Sunday, 17 June 2012 12:30 |
कुलदीप कुमार उन्होंने गजल गायकी के तीखे कोणों को तराश कर उन्हें गोलाई दी, अपनी मखमली आवाज में गजल के शब्दों के मर्म को तलाशते हुए उसकी अनेक अर्थ-छवियों के दर्शन किए और कराए, और इस क्रम में गजल को सीधे सुनने वालों के दिलों की गहराइयों में उतार दिया। किस शब्द पर कितना ठहरना है और किस शब्द को कब, किस तरह और कितनी बार दुहराना है ताकि उसके भीतर छिपी विभिन्न अर्थछवियां अपनी पूरी चमक के साथ बाहर छिटक कर आएं, इस कला का उत्कृष्टतम रूप देखना हो तो मेहदी हसन की गाई गजलों को सुनिए। |
Sunday, June 17, 2012
वह मखमली आवाज
वह मखमली आवाज
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