From: afroz sahil <afroz.alam.sahil@gmail.com>
Date: 2010/9/18
Subject: Postmartem Report of M.C.Sharma
बटला हाउस एनकाउन्टर को अब दो साल पुरे हो चुके हैं. पर तथाकथित शहीद एम्.सी.शर्मा कि मौत आज भी एक पहेली है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट जनता के बीच होने के बावजूद कुछ ख़ास नहीं हो पा रहा है. और शायद पोस्ट मार्टम रिपोर्ट इसी मकसद से ही तैयार कि गयी थी. और इसे बनाने में सारे कायदे-कानून को ठन्डे बसते में डाल दिया गया. अगर बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की करें तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेशानुसार इस प्रकार के केस में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, वीडियो ग्राफी रिपोर्ट के साथ आयोग के कार्यालय भेजा जाए। लेकिन एम. सी. शर्मा की रिपोर्ट में केवल यह लिखा है कि घावों की फोटो पर आधारित सी. डी. सम्बंधित जांच अफसर के सुपुर्द की गई. लेकिन आतिफ और साजिद कि रिपोर्ट में इस तरह कि कोई बात नहीं कि गयी.
बात यहीं ख़त्म नहीं होती, मोहनचंद शर्मा के बुलेट प्रूफ जैकेट न पहनने के सवाल पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिए गए जवाब में दिल्ली पुलिस ने ये दलील दी है की पुलिस अफसरान का उस इलाके में बुलेट प्रूफ जैकेट पहन कर जाना उचित नहीं था, इससे इलाके के लोगों को शक हो सकता था...
पुलिस की ये दलील काफी दिलचस्प है. सबसे ज्यादा सोचने की बात ये है की आखिर उस पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में ऐसा क्या है. जिसे देखने के बाद हर कोई चुप हो जाता है. ये बात मीडिया ने चीख चीख कर कहा की इस पोस्ट मार्टम रिपोर्ट को देखने के बाद हर फोरेंसिक एक्सपर्ट खामोश है, कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. आखिर ऐसा क्यों.. कुछ डोक्टर ने ऑफ दी रिकॉर्ड बताया की इन दो गोलियों की वजह से मौत नहीं हो सकती. बहरहाल मई इस मेल के साथ पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की कॉपी भी भेज रहा हु, इस उम्मीद के साथ की इस आप ध्यान देंगे....
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(Sr.Correspondant)
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Palash Biswas
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