Wednesday, June 6, 2012

लोक कलाकारों की दुर्दशा की जितनी जिम्मेदार सरकार है, उससे एक कदम आगे हमारा समाज है, जो समय रहते इनकी विधाओं को उचित सम्मान नहीं दे पाया. कबूतरी देवी धनाभाव में कहीं तीन ताली के ज्ञाता मोलुदास की बीती कहानी न बन जायें...

http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-26/77-art/2709-lokgayika-kabootari-devi-uttarakhand-moludas

लोक कलाकारों की दुर्दशा की जितनी जिम्मेदार सरकार है, उससे एक कदम आगे हमारा समाज है, जो समय रहते इनकी विधाओं को उचित सम्मान नहीं दे पाया. कबूतरी देवी धनाभाव में कहीं तीन ताली के ज्ञाता मोलुदास की बीती कहानी न बन जायें...

चन्द्रशेखर करगेती

पहाड़ की तीजनबाई कौन है ? नई पीढ़ी को तो मालूम नहीं है.हाँ, अब सरकार के साथ लोग भी भूलने लगे हैं.लोक गायिका कबूतरी देवी को कभी उत्तराखण्ड की तीजनबाई के नाम से जाना जाता था.अब वह गंभीर रूप से बीमार हैं.

kabootari-deviबचपन से ही विरासत में मिली लोक गायकी को कबूतरी देवी नये सुरों में पिरोती चली गईं, वह ऋतु गायन परम्‍परा की प्रतीक हैं.यह परम्‍परा केवल कुमाऊँ में कायम है.उनके साथ ऐसा कोई नाम नहीं जिसने पहाड़ के दर्द को इतने सुरमयी तरीके से अपने गीतों में गुंथा हो.

माता-पिता ने अपनी लोक गायकी के सभी सुरों से बेटी कबूतरी को बचपन में नवाज दिया. 60 के दशक में पिथौरागढ़ के मुना कोट ब्लॉक के क्वीतड़ गाँव में दीवानी राम से इनकी शादी हुई. मोटर मार्ग से 6-7 किलोमीटर की पैदल दूरी पर बसा है क्वीतड़ गाँव.पति ने जब कबूतरी देवी की मीठी तान सुनी तो मंत्रमुग्ध हो उठे .

पति के प्रयासों के चलते कबूतरी देवी को कई मंच मिले. ऑल इंडिया रेडियो रामपुर, नजीबाबाद, लखनऊ व मुम्बई के रेडियो केन्द्रों से कबूतरी देवी की मीठी तान से हजारों लोग मुरीद हो गये.

उस जमाने में गायन से महीने में 50 रुपयों तक की आमदनी हो जाया करती थी. लेकिन पति की मौत के बाद वह फिर गुमनामी के अंधेरे में चली गईं.पति का साथ 25 वर्षों तक का ही रहा. गाँव में फिर खेती-बाड़ी कर अपनी गुजर-बसर करनी शुरू की.लम्‍बे समय तक कबूतरी की आवाज जब रेडियो में नहीं सुनाई दी तो कई लोग उन्हें ढूँढते हुए क्वीतड़ ही जा धमके .

उनकी परेशानियों को समझ सभी ने उन्हें प्रेरित और उत्साहित किया और संस्कृति विभाग का भी दरवाजा खटखटाया. संस्कृति विभाग ने उनकी कला की कीमत मात्र तीन हजार रुपये महीना लगाई. कबूतरी ने इसी में ही संतोष किया. प्रशंसको के प्रयासों से कबूतरी देवी ने फिर एक बार नई शुरूआत कर पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, द्वाराहाट में अपनी कला का लोहा मनवाया. देहरादून में राज्य सरकार के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी कला का जादू बिखेरने के बाद सरकार ने उन्हें भी सम्मानित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली .

कबूतरी ने जो गाया है, उसे जीया भी है.इसलिये तो 28 साल पहले पति की मौत के बाद भी उन्होंने पहाड़ नहीं छोड़ा, जबकि कैसेट कंपनियों से उन्हें गाने के लिए कई ऑफर मिले.भले ही ये दौर मुफलिसी में गुजरा लेकिन कबूतरी ने अपना गाँव नहीं छोड़ा.पति की मौत के करीब 15 साल बाद भी उन्होंने गीत गाये तो केवल सांस्कृतिक मंचों पर, पैसे के लिए नहीं.आज पहाड़ की यह लोक गायिका उपेक्षा से बेहद आहत हैं.

पहाड़ की तीजनबाई श्रीमती कबूतरी देवी आज अपने इलाज को भी मोहताज हैं. वह तीन-चार साल से अस्वस्थ चल रही हैं. पिछले काफी समय से अपनी बड़ी पुत्री मंजू देवी के पास खटीमा के श्रीपुर बिछुवा गाँव में रह रही थीं. मंजू देवी की आर्थिक स्‍थि‍ति‍ भी बेहद खराब है. इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा था. इसलि‍ये उनकी छोटी बेटी हेमंती देवी अपने साथ ले आईं. वह ही आजकल उनके साथ हैं.

उनकी आर्थिक स्‍थि‍ति‍ भी ऐसी नहीं है कि‍ अपनी माँ का ठीक से इजाल करा सकें. कुछ समय पूर्व कबूतरी देवी का सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में पथरी का ऑपरेशन हुआ था. अब उनके शरीर में सूजन आ गई है और फेफड़ों में इन्फेक्शन है. उन्‍हें साँस लेने में भी तकलीफ हो रही है. इलाज के लिए इन्हें 29 मई 2012 को हल्द्वानी के रामपुर रोड स्थित शंकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

सभी मित्रों से आग्रह है कि इस वयोवृद्ध गायिका की मदद को आगे आयें . यह गायि‍क हमारी संस्कृति की पहचान हैं. हमारी अमूल्य धरोहर हैं. अगर शासन-प्रसाशन ने पहल की होती तो इन्हें बहुत पहले ही उचित सम्मान मिल गया होता, लेकिन शासन प्रशासन भी उन्ही को सम्मानित करता, सरकारी धन की वर्षा भी उन्ही पर करता है जो चारण-भाट परम्परा के वाहक होने के साथ ही राजनेताओं के गुणगान करते हैं .लोककलाकारों की इस दुर्दशा के जितनी जिम्मेदार सरकार है, उससे एक कदम आगे हमारा समाज भी है, जो समय रहते इनकी विधाओं को उचित सम्मान नहीं दे पाया और न ही इनकी कलाओं को संरक्षित रख पाया .

कबूतरी देवी धनाभाव में कहीं फिर तीन ताली के ज्ञाता मोलुदास की बीती कहानी न बन जायें .इसलिये समय रहते चेतें और अपनी विधाओं और लोककलाकारों को अभावों से बचायें, नहीं तो आने वाली पीढ़ी को आप क्या जवाब देंगे ?
संपर्क – कबूतरी देवी का मोबाइल नंबर 09761545145
अकाउंट No 31095750893, हेमंती देवी (कबूतरी देवी की छोटी पुत्री)
Bank Name – SBI Branch Name – Wadda-Pithoragarh
IFS CODE 0006136

लेखक मंच ब्लॉग से साभार

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