Monday, March 25, 2013

डेमोक्रेसी लाने के नाम पर देशों की ऐतिहासिक संस्कृति पर बर्बर हमला किया जा रहा है : ए. बी. वर्द्धन

डेमोक्रेसी लाने के नाम पर देशों की ऐतिहासिक संस्कृति पर बर्बर हमला किया जा रहा है : ए. बी. वर्द्धन


नवसाम्राज्यवाद के विरूद्ध वैश्विक जन प्रतिरोध के लिए साहित्यकारों का लगा जमघट…

विश्व के तमाम संसाधनों पर कब्जा जमाने का प्रयास हो रहा है : ललित सुरजन

देश को अपनों से ही खतरा : डॉ. रामजी सिंह

नवसाम्राज्यवाद से क्षेत्रवाद जातिवाद बढ़ा है : वेदप्रकाश

हमारी सोच का स्पेस सिमटता जा रहा है: नूर जहीर

अरविन्द श्रीवास्तव की रिपोर्ट 

बेगूसराय स्थित गोदरगावां के वैदेही सभागार में दो दिनों तक चले समारोह को संबोदित करते हुये कॉमरेड ए.बी. वर्द्धन (ऊपर बायें), ललित सुरजन (ऊपर दायें) एवं समारोह की कुछ झलकियाँ (नीचे)

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव कॉमरेड ए.बी. वर्द्धन का कहना है कि फासिज्म की कल्पना है कि किताबों को जला दें। डेमोक्रेसी के नाम पर उन देशों की ऐतिहासिक संस्कृति पर बर्बर हमला किया जा रहा है।

श्री वर्द्धन 23 एवं 24 को मार्च बेगूसराय के गोदरगांवा स्थित विप्लवी पुस्तकालय के वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन 'वर्तमान संकट तथा प्रगतिशील आंदोलन की चुनौतियां' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 38 मुल्कों के भाड़े के सिपाही सीरिया में लड़ रहे हैं। साम्राज्यवाद क्या है उसकी समझ हमें आनी चाहिये तभी हम नवसाम्राज्यवाद को समझ पायेंगे। मार्क्स ने कहा था – यह जो सर्वहारा वर्ग है वही समाज को बदलेंगे। किसी ने हिंसा को स्थान नहीं दिया। शीतयुद्ध के दिनों अमरीका का हाथ रोकने के लिये सोवियत संघ था। हिटलरी फासिज्म से दुनिया को अपनी कुर्बानी देकर सोवियत संघ ने बचाया था। सोवियत यूनियन खत्म होने से अमरीका बादशाह बन गया अब उसको रोकने वाला नहीं रहा। जनता ने कहा हम हताश हैं लेकिन अमरीका से 90 किलोमीटर दूर क्यूबा चुनौती देने के लिये खड़ा है। वियतनाम ने हो ची मिन्ह के नेतृत्व में जापान, फ्रेंच और अमरीकी साम्राज्यवाद का मुकाबला किया।

'नवसाम्राज्यवाद के विरूद्ध वैश्विक जन प्रतिरोध की दिशा और भारत' विषयक संगोष्ठी में पहले दिन बोलते हुये आलोचक वेदप्रकाश ने कहा कि साम्राज्यवाद ने अपनी स्वार्थों को पूरा करने की जिम्मेदारी नवसाम्राज्यवाद को सौंप दी है। बगैर वामपंथ का साथ लिये हम नवसाम्राज्यवाद से नहीं लड़ सकते। नवसाम्राज्यवाद भूमंडलीकरण का नारा देता है लेकिन इस नारे से देश में क्षेत्रवाद और जातिवाद बढ़ा है इस कारण भारत की राजनीति पूँजीपतियों के हाथ में चली गयी है।

इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये भाकपा के पूर्व महासचिव ए. बी. वर्द्धन ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति शावेज़ के निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुये कहा कि शावेज़ कोई कम्युनिस्ट पार्टी से नहीं थे, वे जनता के थे। वे 58 वर्ष की आयु में चले गये साम्राज्यवादी बाट जोह रहे हैं कि वेनेजुएला कब साम्राज्यवादियों का अड्डा बन जाये। शावेज अमर हो गये हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

