Wednesday, February 20, 2013

झारखण्ड की जेलों में 6 हजार आदिवासी

झारखण्ड की जेलों में 6 हजार आदिवासी


मांगा एक सप्ताह में जवाब

झारखंड में राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार ने राज्य के जेलों में बंद 6000 आदिवासियों के मामले के जांच के आदेश दिए हैं. जोनल आइजी स्तर के अधिकारी इसकी जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगे... 


http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-02/71-movement/3702-jharkhand-kee-jelon-men-6-hajar-adivasi-by-rajeev


राजीव

राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार ने जो निर्देश दिया है उसमें लिखा है कि झारखंड में वन विभाग के डीएफओ स्तर के अधिकारियों ने आदिवासियों के विरूद्ध बड़ी संख्या में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है. जेल में 6000 आदिवासी कई वर्षों से बंद है. उन्हें जमानत पर छुड़ाने वाला भी कोई नहीं है. विशेष शाखा के एडीजीपी रेजी डुंगडुंग ने भी इस मामले में रिपोर्ट दी है.

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जेल में आदिवासी कलाकार जीतन

गौरतलब है कि गण्तंत्र दिवस में केन्द्रीय ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश ने ही 6000 आदिवासियों के जेल में बंद रहने की बात उठायी थी, जिसके बाद राज्य पुलिस को गवर्नर डा.सैयद अहमद के सलाहकार पूर्व डीजी सीआरपीएफ के. विजय कुमार ने उक्त आदेश दिया है. इसके अतिरिक्त सभी जोनल आइजी को अपने-अपने क्षेत्राधिकारों में व विभाग के डीएफओ व रेंजरों द्वारा आदिवासियों पर दर्ज किए गए मुकदमों का ब्यौरा एक सप्ताह के अंदर देने का भी आदेश कुमार ने दिया है.

पिछले सप्ताह रिभ्यू मिंटीग में राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार ने पुलिस के कार्यविधि व विधि व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. सीआरपीएफ के डीजी रह चुके के. विजय कुमार झारखंड राज्य को अपनी सेवा दे चुके हैं तथा राज्य में लचर पुलिस व्यवस्था व नक्सलवाद की समस्या से भलीभंति अवगत हैं. 

कुमार ने कहा कि पुलिस की कार्य विधि ऐसी होनी चाहिए कि राज्य वासियों के दिलों-दिमाग में पुलिस की अच्छी छवि बन सके. सरांडा और सरयु में पुलिस की भूमिका पर बोलते हुए श्री कुमार ने कहा कि अगर राज्य वासियों का भरोसा पुलिस जीतने में कामयाब रहती है तो माओवादियों के खिलाफ सरांडा और सरयु में चलाए जा रहे अभियान को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता. 

अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे जो मिंटीग में उठाए गए और चर्चा के विषय रहे उनमें मानव तस्करी, भूमि विवाद में पुलिस की भूमिका, गैरकानूनी खदान और खनन, सुरक्षा व्यवस्था आदि प्रमुख थे. कुमार ने सख्त ताकिद किया है कि तबादला में पारदर्शिता बरतें. ऐसा न हो कि कोई जूनियर अधिकारी उग्रवादग्रस्त इलाके में वर्षों से है और उनके बैचमेट बेहतर जिलों में जमे रहें. तबादला में कोई शिकायत उनतक नहीं पहुंचनी चाहिए.

अधिकारी ने कहा कि अगर पुलिस अधिकारी बेहतर कार्य करते है तो पुरस्कार देने में कोई कोताही नहीं बरती जाए. पुलिस महकमा को हिदायत देते हुए श्री कुमार ने कहा कि थानेदार भूमि विवादों के निपटारे में बदनाम हो चुके है. भूमि विवादों का मामला थानेदार अपने सीनियर अधिकारियों को भेजें.

rajiv.jharkhand@janjwar.com

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