मास्साब
By हरीश पंत on September 13, 2010
(वर्ष 2001 में आकाशवाणी अल्मोड़ा में पढ़ी गई गिर्दा को समर्पित यह कविता उन्हें सुनाई भी गयी थी। इसे उन्होंने पसंद किया। -सम्पादक)
मास्साब !
नहीं ठहरा आपके बस का
न आप जी ही पाये ढंग से
ना ही मरने दिया आपको
अपने खूबसूरत सपनों ने
आप तो जुगाली कर सकते थे
करते भी रहे अपने फलसफों की
बेहतर से बेहतरोत्तर की
पर, किन्तु, परन्तु
के मुद्दे !
ऐसे ही नहीं होने वाले ठैरे हो
मास्साब !
अब समझ में आयी
यह बात
तुम्हारी जुगाली की
आद्र खुशबू भरी घास से
सपने,
वास्तव में सपने ही
होने वाले ठैरे हो मास्साब !
वरना हम
ठीक ठाक से
बिना सपनों के
मजे मार ही तो रहे थे ?
पर, किन्तु, परन्तु !
कुछ और, और ;
और के चक्कर में
बिखरते से, बिसुरते से
मायावी चक्करों का
यह जाल
समझ ही नहीं पाये
हो मास्साब !
हरीश पन्त
30-04-2001
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- होली के हुड़दंग से हिमालय की शांत वादियों में - 2
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- सम्पादकीय : क्या ऐसे बचेंगे जंगल!!
- प्रमोद जोशी: मुख्य धारा का तैराक
- पौड़ी: करोड़ों बहाकर भी न बुझी प्यास
- आइये ठंडे दिमाग से इस हिंसा का जवाब ढूँढें
- वर्ष: 33, अंक: 16 || 01 अप्रेल से 14 अप्रेल 2010 [दिखायें]
- होली के हुड़दंग से हिमालय की शांत वादियों में
- गुजरात में देश भर की भाषाओं का संगम
- इस बार ज्यादा भागीदारी भरा रहा उमेश डोभाल समारोह
- आपदा राहत कोष की बंदरबाँट
- ब्रिटिश गुलामी का यादगार: राष्ट्रमंडल खेल
- श्मशानवाणी का यह खड़खड़ी केन्द्र है.......
- महिला अदालत: न वकील न जज, न्याय फटाफट
- वनाधिकार कानून लागू करवाने के लिए जरुरत है एकजुट संघर्ष की
- केदार सिंह कुंजवाल: एक कर्मयोगी को समझने की कोशिश
- स्वस्ती – श्री : नरेगा किसके लिये??
- चिट्ठ्ठी – पत्री : पूरे पहाड़ के कण-कण से परिचय
- सम्पादकीय : आर्थिक पैकेज, सब मौसेरे भाई
- इस तरह बीस साल बाद पौड़ी कहाँ होगा ?
- नाक के नीचे से पेड़ गायब
- वे नहीं चाहते तराई में साम्प्रदायिक सद्भाव
- वर्ष: 33, अंक: 15 || 15 मार्च से 31 मार्च 2010 [दिखायें]
- क्यों नहीं बनी जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति
- क्या महिलाओं को पूर्ण अधिकार दिला पाएगा 'महिला आरक्षण विल' ?
- आशल – कुशल 15 मार्च से 31 मार्च 2010
- आबकारी विभाग गंगोलीहाट में क्यों बिकवाना चाहता है शराब ?
- उमेश डोभाल की याद में
- कब शामिल होंगी गढ़वाली-कुमाउनी भाषा आठवीं अनुसूची में
- बच्चों की लेखन कार्यशाला' का आयोजन
- एक सांस्कृतिक कैसेट
- चिट्ठी पत्री : शम्भू जी की वल्गर तरंग
- सम्पादकीय : विधानसभा में अराजकता
- पंचेश्वर बाँध: झेलनी ही होगी एक और बड़े विस्थापन की त्रासदी
- तय है अल्मोड़ा नगरपालिका का दिवाला निकलना
- राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना के नाम पर किया जा रहा है ग्रामीणों का उपहास
- वर्ष: 33, अंक: 14 || 01 मार्च से 14 मार्च 2010 [दिखायें]
- भष्टाचार की भेंट चढी़ विष्णगाड़ जल विद्युत परियोजना
- कटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
- नैनीताल को बचाने के लिये जबर्दस्त संकल्प की जरूरत है
- निर्मल पांडे: कहाँ से आया कहाँ गया वो
- नियम विरुद्ध करवाए गए सरमोली-जैंती वन पंचायत चुनाव
- उत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!
- नदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारी
- अपने मजे का मजा ठैरा दाज्यू
- दुःखद है ऐसे प्रकृतिप्रेमियों का जाना
- शराब माफिया व प्रशासन के खिलाफ उग्र आन्दोलन की तैयारी
- स्पष्ट दिशा के अभाव में बद्तर होते राज्य के हालात
- क्यों बढ़ रहा है मनुष्य व जंगली जानवरों के बीच संघर्ष ?
- ''तब के आई.सी.एस. साइकिल पर जाते थे या फिर इक्के पर''
- 'कैंपेन फार ज्यूडिशियल एकांउटेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स' का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन
- नहीं भुलाया जा सकता चन्द्रसिंह शाही का योगदान
- वर्ष: 33, अंक: 13 || 15 फरवरी से 28 फरवरी 2010 [दिखायें]
- छटा अद्भुत बन आई, शंभू ने आज होली मचाई
- संघर्षों की जले मशाल
- वाह फागुन की हवायें...... होली है !
- पकौड़ी की कौन सोचे ?
- भज भक्तन के हितकारी, सिरी कृष्ण मुरारी
- यो वसन्त हो कैका घर जाये ?
- सौल कठौल: सतरंगी छलड़ी कैका घर
- बगरो बसंत है : घायल वसन्त और होली
- संपादकीय: कैसे बने समाज ज्यादा सहनशील?
- इस तरह मनाई जाती है नंधौर घाटी में होली
- काहे से खेलूँ सजनी होली ?
- होली का सामाजिक पक्ष
- पद्यात्मक होली
- वर्ष: 33, अंक: 12 || 01 फरवरी से 14 फरवरी 2010 [दिखायें]
- संघर्षों की जले मशाल
- पृथ्वी हारी, मल्टीनेशनल जीते
- पौड़ी की दु:खती रग है - इसकी उपेक्षा
- बिनसर वन्य जीव विहार: जंगली जानवरों से त्रस्त जनता का क्रंदन
- बागेश्वर में लगातार हो रही हत्याओं पर उबली जनता
- बिजली परियोजना में धांधली के विरोध में मुनस्यारी में न्याय रैली
- जोशीमठ: सुरंग निर्माण में फूटे स्रोत से खतरे में जनजीवन
- आस्था छोड़ मौजमस्ती का हुआ उत्तरैणी मेला
- किसानों के हक की बात नहीं कहती नई कृषि नीति
- जन आन्दोलनों पर माओवाद का ठप्पा लगाने का प्रयास
- चिट्ठी-पत्री : निष्पक्ष पत्रकारिता का पर्याय नैनीताल समाचार
- महात्मा, माओवाद और मोदी
- चलो, पता तो करें, हम कहाँ जा रहे हैं
- हम इस गणतंत्र के काबिल नहीं
- वर्ष: 33, अंक: 11 || 15 जनवरी से 31 जनवरी 2010 [दिखायें]
- कमांडेट नवानी को याद किया
- अल्मोड़ा के बच्चे चिन्तित हैं शहर के हालातों से...
