Tuesday, February 24, 2015

क्रोनी कैपिटलिज्म कु मतबल क्या हूंद ?

                 क्रोनी कैपिटलिज्म कु मतबल क्या हूंद ?

                          गंभीर चबोड़्या ::: भीष्म कुकरेती 

परसि  बच्चोंन गळति से टीवी न्यूज चैनेल मा राजनीतिज्ञों बहस सर्कस द्याख अर ब्याळि मेरी आफत ऐ गे। 
बच्चोंन जोर से धै लगै - अंकल अंकल नही नही दादा जी ! दादा जी ! ग्रैंडपा ! यु क्रोनी कैपिटलिज्म क्या हूंद ? जख जा तख क्रोनी कैपिटलिज्म की छ्वीं लगणा छन या लगाणा छन। 
मीन पूछ - क्रोनी माने ?
एक बच्चा - क्रोनी माने यार। 
एक  नौनि - घनिष्ट मित्र , सहृदयी 
एक बच्चा - मतबल दगड्या
मि - अर कैपिटलिज्म माने ?
हैंक नौनि - पूंजीवाद 
मि - तो अर्थ क्या ह्वै ?
सबि - मित्रता  पूर्वक पूंजीवाद
एक नौनि - औ जन मास्टर जी अपण रिस्तेदारुं तैं परीक्षा मा नंबर ज्यादा दींदु या मैडम अपण मौसिक नाती तैं सबसे अग्नै बिठान्दि। 
एक नौनु - यु त भाई भतीजावाद हूंद। 
हैंक नौनु - जन हमर गांवक प्रधान ददा गांवक ठेकेदारी अपण काकाक नाम पर लींदु 
एक नौनि - यु त भ्रष्ट तरीका से फैदा उठाण ह्वे। 
एक बच्चा - अच्छा अच्छा , प्रधान जी द्वारा अपण रिस्तेदारुं तैं , दोस्तों तैं बीपीएल (बेलो पावर्टी लाइन ) लिजाण ही क्रोनी कैपिटलिज्म हूंद ?
एक बच्चा - एक दैं जब हमर गाँ मा मोटर सड़क आण वाळ छे तो पटवरी जी तैं द्वी साल पैलि योजना बारा मा पता चल गे।  पटवरी जीन अपण सौकार दोस्त तैं योजना बथै दे अर सौकारन  लोगुं मांगन सड़क पर आण वळि सरा जमीन औने पौने दाम मा खरीद दे अर बाद मा सरकार से दस बीस गुणा ज्यादा मुवावजा ले। 
कुछ बच्चा - पर यु त भ्रष्टाचार ही त माने जालु। 
एक नौनि - पता च जब शिवपुरी  साइड याने नीलकंठ महादेव जिन टूरिज्म सर्किट घोषित हूण वाळ छौ तो कुछ राजनीतिज्ञों तैं पता चल गे अर ऊंन अपण दगड्यों दगड़ शिवपुरी जीना जथगा बि जमीन खरीद सकद छा खरीद ले अर अब हजारों की जमीन करोड़ों मा बिचणा छन। 
कुछ बच्चा - पर छ त यू बि एक किस्मौ भ्रष्टाचार ही ना ?
एक नौनि - एक दैं सरकार मलेथा जिना बळु -रेत खुदाइ तैं स्वीकृत करण वाळ छे अर नियम बणनु छौ कि केवल स्थानीय पंजीकृत ठेकेदारुं तैं इ बळु -रेत खुदणो ठेका दिए जाल।  देहरादून मा कुछ ठेकेदारुं तैं अधिकार्युंन सरकारी योजना की खबर दे दे।  ऊँ ठेकेदारुंन मलेथा जिना अपर कम्पनी तैं आधिकारिक ठेकेदार का रूप मा पंजीकृत कर दे।  जब योजना लागू ह्वे त बळु -रेत खुदणो ठेका यूं तैं इ मील। 
एक बच्चा - जब कै ब्यापारी तैं नुक्सान हूंद त यूँ गलादारुं तैं सरकार आर्थिक फैदा दींदी च कि ना ?
हैंक बच्ची - भौत दैं ठेकेदार या गलादार अपण संगठन  बणान्दन अर ब्लॉक अधिकारी पर दबाब बि डाळदन कि नियमुं मा अपण हिसाब से बदलाव बि करांदन कि ना ?
एक बच्चा - हाँ इन मा नै गलादार वै व्यापार मा नि ऐ सकुद। 
एक बच्चा - पर यू बि त भ्रष्टाचार कु एक रूप ही त च। 
एक नौनि - अच्छा जु यु नेताओं की आय दिनोदिन बढ़नि रौंदी त यांकुण क्या बुले जालु ?
बच्चा - यु बि भ्रष्टाचार कु घिनौना रूप च। 
एक बच्चा - अच्छा जब सरकारी जमीन सरकारी फैक्ट्री बिचद दैं सरकार बिचणो  इन नियम बणान्दि कि कुछ ख़ास उद्योगपति ही वीं जमीन या जायजाद या व्यापार खरीद   सौकन तो वांकुण क्या बुले जाल। 
एक नौनि - पता नी च पर छ त भ्रष्टाचार ही कि ना ?
एक बच्चा - भीषम दादा जी ! आपन बताइ नी कि क्रोनी कैपिटलिज्म क्या हूंद ?
मि - अरे तुमन त क्रोनी कैपिटलिज्म तैं समजै  त याल।  अब मि तैं समजाणै जरूरत ही नी च। 
सब - याने कि जैं अर्थव्यवस्था या इकोनॉमी मा व्यापारी अर सरकार आपस मा मिलिक न गठजोड़ करिक नीतिगत फैसला लीन्दन अर इन गठजोड़ से सफलता मिलदी हो तो वो अर्थव्यवस्था ही क्रोनी कैपिटलिज्म हूंद। इख्मा जन लाभ  महत्वपूर्ण  नि हूंद अपितु उद्योगपतियों लाभ महत्वपूर्ण हूंद।
मि -बहुत बढ़िया परिभाषा !
सब बच्चा - तो क्रोनी कैपिटलिज्म माँ  भाई भतीजावाद, व्यापारिक स्वार्थ सिद्धि तैं संवैधानिक अधिकार मिल जांदन।  कैपिटलिज्म मा व्यापारिक हितों का वास्ता संविधान की सहयता लिए जांद।
मि - हाँ बिलकुल सही परिभाषा अर विश्लेषण। 




25/2/15 , Copyright@  Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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