एक मिनट मौन के पश्चात उक्त विषय पर प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक व पूर्व सांसद डॉ. रामजी सिंह ने कहा कि विचारों को उन्मुक्त होना चाहिये। आज कांग्रेस ने समाजवाद के साथ-साथ लोकतन्त्र का भी श्राद्ध कर दिया है। गांधी ने कहा था हम पृथ्वी के पति नहीं पुत्र हैं। आज हमारे सामने बाहर से नहीं बल्कि अपने लोगों से खतरा है। साम्यवाद या गांधीवाद अगर अन्तिम व्यक्ति के लिये नहीं सोचता तो वह बेकार है। भारत ही नहीं चीन भी नवसाम्राज्यवाद के कब्जे में है। संघर्ष के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं होता।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रकार व साहित्यकार ललित सुरजन ने की। श्री सुरजन कहा कि विश्व के तमाम संसाधनों पर कब्जा जमाने की साम्राज्यवादी होड़ चल रही है। उन्होंने कहा कि साम्राज्यवाद में प्रत्यक्ष रूप से लूट होती थी और पूँजीवाद में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों रूप से लूट जारी है।

दिल्ली से पधारे प्रो. अजय तिवारी ने कहा कि गाँव में जहाँ ज्ञान के साधन नहीं पहुँचते हैं वहाँ अधिक जिज्ञासा होती है, यह जिज्ञासा पीड़ा से भी जुड़ी होती है। एक ओर अंबानी 54 हजार करोड़ में मकान बनाये हैं वही हमारी बड़ी आबादी 18 रुपये रोज पर जीवन यापन करती है। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिकता अंग्रेजों की देन है, पहला साम्प्रदायिक दंगा 1861 में हुआ था। तानाशाही व धर्मान्धता अमरीकी नीति का हिस्सा है। कोई भी लोकतान्त्रिक राजनीति समाज के दबे-कुचले की उपेक्षा नहीं कर सकती हैगांधी और मार्क्स दोनों दुनिया को बदलना चाहते थे।

लेखिका नूर जहीर ने कहा कि हमारे सोचने के लिए स्पेस सिमटता जा रहा है। ट्रेड यूनियन में मजदूर नहीं पहुँच सके ऐसी व्यवस्था की जा रही है। सभ्य समाज में औरतों पर जुल्म हो रहा है, मज़हब के नाम पर औरतों को नही बाँटा जा सकता क्योंकि सभी की पीड़ा एक सी है।

संगोष्ठी के दूसरे दिन 24 मार्च को 'वर्तमान संकट तथा प्रगतिशील आंदोलन की चुनौतियाँ' विषय पर बोलते हुये वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा कि आज के दौर में एक षड्यंत्र के तहत किसी समस्या को खण्ड-खण्ड कर देखा जा रहा है। भारत का एक नागरिक – एक ओर जहाँ वोटर है, वह कहीं उपभोक्ता भी है! भाषा के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस दिन हिन्दी समाप्त हो जायेगी प्रेमचंद भी खत्म हो जायेंगे। उन्होंने 'जयपुर लिट्ररी फेस्टिवल' पर भी कई सवाल उठाये।

संगोष्ठी में अजय तिवारी, नूर जहीर, वेद प्रकाश, राकेश, रामवचन राय, विजेन्द्र ना. सिंह आदि ने अपने विचार रखे।

इस समारोह के संयोजक राजेन्द्र राजन ने सूचित किया कि डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी अपनी पत्नी की अस्वस्थता की वजह से आयोजन में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने डा. त्रिपाठी के शुभकामना संदेश को पढ़ कर सुनाया।

बेगूसराय स्थित गोदरगावां के वैदेही सभागार में दो दिनों तक चले इस समारोह के प्रथम दिन का संचालन श्री कुन्दन एवं दूसरे दिन का श्री राजेन्द्र राजन एवं प्रो. रामअकबाल सिंह ने किया।

धन्यवाद ज्ञापन अमरनाथ सिंह एवं रमेश प्रसाद सिंह ने किया।

समारोह में विप्लव पुस्तकालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'हाँक' अंक 4 का लोकार्पण उपस्थित साहित्यकारों ने किया।

समारोह के मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना 'कबीर' की मूर्ति, जिसका अनावरण कॉमरेड एबी वर्द्धन ने किया

प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक डा. रामजी सिंह एवं कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव एबी वर्द्धन को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

समारोह का एक मुख्य आकर्षण बीहट इप्टा के दिलीप जी का गायन एवं लखनऊ इप्टा द्वारा ब्रेख्त के नाटक 'नियम और अपवाद' का वेदा राकेश द्वारा मंचन व रंगकर्मी राकेश का संचालन था।

प्रो. शचीन्द्र, अरविन्द श्रीवास्तव, मनोरंजन विप्लवी, कृष्ण कुमार आदि ने उपस्थित रहकर इस महत्वपूर्ण आयोजन की सफलता को सुनिश्चित किया।

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