- कछुआ चाल से चल रही है नरेगा
- मनोज पाल की याद
- अब पंतनगर विश्वविद्यालय की शामत
- डोल का बंगला तो नमूना है पहाड़ में अफसरों की ऐयाशियों का
- जयदत्त वैला: वे ताउम्र गांधीवादी मूल्यों से जुड़े रहे
- सरकारी वकीलों की लापरवाही से रेता-बजरी का संकट
- अब शिक्षक चल पड़े हैं शिक्षा की मशाल जलाने
- कैसे-कैसे मील के पत्थर....
- लूटो-खसोटो, उत्तराखंड है ही इसलिये
- वह उत्तरायणी अब कहाँ... ?
- आशल-कुशल : 15 जनवरी से 31 जनवरी 2010
- वर्ष: 33, अंक: 10 || 01 जनवरी से 14 जनवरी 2010 [दिखायें]
- पहली बरसी पर सखा सत्यम को श्रद्धांजलि
- दगड्या, दगडू नि रैणो सदानी
- उनके साथ रह कर मैंने धैर्य और सहिष्णुता का मतलब जाना
- छ्वी बथ
- थोड़े शब्दों में बड़ी बात कहने का हुनर ...
- हिन्दुस्तान के मीडिया की इनसाईड स्टोरी
- अलविदा! राजू भाई, अलविदा!
- आतंक के बीच वह साहस तो अद्भुत था.... '
- किताबों के बारे में
- साल का एहतेराम
- वर्ष 2009 ? ......मगर उम्मीद पर तो दुनिया जीती है !
- विकास कार्यों के बदले मेले-उत्सवों से बहलाने की कोशिश
- राजेन्द्र रावत 'राजू'
- समाज को जीवन्त बनाने के लिये वे धीमी लौ जलाते रहे
- पापा पास होते तो डिक्शनरी की जरूरत नहीं पड़ती थी
- शिक्षा के लिये पलायन कर रहे हैं लोग
- नदी अभियान की समीक्षा
- शरदोत्सव समिति की उपेक्षा के बावजूद रंगकर्मियों ने क्षमता दिखलाई
- हम तुम्हें हमेशा याद रखेंगे राजू!
- आशल-कुशल – 1 जनवरी से 14 जनवरी 2010
- अब पंचेश्वर को लेकर सरगर्मी
- नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित नया अंक
- वर्ष: 33, अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2009 [दिखायें]
- .....मौत तो एक दिन आनी ही है !
- ''वन्य जीवों के व्यवहार के बारे में तो पढ़ाया जाना चाहिये''
- ब्रजेन्द्र लाल साह के रचना संसार का परिचय
- स्वस्ती श्री: बाजार से दवाई खरीदना हर किसी के बस की बात तो नहीं
- चिट्ठी पत्री : पूर्व निर्धारित मानसिकता के आधार पर सिर्फ खुन्दक न निकालें !!
- वाह हल्द्वानी !....... जमीन भी हिन्दू और मुसलमान होने लगी अब ?
- सड़क न होने से बूढ़ाकेदार से कट रहे हैं तीर्थ यात्री
- सत्ता से बाहर यानी जनता से प्रेम
- चमोली जिले में एक राजमार्ग ही गायब हुआ !
- ताउम्र आन्दोलनों की नींव के पत्थर बने रहे राजा बाबू
- वैंकी को नोबेल पुरस्कार तो मिल गया, मगर....
- पहाड़ पर साफ दिखाई दे रहा है जलवायु का बदलना
- आरक्षण से वंचित अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लोग
- छायाकार बृजमोहन जोशी को प्लैटिनम ग्रेडिंग
- वे हमें साधनों का सदुपयोग सिखा गये
- एक कर्मनिष्ठ और अनुशासित विद्वान थे प्रो. अग्रवाल
- अस्पताल सिर्फ रेफर करने के लिये है
- 'बाल प्रहरी' ने किया आयोजन
- आशल-कुशल : 15 से 31 दिसंबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 08 || 01 दिसंबर से 14 दिसंबर 2009 [दिखायें]
- इलीनोर ओस्ट्राम के साथ हिमालय की पारम्परिक व्यवस्थायें सम्मानित हुईं
- निशंक से कितने सशंक हैं पिथौरागढ़ के लोग ?
- वीरान पड़ा है प्रदेश का पहला ईको पर्यटन केन्द्र
- खेती किसानी की लूट का असली चेहरा
- भूल सुधार: क्या पहाड़ के सिपाही के जीवन का मूल्य कम होता है ?
- नैनीताल समाचार के वे अभिभावक थे
- पहाड़ की चिन्ता उन्हें महानगर से वापस खींच लाई !
- उल्टा पड़ गया हे.न.बहुगुणा विश्वविद्यालय को केन्द्रीय बनाने का दाँव
- तेरहवीं पुण्यतिथि पर गोपाल बाबू गोस्वामी की याद
- भविष्य के लिये आशा जगाती रचनाकारत्रयी
- किताबों के बारे में
- ये तमाम गैर सरकारी संस्थायें कर क्या रही हैं ?
- कितना कारगर होगा यह बीमा ?
- वाह हल्द्वानी ! .... जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं लोग
- आशल-कुशल - 01 दिसंबर से 14 दिसंबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 07 || 15 नवंबर से 30 नवंबर 2009 [दिखायें]
- नौ साल बीते, नहीं मिली राजधानी
- बहुत सी नजरें टिकी हैं चंडाक की खूबसूरत जमीन पर
- गैरसैंण में एक बार फिर गूँजे नारे
- हेम चन्द्र शर्मा बहुत दुःखी हैं....
- 2010 'नदियों को मुक्त करो वर्ष' होगा
- कम्पोजिंग के जादूगर थे आनन्द मास्साब
- आशल-कुशल 15 नवम्बर से 30 नवम्बर 2009
- कर्मठ और व्यवहारकुशल सामाजिक कार्यकर्ता हैं पूरन सिंह रावत
- ठेकेदार राजनेताओं और एन.जी.ओ. ने मिल कर छीन लिया सारा प्रतिरोध
- वन अधिनियम की जटिलताओं को समझे बगैर संभव नहीं विकास कर पाना
- हिन्दी पत्रकारिता के शलाका पुरुष को नमन !
- नैनीताल में पहली बार एक फिल्म समारोह सम्पन्न हुआ
- मसूरी में वृद्धजनों की पहल
- क्या गिद्ध अब लौटेंगे ?
