं। चिदंबरम ने कुछ राज्य सरकारों की ओर से कुछ रसोई गैस सिलिंडरों पर सब्सिडी दिए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए अनुरोध किया कि इस तरह के कदम सभी राज्य उठाएं। केंद्र सरकार ने एक परिवार को 6 सब्सिडी युक्त सिलिंडर दिए जाने की सीमा तय कर दी है। उसके बाद दिल्ली, हरियाणा सहित कुछ राज्यों ने अपने राज्य के गैस उपभोक्ताओं को 3 और सिलिंडर सब्सिडी पर देने का फैसला किया है। इससे सब्सिडी पर मिलने वाले सिलिंडरोंं की संख्या 6 से बढ़कर 9 हो गई है।  वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार गैर सब्सिडी वाले सिलिंडरों पर उत्पाद और सीमा शुल्क नहीं लगाएगी।

इसके पहले एक अधिसूचना में सरकार ने कहा था कि सब्सिडी वाले सभी सिलिंडरों पर सरकार सीमा और उत्पाद शुल्क नहीं लेगी। इस अधिसूचना में संशोधन कर कहा गया है कि सभी सिलिंडर शुल्क मुक्त होंगे। चिदंबरम ने बिहार सरकार द्वारा डीजल पर वैट 18 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत किए जाने की प्रशंसा की और कहा कि इससे वहां के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा वैट कम किए जाने से उसे 1.18 करोड़ रुपये कम आमदनी होगी। राज्य सरकारें डीजल पर वैट लगाती हैं। यह 9.08 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक है। पंजाब सरकार ने जहां डीजल पर 9.08 प्रतिशत वैट लगाया है, वहीं छत्तीसगढ़ में यह 25 प्रतिशत है। पेट्रोल पर मेघालय सरकार 18.41 प्रतिशत वैट लगाती है, वहीं पंजाब में यह 32.59 प्रतिशत है। गोवा इस मामले में अपवाद है, जहां 0.1 प्रतिशत कर लगता है।

सार्वजनिक उपक्रमों की गतिविधियों में लचीलापन लाने के लिए पब्लिक इंटरप्राइजेज डिपार्टमेंट (डीपीई) जल्द कैबिनेट को एक प्रस्ताव भेजा सकता है। यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जो सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को उनकी परिचालन संबंधी गतिविधियों में ज्यादा लचीलापन मुहैया कराएगा। इससे पीएसयू को अपना सालाना लक्ष्य हासिल करने में आसानी होगी। डीपीई के सचिव ओ. पी. रावत ने कहा कि हमें एक मसौदा मिला है।अभी हम इसका अध्ययन कर रहे हैं।



पब्लिक इंटरप्राइजेज विभाग ने मई 2012 में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। इसका अध्यक्ष पी. जी. मानकड को नियुक्त किया गया था। इसका मकसद लक्ष्य तय करने के मौजूदा तंत्र की जांच करना था। इस वर्किंग ग्रुप को एमओयू सिस्टम में सुधार से संबंधित सलाह देने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। मौजूदा एमओयू सिस्टम के तहत वित्तीय व गैर वित्तीय मानकों को समान भारिता (50:50) हासिल है।





फिलहाल सालाना लक्ष्य सिस्टम में पेट्रोल या डीजल के दाम में बढ़ोतरी समेत बिजली और कोयला सेक्टर को हो रही मौजूदा दिक्कतों जैसे मुद्दों को शामिल नहीं किया जाता है। इससे पहले रावत ने कहा था कि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लिए अब सेक्टर-आधारित वेटेज का वक्त आ गया है। इससे उन्हें अपनी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में आसानी होगी।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी. रंगराजन ने उन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि आधुनिक तथा संगठित खुदरा व्यापार के बढ़ने के साथ पास पड़ोस की छोटी किराना दुकानें बंद हो जाएंगी।

रंगराजन ने यहां एक संगोष्ठी में कहा, `छोटे व्यापारी बने रहेंगे। वस्तुत: अंतरराष्ट्रीय अनुभव दिखाता है कि विकसित देशों में जहां बड़े-बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर हैं वहां भी पास पड़ोस की किराना दुकानें गायब नहीं हुई हैं। वे कायम हैं।` उन्होंने कहा कि किराना स्टोरों या परचून की दुकानों का अस्तित्व बना रहेगा और वह आधुनिक खुदरा कारोबार का हिस्सा बन सकते हैं। इसके लिए उन्हें खुद को संगठित करना होगा और संगठित क्षेत्र से जुड़ना होगा।

रंगराजन ने कहा, `किराना स्टोर तथा फेरी वाले आधुनिक खुदरा शृंखला का हिस्सा बन सकते हैं अगर वे खुद को संगठित खुदरा क्षेत्र के साथ जोड़ते हैं, फ्रेंचाइजी आदि के जरिए उनके बैनर के तले खुद को संगठित कर सकते हैं, पूंजी तथा बेहतर प्रशिक्षण के जरिए खुद को अपग्रेड कर सकते हैं।` उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य बाजार क्षेत्र में आधुनिक खुदरा फर्मों की भागीदारी लगभग 25-30 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद इसका असर किराना व छोटे व्यापारियों पर पड़ना स्वाभाविक है। औद्योगिक अनुमानों के अनुसार भारत में संगठित खुदरा कारोबार इस समय पांच प्रतिशत से कम है।

यहां पढ़ें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का राष्ट्र के नाम संबोधन ज्यों का त्यों