- सिर्फ जुआरियों का जमघट नहीं है लधौनधूरा का मेला
- नया अंक 15 नवंबर से 30 नवंबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 06 || 01 नवंबर से 14 नवंबर 2009 [दिखायें]
- तो चलिये, सतोपंथ एक्सप्रेस को हिमालय तक पहुँचायें
- मुहब्बत के गुनहगारो ! कुछ तो शर्म करो
- चम्पावत और अल्मोड़ा में 'पहाड़'
- बच्चे कितना कुछ जानते हैं
- आशल-कुशल : 01 नवंबर से 14 नवंबर 2009
- विषमता के पर्वत
- एक औरत
- सीमान्त क्षेत्र में एक संवेदनशील फौजी मददगार
- 'सरकारी उपेक्षा के बावजूद पनप रही है लोक संस्कृति'
- चिठ्ठी पत्री: बाकी ईश्वर मालिक है इस देश का
- जनता की सहभागिता से चले पर्यटन
- यह किस अंधेरी गुफा में जा रही है उत्तराखंड की राजनीति ?
- उन्होंने कहा उन्हें ऐसा विकास नहीं चाहिये, उन्हें मिली जेल
- नया अंक : 01 नवंबर से 14 नवंबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 05 || 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2009 [दिखायें]
- बद्रीनाथ: मास्टर प्लान के जरिये होगी तीर्थ नगरी सुव्यवस्थित
- चर्च की भूमि बिल्डर को देने की तैयारी
- चिठ्ठी पत्री : शिक्षा व्यक्तित्व के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है
- जयन्ती के अवसर पर तलाश, महात्मा गांधी की
- अस्पताल छूटा पर मरीज नहीं छूटे रहमान जी के
- जन्म शताब्दि पर लौह पुरुष पंडित देवराम नौटियाल को श्रद्धांजलि!
- लोहाघाट: बदहाल और लापरवाह आपदा तंत्र
- अलविदा: महावीर प्रसाद गैरोला
- ये कैसी श्रद्धांजलि!
- दोषी है चयन प्रक्रिया व स्थानान्तरण नीति
- यह कैसा गांव भूमि हस्तांतरण
- आशल-कुशल - 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2009
- एक और एनकाउंटर: सोये रंगकर्मियों को जगाने की कोशिश
- कला का उद्देश्य उत्कृष्ट सृजन व बेहतर समाज का निर्माण है
- जन्मदिन पर याद किया धर्म सिंह रावत को
- अपनों ने ही भुला दिया देवी दत्त शर्मा को
- पर्यटन प्रदेश में तीर्थयात्रियों की लूट-खसोट
- शिक्षा का राजनीतिकरण बंद हो
- कब पूरा होगा रेल का सपना - भाग 1
- नया अंक : 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 04 || 01 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2009 [दिखायें]
- चीनी घुसपैठ को लेकर सनसनी फैला रहा है मीडिया
- तन से कीमती है घास का तिनका
- चिठ्ठी पत्री : बीच की सीट पर मुझे बैठने देगा तो आधा संतरा दूँगा।
- यह एक नये किस्म का पलायन है
- सम्पादकाचार्य की याद में शोध ग्रन्थ
- राजनीतिक गुंडों से भयभीत है दुर्बलों को पीटने वाली मित्र पुलिस
- ट्रेल पास अभियान: संकल्प के सामने बौनी हुई विकलांगता
- एक लीसा फैक्ट्री भी नहीं चल पा रही गढ़वाल मंडल विकास निगम से
- आशल-कुशल 01 से 15 अक्टूबर
- स्वच्छता दिवस 2009: बहुत कठिन है मानसिकता बदलना
- स्वाइन फ्लू तो वैश्वीकरण का उपहार है
- सरकारी आदेशों के बावजूद रुक नहीं पा रहा विद्युत परियोजनाओं का काम
- बिल्डर के खिलाफ जंग
- कस्तूरी मृगों का अस्तित्व खतरे में
- नया अंक : 01 से 14 अक्टूबर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 03 || 15 सितम्बर से 30 सितम्बर 2009 [दिखायें]
- सौ दिन में जाँच नहीं हो सकती है इस सरकार की
- तराई में खूनी जंग के आसार
- कुम्भ मेला आ रहा है, गंगा साफ सुथरी तो रहे
- चिठ्ठी पत्री: मैन 'निशंक' कै 'त्रिशंक' पढ़ौ
- किताबों के बारे में: वह अविस्मरणीय देश
- गैरसैंण को लेकर सरगर्मी तेज
- अब प्रवास में भी बनी एक पार्टी
- इन बिल्डरों पर किसी का बस नहीं
- कुमौड़ की हिलजात्रा
- श्रावण मास में भी पशुबलि होती है नन्दा ठोंगी मन्दिर में
- आठ साल से मुआवजे की राह देख रहे हैं आपदा पीड़ित
- इस बार उद्वेलित रही केदार घाटी
- आशल-कुशल - अगस्त-सितंबर 2009
- 'मेरे चित्रों में अनुशासन नहीं, कबीर जैसी अराजकता है'
- उन्होंने सीमान्त में शिक्षा की ज्योति जलाई
- मसूरी को लेकर सदैव बेचैन रहे पँवार जी
- उद्योग के नाम पर भवन कब्जाया
- 'पीन' अप गर्ल उर्फ उत्तराखंड की नायिका कथा
- कहाँ गईं चिड़ियायें ?
- अब वैसा नहीं रहा है गंगा का मायका
- श्रीनगर परियोजना तो मनमानी से चल रही है
- नया अंक : 15 से 30 सितम्बर 2009
- वर्ष: 33, अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2009 [दिखायें]
- बत्तीस वर्ष पूरे, शिक्षा अंक और समाचार की वैब साइट
- शिक्षक! मेरे बच्चे को लूट की तरकीब मत बताना
- किस रास्ते पर चल रही है हमारी शिक्षा ?
- चिट्ठी पत्री: बुढ़ाती ऊर्जावान पीढी और ना गछाया हुआ हरेला
- पुलिस की बर्बरता और अक्षमता का नतीजा है कालाढूँगी कांड
- स्मृति से मिट नहीं पायेंगे ला, पनेलिया और झेकला के दृश्य
- वे उत्तराखंड में मिलना चाहते हैं
- जनता की सक्रियता रंग ला रही है
- क्या ऐसे दुग्ध क्रांति होगी ?
- आशल कुशल अगस्त-सितंबर 2009
- दमन का दुष्चक्र और मणिपुर की मौन त्रासदी
- बागेश्वरवालो: बहुत बढ़िया मौका चूक गये रे तुम !
- ए गमे दिल क्या करूँ
- रियासत मुक्ति आन्दोलन से राज्य आन्दोलन तक का सफर
- अलविदा गौतम दा !
- स्वच्छता को लेकर जन-जागरूकता पैदा कर रहा है 'मैत्री' संगठन
- दीप जोशी को समझने के लिये विकास के क्रम को समझना होगा
- कथा - व्यथा: सौंग - शामा
- एडुसैट यानी शेखचिल्ली का सपना
- आई.आई.एम. मामले में नाकारा रही सरकार
- शिक्षकों के सम्मेलन में शिक्षा की बात नहीं हुई
- शिक्षा तो खुशहाल समाज बनाने का जरिया है
- जरा सोचें, हम स्कूलों को सृजनशीलता की कब्रगाह तो नहीं बना रहे हैं
- यह शिक्षा दो तरह की दुनिया का निर्माण कर रही है
- यह पूरी व्यवस्था ही डर पर आधारित है
- कितना अच्छा होता
- शिक्षा का रास्ता पेट से होकर जाता है
- क्यों पढ़ाई में पिछड़ रही हैं उत्तराखंड की बेटियाँ
- एक शिक्षक की डायरी
- गंगा
- बहुत समय लगेगा उच्च शिक्षा को पटरी में लाने के लिये
- महासू के मन्दिर में घटी घटना शर्मनाक है
- उच्च शिक्षा यानी 'वन नाईट फाईट'
- गनीमत है मैं आठवीं जमात से आगे नहीं गया....
- आँकड़ों के आइने में उत्तराखंड की विद्यालयी शिक्षा
- वर्ष: 32, अंक: 24 || 01 अगस्त से 14 अगस्त 2009 [दिखायें]
- तालिबानी उत्तराखंड के भीतर तक घुस आये हैं
- क्या अब भी नहीं मिलेंगी परिसम्पत्तियाँ
- ये परियोजनायें तो महज पैसा कमाने के लिये हैं
- स्वस्ती श्री
- घराटों को लेकर खींचतान
- अब मिल पायेगा पीने के लिये पानी
- बारिश के बगैर भी पहाड़ों का रड़ना-बगना शुरू
- चिठ्ठी पत्री
- 2010 के कुम्भ मेले के लिये तैयार हो रहा है हरिद्वार
- जलवायु परिवर्तन की मार उच्च हिमालयी इलाकों पर भी पड़ रही है
- वह 'देवत्व' तो अब दिखाई नहीं दे रहा है देवभूमि में
- ये खेल तो जोशीमठ की तबाही का कारण बन रहे हैं
- स्वतंत्रता सेनानी भवानी दत्त जोशी: जिन्हें हम भूल गये
- अमर सिंह जैसे अन्वेषकों की आज भी जरूरत है
- नारायण राम दास: कठिन संघर्ष के 63 साल
- 'विरासत' के बहाने हबीब तनवीर को श्रद्धांजलि
- साइबर अपराधों का गढ़ बन रहा है उत्तराखंड
- वर्ष: 32, अंक: 23 || 15 जुलाई से 31 मार्च 2009 [दिखायें]
- भू माफियाओं को अब नहीं सहेंगे पहाड़ के लोग
- अब तो पानी के बारे में सोचना ही पड़ेगा
- कॉर्बेट पार्क में एक अभिनव प्रयोग
- लो साहब गुजर गये शादियों के भी दिन !
- रॉयल राइफल्स के फौजी हमजोली
- वन ग्रामवासी अब संगठित हो रहे हैं
- शिक्षा के पहरुए भी हो सकते हैं बच्चे
- उसे ले गए
- हरेले के तिनड़े के साथ जी रया जाग रया
- सरकारी धन की बर्बादी का नायाब नमूना है रामनगर का ट्रांसपोर्ट नगर
- खबरदार! ठुलीगाड़ का पानी मत पीना
- 'उत्तराखंड खबर सार' ने पूरे किये दस साल
- पैसे दो, खबरें लो
- मेरा गाँव, मेरे लोग. समापन किस्त
- इस बार 'इक्वाइन इनफ्लूइंजा' ने कहर बरपा किया घोड़ों-खच्चरों पर
- वर्ष: 32, अंक: 22 || 01 जुलाई से 14 जुलाई 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 21 || 15 जून से 30 जून 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 20 || 01 जून से 14 जून 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 19 || 14 मई से 31 मई 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 18 || 01 मई से 14 मई 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 17 || 14 अप्रेल से 30 अप्रेल 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 16 || 01 अप्रेल से 14 अप्रेल 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 15 || 15 मार्च से 31 मार्च 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 13-14 || 15 फरवरी से 14 मार्च 2009 [दिखायें]
- सीमान्त क्षेत्र में चोरों की मौज है
- धीरे चलूँ घर सास बुरी है...धमकि चलूँ ?
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 21
- थरूवाटी होली
- एक बाघ उ.प्र. में !
- जी रौं लाख सौ बरीस!
- बच्चों की कार्यशाला.... अरे कान्हा बजै गयो बाँसुरिया
- रामनगर में वसंतोत्सव सम्पन्न
- अब राग रंग को तबाह करने वाली सत्यानाशी शराब के खिलाफ ग्रामीण
- बाबू बन कर रह गये हैं प्राइमरी अध्यापक
- हाँ..हाँ रे आन्दोलनकारी..... क्यों गई तेरी मति मारी
- होली..कैसी..कैसी..ऐसी...वैसी....
- अब ठोस एक्शन प्लान पर हो नदी बचाओ अभियान
- स्मृति शेष: पद्मादत्त पंत
- जमीन को लेकर शुरु हो सकती है खून की होली
- कमीशन खाने खिलाने के लिये है हरियाली परियोजना!
- देशभक्त रामदेव को राष्ट्रध्वज के सम्मान का ख्याल नहीं
- नैनीताल से सटे गांवों में भी पड़ी है सूखे की मार
- लाठियों के सहारे दमन
- चैतलकोट का भू-स्खलन-ताजा स्थिति
- चिपको पर बहस
- चाय की चुस्कियाँ : यशपाल
- समाचार पत्रों का विराट रूप : महावीर प्रसाद द्विवेदी
- होलियारविहीन वोट का स्वांग
- इस बार : गिर्दा
- वसंत : कुछ कवितायें
- संविधान के नये प्रारूप की उद्देशिका
- लोक और शास्त्र का अद्भुत समन्वय है होली
- होली बागेश्वर की
- होली दमित भावनाओं का रेचन है.. मगर संस्कृति की ठेकेदारी ?
- पौड़ी की होलियों की जान थे दयासागर धस्माना
- तेरे बिरज में शूक बहुत हैं.... मुटियाय रहे रसिया
- आज को बसन्त सूचना व लोक सम्पर्क विभाग का घर
- वर्ष: 32, अंक: 12 || 01 फरवरी से 14 फरवरी 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 11 || 15 जनवरी से 31 जनवरी 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 10 || 01 जनवरी से 14 जनवरी 2009 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 08 || 01 दिसम्बर से 14 दिसम्बर 2008 [दिखायें]
- फौज ने ही बेच डाली सरहदी भूमि !
- हैवानियत और बेशर्मी की मिशाल है प्रीति हत्याकांड
- क्या होगा स्थानीय लोगों का
- राष्ट्रीय शोक: राजनीति ने गड़बड़ाया देश का मोराल
- होण्डा पावर प्रोडक्ट्स: पलायन के खिलाफ मजदूर संघर्ष की राह पर
- अनशन खत्म, अब जायेंगे देहरादून
- नहीं रहे नारायण चन्द्र भारती !