मेरे प्यारे भाइयो और बहनो,
मैं आपको बताना चाहता हूं कि कीमतों में इस वृद्धि के बाद भी भारत में डीजल और एलपीजी के दाम बांगलादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान से कम हैं। फिर भी पेट्रोलियम पदार्थपर कुल सब्सिडी 160 हजार करोड़ रुपये रहेगी। स्वास्थ्य और शिक्षा पर हम कुल मिलाकर इससे कम खर्च करते हैं। हम कीमतें और ज्यादा बढ़ाने से रुक गए क्योंकि मुझे उम्मीद है कि तेल के दामों में गिरावट आएगी।

अब मैं खुदरा व्यापार यानि Retail Trade में विदेशी निवेश की अनुमति देने के फैसले का जिक्र करना चाहूंगा। कुछ लोगों का मानना है कि इससे छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचेगा। यह सच नहीं है।

संगठित और आधुनिक खुदरा व्यापार पहले से ही हमारे देश में मौजूद है और बढ़ रहा है। हमारे सभी ख़ास शहरों में बड़े खुदरा व्यापारी मौजूद हैं। हमारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनेक नए Shopping centres हैं। पर हाल के सालों में यहां छोटी दुकानों की तादाद में भी तीन-गुना बढ़ोतरी हुई है। एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में बड़े एवं छोटे कारोबार, दोनों के बढ़ने के लिए जगह रहती है। यह डर बेबुनियाद है कि छोटे खुदरा कारोबारी मिट जाएंगे।

हमें यह भी याद रखना चाहिए कि संगठित खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश की अनुमति देने से किसानों को लाभ होगा। हमने जो नियम बनाए हैं उनमें यह शर्त है कि जो विदेशी कंपनियां सीधा निवेश करेंगी उन्हें अपने धन का 50 प्रतिशत हिस्सा नए गोदामों, Cold storage और आधुनिक Transport व्यवस्थाओं को बनाने के लिए लगाना होगा। इससे यह फायदा होगा कि हमारे फलों और सब्जियों का 30 प्रतिशत हिस्सा, जो अभी Storage और Transport में कमियों की वजह से खराब हो जाता है, वह उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेगा। बर्बादी कम होने के साथ-साथ किसानों को मिलने वाले दाम बढ़ेंगे और उपभोक्ताओं को चीजें कम दामों पर मिलेंगी। संगठित खुदरा व्यापार का विकास होने से अच्छी किस्म के रोज़गार के लाखों नए मौके पैदा होंगे।

हम यह जानते हैं कि कुछ राजनीतिक दल हमारे इस कदम से सहमत नहीं हैं। इसीलिए राज्य सरकारों को यह छूट दी गई है कि वह इस बात का फैसला खुद करें कि उनके राज्य में खुदरा व्यापार के लिए विदेशी निवेश आ सकता है या नहीं। लेकिन किसी भी राज्य को यह हक नहीं है कि वह अन्य राज्यों को अपने किसानों, नौजवानों और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर ज़िंदगी ढूंढने से रोके।

1991 में, जब हमने भारत में उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी निवेश का रास्ता खोला था, तो बहुत से लोगों को फिक्र हुई थी। आज भारतीय कंपनियां देश और विदेश दोनों में विदेशी कंपनियों से मुकाबला कर रही हैं और अन्य देशों में भी निवेश कर रही हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विदेशी कंपनियां Information Technology, स्टील एवं ऑटो उद्योग जैसे क्षेत्रों में हमारे नौजवानों के लिए रोज़गार के नए मौके पैदा करा रही हैं। मुझे पूरा यकीन है कि खुदरा कारोबार के क्षेत्र में भी ऐसा ही होगा।

मेरे प्यारे भाइयो और बहनो,
यूपीए सरकार आम आदमी की सरकार है। पिछले 8 वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत प्रति वर्ष की रिकार्ड दर से बढ़ी है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि गरीबी ज़्यादा तेजी से घटे, कृषि का विकास तेज़ हो और गांवों में भी लोग उपभोग की वस्तुओं को ज़्यादा हासिल कर सकें।

हमें और ज़्यादा कोशिश करने की ज़रूरत है और हम ऐसा ही करेंगे। आम आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए हमें आर्थिक विकास की गति को बढ़ाना है। हमें भारी वित्तीय घाटों से भी बचना होगा ताकि भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास मज़बूत हो।

मैं आपसे यह वादा करता हूं कि देश को तेज और inclusive विकास के रास्ते पर वापस लाने के लिए मैं हर मुमकिन कोशिश करूंगा। परंतु मुझे आपके विश्वास और समर्थन की ज़रूरत है। आप उन लोगों के बहकावे में न आएं जो आपको डराकर और गलत जानकारी देकर गुमराह करना चाहते हैं। 1991 में इन लोगों ने इसी तरह के हथकंडे अपनाए थे। उस वक्त भी वह कामयाब नहीं हुए थे। और इस बार भी वह नाकाम रहेंगे। मुझे भारत की जनता की सूझ-बूझ में पूरा विश्वास है।

हमें राष्ट्र के हितों के लिए बहुत काम करना है और इसमें हम देर नहीं करेंगे। कई मौकों पर हमें आसान रास्तों को छोड़कर मुश्किल राह अपनाने की ज़रूरत होती है। यह एक ऐसा ही मौका है। कड़े कदम उठाने का वक्त आ गया है। इस वक्त मुझे आपके विश्वास, सहयोग और समर्थन की जरूरत है।

इस महान देश का प्रधान मंत्री होने के नाते मैं आप सभी से कहता हूं कि आप मेरे हाथ मज़बूत करें ताकि हम देश को आगे ले जा सकें और अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए खुशहाल भविष्य का निर्माण कर सकें।
जय हिन्द !

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