- प्राग फार्म के पट्टे निरस्त कर उद्योगपतियों को देने की तैयारी तो नही
- लोकतंत्र के लिये चुनौती
- बच्चे कितना कुछ जानते हैं
- कौसानी में जुटे देश भर के साहित्यकार
- मनिया के साथ मुनस्यारी - 2
- साहसिक पर्यटन संस्थाओं पर केस कर बचना चाह रहा है प्रशासन
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 16
- वर्ष: 32, अंक: 07 || 14 नवंबर से 30 नवंबर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 06 || 01 नवंबर से 14 नवंबर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 05 || 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 04 || 01 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 03 || 15 सितम्बर से 30 सितम्बर 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 32, अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2008 [दिखायें]
- नदी अंक के साथ 32 वें वर्ष में प्रवेश
- ...सिर्फ उनकी नजरों के लिये जिन्हें नैनीताल समाचार की परवाह है
- नदी-अंक की कवितायें
- सेवाग्राम घोषणा व शपथ
- डी.डी.पंत की विरासत और उक्रांद : चिट्ठी पत्री
- स्वस्ती श्री : बनाओ अपनी अपनी बिजली
- नदी परियोजनायें: बेहतर विकल्प ढूँढें वैज्ञानिक और विशेषज्ञ
- हरा समंदर गोपीचंदर बोल मेरी मछली कितना पानी.....
- 'नदियों ने मनुष्य की चेतना और सभ्यता को इस मुकाम तक पहुँचाया'
- 'बलिया' नाम जलधार
- डामा खातीर
- एक और आत्महत्या....
- सौल कठौल :दूध माँगोगे खीर देंगे...कश्मीर माँगोगे चीर देंगे!
- सिर्फ एक स्थान विशेष नहीं है गैरसैण
- जल विद्युत परियोजनाओं पर श्वेतपत्र जारी करे उत्तराखंड सरकार
- इस बार तबाही लेकर आयी है बरसात
- ईष्र्या, द्वेष और लालच की प्रवृत्ति पर चुटीला व्यंग्य है 'पाणि'
- गलत निर्माण से भी होती हैं दुर्घटनायें
- एक अभियान मैकतोली पर
- यह दिग्भ्रमित छात्र राजनीति खतरनाक है भविष्य के लिये
- तोड़फोड़ से सकते में हैं कुमाऊँ वि.वि. के अध्यापक और कर्मचारी
- निशंक के कदम अब मुख्यमंत्री की कुर्सी की ओर
- भैजी चरौनी भैंसी......भौजि बणिगो सभापति
- पुरातत्व विभाग की लापरवाही से नष्ट हो रहा है शिव का त्रिशूल
- अभिव्यक्ति की आजादी का मखौल बन गया है
- क्या यह पत्रकारिता है ?
- स्मृतिशेष: कव्वाली गाते हुए गये अब्दुल वजीर (पच्चू)
- क्या संदेश देने जा रहे हैं पंचायत चुनाव ?
- गढ़वाल के यातायात के इतिहास का एक शानदार अध्याय
- चमोली में रोजगार गारंटी योजना भी भ्रष्टाचार में समा गई है
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 10
- वर्ष: 31, अंक: 24 || 01 अगस्त से 14 अगस्त 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 31, अंक: 23 || 15 जुलाई से 31 जुलाई 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 31, अंक: 22 || 01 जुलाई से 14 जुलाई 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 31, अंक: 21 || 15 जून से 31 जून 2008 [दिखायें]
- वर्ष: 31, अंक: 20 || 01 जून से 14 जून 2008 [दिखायें]
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 05
- आपदा प्रबंधन को अपनी आन्तरिक आपदा से मुक्त होना होगा
- ये घटनायें अच्छे भविष्य का संकेत नहीं हैं
- ध्वस्तीकरण तो रुका पर आगे ?
- हर तरह के कायदे-कानून से मुक्त है यह विश्वविद्यालय
- निशंक की कथाकृतियाँ
- चिट्ठी-पत्री : गंदगी देखकर दुःखद आश्चर्य!
- तीन विभागों के झगड़े में फँसा है एक गाँव
- आदिवासी कानून से ग्रामीणों की किस्मत बदल सकती है
- नये पंचायत कानून की कवायद
- शांति यात्रा रोकी
- कैलाश बिष्ट को सब जानने लगे हैं
- आखिर नदी बचाओ अभियान ने सरकार के दरवाजे पर दस्तक दी
- लोकवाद्यों के संरक्षण का प्रयास
- सरयू के संभावित डूब क्षेत्र में एक यात्रा
- वर्ष: 31, अंक: 19 || 15 मई से 31 मई 2008 [दिखायें]
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 04
- राजनीति का शिकार हो गई है बद्री-केदार समिति
- क्या खगौती देवी की आत्महत्या के बाद बेहतर होगी शिक्षा व्यवस्था
- ध्वस्तीकरण से खलबली मची
- चिट्ठी-पत्री : सदानीराओं के दिन बहुरेंगे?
- स्वस्ती श्री: प्रधान ज्यू चीड़ाक बोट झन लगाया हो..
- हमारा समाज और साहित्य में महिलायें
- आजादी के लिये तिब्बतियों का स्वदेश कूच
- तो इस तरह जीत ली गई नैनीताल बैंक की अस्मिता की लड़ाई
- सेंचुरी मिल के झाँसे से बीमार रहने लगे हैं लोग
- संघर्ष ही जीवन की कथा रही
- धर्मसिंह रावत की जरूरत तो अभी बनी रहेगी
- सुमन से क्यों डरती है सरकार
- वर्ष: 31, अंक: 18 || 01 मई से 14 मई 2008 [दिखायें]
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 03
- कब तक मरती रहेंगी नर्मदायें ?
- क्या यह राजनैतिक दलों से मोहभंग की शुरूआत है ?
- एक बार फिर से एडसिल
- चिट्ठी-पत्री: पत्रकारिता करना तो आज पैसा कमाने का जरिया बन गया है
- स्वस्ती श्री : क्या नैनो जरूरी है?
- जब लोग ही इस पवित्र जल को नहीं बचा पा रहे हैं
- एक लाख मरीज और अस्पताल खुद बीमार!
- क्या इस साल चालू हो जायेगा मेडिकल कॉलेज
- जबर्दस्त भ्रष्टाचार हावी है विष्णुगाड़-पीपलकोटी परियोजना में
- महिलाओं ने फिर से शराब पर हल्ला बोला
- चेतना आन्दोलन की पदयात्रा: यहाँ माइक्रोप्लान तक ठीक नहीं बने हैं
- इस बार उमेश डोभाल को श्रीनगर में याद किया गया
- नातियों को लेकर व्याकुल है सोबती देवी
- यादगार रहेगी वह केदारनाथ यात्रा
- सुअरों के बाद अब सरकारी खाद ?
- बागेश्वर की चिन्ता दिल्ली से
- बागेश्वर में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी
- भारतीय आध्यात्मिकता को सर्वसाधारण को सुलभ कराया महर्षि ने
- पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर सकी जलक्रीड़ा प्रतियोगिता
- वर्ष: 31, अंक: 17 || 15 अप्रेल से 30 अप्रेल 2008 [दिखायें]
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 02
- मुख्यमंत्री ने आन्दोलनकारियों की सुध ली
- नेपाल में नया सूर्योदय
- अब भुखमरी से भी मौतें!
- सम्मान तो आपको जनता ने दिया ही है पँवार जी!
- चिट्ठी पत्री: राम से बढ़ कर रामकथा है
- गंभीर नहीं हैं प्रदेश के कर्मचारी-शिक्षक नेता
- बागेश्वर: होली का उल्लास हत्या ने छीना
- राजनैतिक बन्दियों के साथ उचित व्यवहार करने की माँग
- वर्ष: 31, अंक: 16 || 01 अप्रेल से 14 अप्रेल 2008 [दिखायें]
- मेरा गाँव, मेरे लोग - 01
- होली-2008 : मेरि बारी, मेरि बारी, मेरि बारी,
- पुलिस को तो मालूम ही नहीं कि प्रतिबंधित क्या है
- शिक्षा की तो पूरी सोच बदलने की जरूरत है
- चिट्ठी-पत्री : ये टाइम- बेटाइम केवल महिलाओं व लड़कियों के लिये ही क्यों?
- इतराने लायक क्या है खंडूरी सरकार के एक साल के कार्यकाल में ?
- मग्रास सिर्फ एक सपने का नाम नहीं है
- यह कैसी छात्र राजनीति है ?
- कब बनेगा चौरास का पुल ?
- सिर्फ समारोह मनाने मात्र से नहीं बच सकेगी उमेश डोभाल की परम्परा
- वर्ष: 31, अंक: 15 || 15 मार्च से 31 मार्च 2008 [दिखायें]
- रंग तो कई हैं पर अपना रंग हल्का
- हाँ रे गोरी सब रस चूनर भीजि रयो
- सौल-कठौल : पंडित जी की याद
- हमारी होली-दीवाली तो जनप्रतिनिधियों ने बदरंग कर दी
- गूंजी कुमाऊँ महोत्सव की धमक
- सरयू लोकादेश, सौंग और सरयू गीत
- कुछ कविता कुछ गीत: होली 2008
- बगरो बसंत है-होली 2008
- म्याँमार (बर्मा) में होली
- अब मीडिया से संचालित हो रहे हैं त्यौहार
- वर्ष: 31, अंक: 14 || 01 मार्च से 14 मार्च 2008 [दिखायें]
- नदियों की चिन्ता तो पूरे देश को है
- उपचुनाव के बहाने निपटाने की कसरत
- सरकार को पंचायतों की ओर देखने की फुर्सत कहाँ है
- चिट्ठी-पत्री : मेरे हर सपने में सिर्फ पहाड़ होता है !!
- सरकार की मदद के बगैर भी हर साल खिलते हैं बसन्तोत्सव के रंग
- प्रशान्त राही के बाद अब खीमराज सिंह को प्रताड़ित करती पुलिस
- स्मृति शेष: इतिहासकार जसवंत सिंह नेगी
- तोलीगाँव मोटर मार्ग की फाइल गुम ?
- लड़कियों की निगरानी बगैर नहीं थमेगा अश्लील क्लिपिंगों का सिलसिला
- सर्वसम्मति की असहमति !
- पत्रकार एसोसिएशन का सम्मेलन
- अनावश्यक महत्व क्यों दें पद्म सम्मानों को ?
- साठ साल पुराने पौड़ी की यादें - 2
- वर्ष: 31, अंक: 13 || 15 फरवरी से 29 फरवरी 2008 [दिखायें]
- उत्तराखंड में मायावती की पहलकदमी
- आदिवासी वन कानून को लेकर सरकार खामोश क्यों है ?
- यहाँ भी जल विद्युत परियोजनाओं से लोग अपना परिवेश नष्ट होते देख रहे हैं
- चिट्ठी-पत्री : पद+दायित्व-लालबत्ती=सरकारी खजाने के सेहतमंद दीमक
- जमीनी सच्चाइयाँ मुख्य हैं प्रतिभाओं की खोज के लिये
- साठ साल पुराने पौड़ी की यादें
- शादी की संस्कृति और विकास की विसंगतियाँ
- मक्कू मठ: इतिहास से विकास तक का सफर
- आशल कुशल - फरवरी 2008
- अब आशा की किरण देख रहे हैं मल्ला दानपुर के ग्रामीण
- आस्ट्रेलिया छोड़ कर सूपी में रम गये हैं देवीदा
- 'लवा' का तो नाम भी भूल जायेंगे लोग
- चूर चूर हो गया है हरिराम टम्टा जी का सपना
- वर्ष: 31, अंक: 12 || 01 फरवरी से 14 फरवरी 2008 [दिखायें]
- तुम नज़रें उठाने लगती हो तो…..
- अमर रहे गणतंत्र हमारा
- चिट्टी पत्री : श्रीमती जी को शिकायत है कि……
- इन यात्राओं को जारी रहना होगा
- परिसीमन से उबला गुस्सा
- मौसम के पूर्वानुमान को लेकर बहुत गंभीर नहीं है मीडिया
- जन प्रतिनिधियों द्वारा मँझधार में छोड़ दिये जाने के बावजूद डटे हैं ग्रामीण
- उत्तरायणी मेला: इस बार मौसम भी रूठा रहा
- जबरन माओवाद का भूत पैदा कर रही है उत्तराखंड सरकार
- शासनादेशों से आतंकित हैं प्रत्याशी
- हिवरे बाजार ने रास्ता दिखा दिया है
- अलविदा एच.सी.एस. रावत
- आदिवासी और ग्रामीण ही राहत दिला सकते हैं ग्लोबल वार्मिंग से
- जंगली सुअर लौट आये हैं
- बच्चों को प्रोत्साहन चाहिये
- अपने अपने कैलास –1
- वर्ष: 31, अंक: 11 || 15 जनवरी से 31 जनवरी 2008 [दिखायें]
- नदियों के किनारे चल पड़ी हैं पदयात्रियों की टोलियाँ
- अभी लड़ने से थके नहीं दानपुर के ग्रामीण
- व्हाट एन आइडिया जी ?
- अक्षरों के पुल के नीचे बहती-थमती कवितायें
- चिट्ठी पत्री: जोर जबर्दस्ती से क्या सच्चाइयाँ छुपाई जा सकेंगी ?
- जीव जगत से बच्चों का अपनापा जोड़ने का पर्व है घुघुतिया
- छेदीलाल बनाम सुराख अली बनाम होलचन्द
- कस ज होलो ठार्यो समधी ! कस ज भ्यो
- एक पदयात्री के नोट्स : नौजवान गायब है
- क्या अस्पतालों में संवेदना नहीं बची
- महिला समाख्या ने महिलाओं में आत्मविश्वास भरा
- मरोज त्यौहार: यहाँ माघ में भी मांस खाया जाता है
- अभी भी आँखों के सामने रेंगता है मून लैंडिंग का नजारा
- नदियों पर संकट है सारे गाँव इकट्ठा हों
- जंगलों के बगैर विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती
- विज्ञापन लुटा कर भ्रष्टाचार छिपा रहा है हरिद्वार विकास प्राधिकरण
- सफरनामा पूना से मारुति-800 कार बागेश्वर पहुँचाने का - 3
- उत्तराखंड को संजीवनी राज्य बनायें
- चारा उत्पादन के लिये जमीनी सच्चाइयों का ख्याल रखें
- वर्ष: 31, अंक: 10 || 01 जनवरी से 14 जनवरी 2008 [दिखायें]
- अभी बना हुआ है परिसम्पत्तियों का लफड़ा
- नया साल : कुछ कवितायें
- फँसाया गया है प्रशांत को
- माओवादियों का जोनल कमांडर........ बाप रे बाप!
- चिट्ठी-पत्री : सरकार की मान्यता से जरूरी जनता की मान्यता है
- स्वस्ती श्री : मोटर रोड 8 से 24 किमी दूर
- यहाँ मनाते हैं मंगसीर में दीवाली
- मरियोला को पिथौरागढ़ की सच्चाई समझ में आ गई है
- औली बुग्याल में भारी निर्माण क्यों हो रहे हैं ?
- नदी को सुरंग से ले जाने का खतरा महसूस कर रहे हैं दानपुर के लोग
- है किसका अधिकार नदी पर
- ताकि विवाह सम्बन्ध बना रहे: एक अध्ययन भाग - 2
- यों लुटता है सरकारी खजाना
- नैनीताल समाचार की अनदेखी से सकते में हैं दिल्ली के पत्रकार
- पत्रकार की शामत
- चौपता का कौथिग
- अब व्यापारी समझे मॉल की हकीकत
- क्या सचमुच इतना पैसा खर्च कर दिया गया है नैनीताल पर ?
- बौरारो की जनता के सामने लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा
- सफरनामा पूना से मारुति-800 कार बागेश्वर पहुँचाने का - 2
- वर्ष: 31, अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2007 [दिखायें]
- मुख्यमंत्री अब करने लगे हैं लोक लुभावन घोषणायें....
- थैंग गाँव के लिए रास्ते की मांग पर मार-पीट
- इस व्योपारी को प्यास बहुत है
- पानी पर जनता के अधिकार सुनिश्चित करने निकलेंगी नदी यात्राएं
- चिट्ठी-पत्री : जी रया जाग रया, ट्विंकल-टिविंकल लिटिल स्टार
- स्वस्ती श्री: लोकतांत्रिक शक्तियों(?) का अलोकतांत्रिक कार्य
- बारहनाजा - पारम्परिक अनाजों के बीजों में छुपे जीवन का दर्शन और विज्ञान
- छुट्टी हो तो ऐसी
- मंत्री पुत्र का विवाह, उत्तराखंड विधान सभा में अवकाश
- सम्पन्न हुआ उक्रांद का द्विवार्षिक महाधिवेशन
- संगठित होना होगा जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिये
- बच्चे कितना कुछ जानते हैं
- त्रिलोचन के बिना
- कौन कहता है कि गौरव नहीं रहा.....
- मुझे अपनी माँ में दिखता था बेटी का चेहरा
- मेरि कोसि हरै गे कोसि
- बुलन्द हो रहे हैं चोरों के हौसले
- पंचेश्वर बाँध के डूब क्षेत्र सरयू घाटी में जन जागरण अभियान
- सफरानामा पूना से मारूति-800 कार बागेश्वर पहुँचाने का - 1
- वर्ष: 31, अंक: 08 || 01 दिसंबर से 14 दिसंबर 2007 [दिखायें]
- अब ग्रामीण नहीं रहेंगे, क्योंकि पनबिजली योजनायें आ रही हैं!
- गुमनाम ही रहे स्वाधीनता संग्रामी मनोरथ पांडे 'शास्त्री'
- 'ग्रामीण विकास का मतलब है ग्रामीण उद्योगों का विकास'
- स्वामी आलोकानन्द की मौत का विश्वास नहीं होता!
- जातिवादी सोच में अबला का दर्द भी दब गया
- चिट्ठी पत्री: नैनीताल समाचार दैनिक कब से होगा?
- विश्वविद्यालय परिसर फासीवाद की नर्सरी बन रहा है
- थैंग गाँव में असंतोष है
- चाँई जैसे हालात हैं कफनौल के
- गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः, गुरूर्देवो महेश्वरः, गुरूः साक्षात्....
- किताबों के बारे में
- क्या यही है टी. एल. एम. मेलों की सार्थकता
- पशुबलि प्रथा देवभूमि पर कलंक है
- अभी जीवन्त और आकर्षक है लोक संगीत की सुर-लहरी
- बेघरबार है बलात्कार की शिकार बालिका
- राजमा के उत्पादन से सम्पन्न हो रहे हैं उर्गम घाटी के किसान
- जिसका ईगो बढ़ गया है, उसे पैदल यात्रा करनी चाहिये
- ताकि विवाह सम्बन्ध बना रहे: एक अध्ययन
- वर्ष: 31, अंक: 07 || 15 नवंबर से 30 नवंबर 2007 [दिखायें]
- सात सालों बाद भी दिशाहीन है यह राज्य
- आंदोलनकारियों का कोई ग्वाल-गुसैं नहीं
- मुख्यमंत्री जी, बतायें तो कि हमारी हैसियत क्या है ?
- स्वस्ती श्री : जानवरों से परेशान हैं हम लोग
- बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय
- नैन सिंह: वह उत्तराखंड के जनसंघर्षों की बुनियाद था
- ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार.....3
- नैनीताल में कथा साहित्य का 'संगमन'
- पर्वतीय पत्रकार एसोसिएशन का अधिवेशन सम्पन्न
- जौनपुर बदल रहा है
- ट्राइबल सोसाइटी में कम्प्लीकेशंस नहीं होते, उसकी फुर्सत ही कहाँ
- वर्ष: 31, अंक: 06 || 01 नवंबर से 14 नवंबर 2007 [दिखायें]
- चाँईं गाँव की घटना तो खतरे की घंटी है
- जंक खा रही गाड़ियों से कैसे उबरेगा निगम
- मोहन सिंह को उम्मीद है डी.एम. बचा लेगा माफिया से
- अभी तो खड़िया से आँखें चौधियायी हैं
- शिक्षा राष्ट्र की सुरक्षा से कम जरूरी नहीं
- ये उद्योग तो खुशहाली के बदले असंतोष ला रहे हैं !
- रामगढ़ के नौजवान माफिया की सरपरस्ती में जी रहे हैं
- शीत जल मत्स्यिकी की अच्छी संभावनायें हैं
- मिल-जुल कर किये बगैर नहीं हो सकती सफाई
- बिना रीडिंग के बिजली बिल
- ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार.....2
- खेद तो इस देश के बारे में है जो सड़क, बिजली भी न दे सका
- वर्ष: 31, अंक: 05 || 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2007 [दिखायें]
- शेरपाओं ने हिम समाधि ली
- पालिका सदस्यों की बर्खास्तगी का अभूतपूर्व निर्णय
- समस्या का समाधान नहीं है भू अध्यादेश
- चिट्ठी पत्री : भ्रष्टाचार की गंगोत्री लबालब बह रही है और असली गंगोत्री संकट में
- विज्ञान कहाँ है इन विज्ञान प्रदर्शनियों में ?
- शोध कार्य की दिशा कौन तय करेगा
- मौत का शॉर्टकट क्यों बन रही हैं पहाड़ की सड़कें
- आशल-कुशल अक्टूबर 2007
- ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार-1.....
- ये उद्यमी महिलायें!
- सीमान्त के गाँव निर्जन हुए तो सीमा की रक्षा कैसे होगी ?
- नेताओं और अफसरशाहों में विकास की इच्छा ही नहीं
- वर्ष: 31, अंक: 04 || 01 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2007 [दिखायें]
- छात्रसंघ के रणबाँकुरों से थर्रायी दून घाटी
- छिः... कैसे-कैसे पत्रकार !
- आखिर क्यों आक्रामक हो उठे हैं जानवर
- फिर अतिवृष्टि से घायल हुआ पहाड़
- चिट्ठी पत्री: गायब हो गया मेरा गाँव बड़गूँ
- स्वस्ती श्री: पीकदान, दीपदान और बागनाथ
- चिकित्सा और दूरसंचार से परेशान है मंदाकिनी घाटी
- यह तो नजरिया बदलने की शुरूआत है
- शर्मशार हुआ स्वामी श्रद्धानन्द का गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
- विस्थापन के बगैर कोई भविष्य नहीं है पाला के ग्रामीणों का
- संग्रामी पत्रकारों की याद
- आरक्षण पर व्यावहारिक समझ क्यों नहीं बनती ?
- खुशी लाने का हर रास्ता काँटों भरा होता है
- वर्ष: 31, अंक: 03 || 15 सितम्बर से 30 सितम्बर 2007 [दिखायें]
- नैनीताल बैंक का अस्तित्व मिटाने की कोशिश जारी है
- आपको भ्रष्टाचार क्यों नहीं दिखाई दे रहा है ऐरी जी ?
- चिठ्ठी पत्री: नराई कैसे फेरें, सम्पादक ज्यू ?
- शहीदों को श्रद्धांजलि देने भी एक नहीं हो पाते लोग !
- इस बार की बधाई और मानहानि
- आप रौशनी हैं हमारे लिये
- घपलेबाज सांसदों को वेतन मत दो, वाहिनी ने कहा
- छोटे व्यापारी की व्यथा भी तो सुनी जाये
- केदारघाटी में घुस आये शराब के तस्कर
- वह व्यवहार ही क्या, जिसमें कहीं प्रेम न हो
- वर्ष: 31, अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2007 [दिखायें]
- ग्राम गणराज्य अंक और तीसवां जनमबार
- ग्राम गणराज्य अंक: कुछ कविता, कुछ विचार
- चिट्ठी पत्री: नारी तुम केवल श्रद्धा हो?
- औद्योगिक विकास के नाम पर मजदूरों का दमन
- एक ओर तबाही है तो एक ओर माफिया की ताकत
- अथक संग्रामी और प्रखर वक्ता थे गोविन्द बल्लभ पंत
- भारत हेवी इलैक्ट्रिकल्स भी शामिल है जमीन के घोटाले में
- ग्रामीण कहाँ होता है ग्राम विकास की योजनाओं में
- अब विवेकाधीन कोष पर रोक लगने के दुष्परिणाम दिख रहे हैं
- 'मुझे कोई नहीं चाहता'
- यह अधूरा पंचायत राज तो ग्राम गणराज्य नहीं है
- अधिकार तो देर सबेर देने ही होंगे
- क्या एन.जी.ओ. बनायेंगे कानून ?
- परिचर्चा: अवसर मिले तो अत्यन्त कारगर हो सकती हैं पंचायतें
- केन्द्रीय सत्ता से कुछ टुकड़े फेंक दिया जाना विकेन्द्रीकरण नहीं
- जल, जंगल, जमीन के अधिकार सुनिश्चित हों
- पहले नौकरशाही की जकड़ से मुक्त करें
- मैं आजादी से काम कर सकी
- सामुदायिक भागीदारी भ्रम है
- केरल और बंगाल से सबक लें
- खो न जायें इतने संघर्ष से प्राप्त अधिकार
- आम सहमति से हो सकते हैं सारे काम
- पिछली गलती न दोहरायें
- डाबर की नजर से अभी ओझल है आँवले का यह जंगल
- 18 सितम्बर: नैनीताल स्वच्छता दिवस
- याद रहेंगे देवीराम जी
- किलकारी से पर्यावरण चेतना
- विकास की दिशा पर गोष्ठी
- इन फालतू विद्यालयों का मतलब क्या है
- पानी का अनियंत्रित उपयोग विनाशकारी होगा
- महिला मैत्री गोष्ठी: प्रशासन और जनता के बीच संवाद की कोशिश
- महात्मा गाँधी के आगमन से बढ़ा महिलाओं में आत्म सम्मान
- आरक्षण को लेकर फिर से सरगर्मी
- शिमायल में सौन्दर्य है, मगर पानी नहीं
- कमीशनखोरी तो रुकनी ही चाहिये
- कुछ के लिये आजीविका का साधन हैं पंचायत
- हमने प्रयोग किया सर्वानुमति का
- शहर में रह कर गाँव के प्रतिनिधि बने लोग ज्यादा निकम्मे हैं
- महिलाओं ने अपनी उपयोगिता साबित की है
- गाँव बटा, अब घर तो न बँटे !
- ठेकेदारी पर रोक कैसे लगे ?
- ......और मैंने एक सपना देखा ....
- मानसिकता बदल रही है
- संकीर्ण दायरों को टूटना है
- जनजाति क्षेत्र का बजट भी काम नहीं आ रहा जौनपुर की पंचायतों में
- केरल से विकास के कुछ सबक
- सहयोग-सौहार्द होना पहली शर्त है
- ठेकेदार अफसर गठबंधन से डरने की जरूरत नहीं
- वर्ष: 30, अंक: 17 || 15 अप्रेल से 30 अप्रेल 2007 [दिखायें]
जनमबार अंक 2010
लेखक : नैनीताल समाचार
लेखक : मनोहर चमोली
लेखक : नैनीताल समाचार
होली अंक 2009
साइबर अपराधों का गढ़ बन रहा है उत्तराखंडलेखक : चंदन बंगारी
होली बागेश्वर कीलेखक : पंकज पांडे
लोक और शास्त्र का अद्भुत समन्वय है होलीलेखक : आनन्द बल्लभ उप्रेती
होली..कैसी..कैसी..ऐसी…वैसी….लेखक : राजीव लोचन साह
संविधान के नये प्रारूप की उद्देशिकालेखक : नैनीताल समाचार
जी रौं लाख सौ बरीस!लेखक : राजीव लोचन साह
सीमान्त क्षेत्र में चोरों की मौज हैलेखक : सरोज राणा
धीरे चलूँ घर सास बुरी है…धमकि चलूँ ?लेखक : जगमोहन रौतेला
मेरा गाँव, मेरे लोग – 21लेखक : देवेन्द्र मेवाड़ी
थरूवाटी होलीलेखक : महेश पोखरिया
आपकी टिप्पणीयाँ
- harshvardhan verma on मास्साब
- राजेश राज on हमारे बारे में
- sanjay on बादल फटने से नहीं दफन हुए 18 बच्चे
- jai kumar jha on बादल फटने से नहीं दफन हुए 18 बच्चे
- एक निन्दक on हमारे बारे में
- harshvardhan verma on …..मौत तो एक दिन आनी ही है !
- Dinesh Panwar on कब पूरा होगा रेल का सपना – भाग 1
- Madan Kumar Khanduri on भूल सुधार: क्या पहाड़ के सिपाही के जीवन का मूल्य कम होता है ?
- nathudangwal on अब क्या कभी उबर पायेगा कुमाऊँ विश्वविद्यालय
- jaswant singh on बर्बाद हो रही खेती
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/
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