Thursday, April 26, 2012

'उभार' के चलते दिलीप मंडल को चहुंओर गालियां, दिलीप बोले- नहीं सुधरूंगा

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[LARGE][LINK=/article-comment/4033-2012-04-26-08-47-47.html]'उभार' के चलते दिलीप मंडल को चहुंओर गालियां, दिलीप बोले- नहीं सुधरूंगा[/LINK] [/LARGE]

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Details Category: [LINK=/article-comment.html]इवेंट, पावर-पुलिस, न्यूज-व्यूज, चर्चा-चिट्ठी...[/LINK] Published Date Written by B4M
Avinash Das : दिलीप मंडल बड़े साहसी हैं लेकिन... ईटी हिंदी और इंडिया टुडे के बीच कॉरपोरेट पत्रकारिता को अंडरवर्ल्‍ड कहते हुए उसे खारिज भी करते हैं और ढेर सारे पिछड़ों-वंचितों का सपोर्ट भी पा लेते हैं... और धीरे से अपने चाहने वालों की आकांक्षाओं से समझौता करते हुए अंडरवर्ल्‍ड की राह भी पकड़ लेते हैं। वहां उनके जाने से भी हमें कोई एतराज नहीं अगर जैसा वे सोचते हैं, वैसी पत्रकारिता के लिए वहां जाकर स्‍टैंड ले लेते हैं ... एतराज तब है, जब अंडरवर्ल्‍डनुमा पत्रकारिता के भीतरी एजेंडे को खुल्‍लम खुल्‍ला लागू करने की कोशिश करते हैं। इंडिया टुडे का ताजा अंक इसका उदाहरण है। कल Ajit Anjum ने इस ओर हमारा ध्‍यान दिलाया था, आज हमारा मन भी उस पर बात करने के लिए मचल रहा है। जो लिंक नीचे दिया जा रहा है, उसके हिंदी अनुवाद को हिंदी इंडिया टुडे में कवर स्‍टोरी के रूप में जगह मिली है। बहरहाल, इस नये ज्ञानदान के लिए दिलीप जी का शुक्रिया... और बधाई कि उम्‍दा पत्रकार के रूप में अभी अभी फारवार्ड प्रेस ने उनका सम्‍मान किया है।
Breast surgery is the new rage in India : India News - India Today
Women want them perfect. Men want less flab. Breast surgery is the new rage.


         Arbind Jha इंडिया टुडे का नया संस्करण देखे की नहीं आप लोग, कई दिनों से ऐसा कवर का इंतज़ार था जब से दिलीप मंडल जी इंडिया टुडे का संपादक बने थे... एक बार देख लीजिये आप लोग भी और अपने प्रतिक्रिया भी दीजिये.. आखिर वो पेज वो कवर तो आ ही गया जो दिलीप मंडल जी नहीं लाने देना चाहते थे, अब क्या होगा हो उनका...http://www.facebook.com/madforad

        Anand Pandey क्या गलत है इस कवर में? बात जब स्तन सर्जरी की हो रही है तो क्या गलत है इस पिक में.
   
        Chandan Pandey इस खबर में ऐसी कोई बुरी बात नहीं. यह खबर कम से कम किसी कॉर्पोरेट घराने का विज्ञापन तो नहीं ही है साथ ही किसी खराब राजनीतिक पार्टी की चमचागिरी भी नहीं. मैं समझता हूँ कि इंडिया टुडे एक सामान्य पत्रिका है और Dilip जी किसी बड़ी उम्मीद से नहीं, बल्कि जीवन यापन के लिए ही वहाँ गए होंगे. दिलीप के विचार, मैने यह सुखद ढंग से पाया है कि, बड़े जरूरी हैं और उन विचारों को रखने का ढंग बड़ा कंविंसिंग है. बुरा तब होता जब दिलीप, रोजगार और उसके दबाव में अपपा स्टैड बदल लेते. उन्होने फेसबुक प्रोफाईल डिलीट की थी, वह जरूर एक बुरी बात थी पर यह खबर तो व्यवसायिक जरूरत ही है.
   
        Avinash Das हम गलत-सही की नहीं, कवर स्‍टोरी बनाने के लिए विषय की प्राथमिकता की बात कर रहे हैं...
    
        Sandeep Kumar I think it is a bold step by an editor.......awareness about breast surgery is not a mean thing to discuss about.....
     
        Prakash Kumar Like
      
        Chandan Pandey ‎Avinash Das : ऐसे भोले न बनिए, साहब. कवर स्टोरी तय करने के पीछे सिर्फ सम्पादक ही नहीं होता. पूरी मार्क़ेटिंग टीम होती है.
      
        Avinash Das मैं भोला नहीं बन रहा। वही कह रहा हूं कि जिस आधार पर आप पहले मीडिया की आलोचना करते थे, उसी आधार पर मार्केटिंग टीम के सामने स्‍टैंड भी लेना चाहिए था और इसे अंदर की एक स्‍टोरी के रूप में जगह देनी थी।
       
        Arbind Jha chandan sir pr sampadak ki bhumika main hota hai
        
        Anurag Arya मैंने कवर पेज पर फोटो नहीं देखा अगर वो आपति जनक है तो अलग बात है जहाँ तक विषय की बात है विषय बहुत नोर्मल है . ओर विषय में कोई बुराई नहीं है .
         
        Shailendra Jha चन्दन पाण्डेय जी दिलीप मंडल जी ने जैसे अपनी छवि बनायीं थी, उससे लगता था की वो स्तन की नहीं पेट की बात करेंगे, बिना परवाह किये के वो अमरद का है या औरत का. आपने जो कहा उस हिसाब से तो ब्लू फिल्म भी बन रही है इण्डिया में तो क्या करें, मगज़ीन में न्यूड फोटोस अपलोड कर दिया जाये, क्योंकि वो तो हो रहा है ? सिर्फ इसलिए प्रतिरोध करना किसी भी बात का आपको थोड़े नंबर मिल जाएँ ठीक नहीं, कोई ठोस वजह हो तो ज़रूर अपनी बात कहिये
         
        Arbind Jha itnni aapatijanak mujhe laga ki mie ise Metro mae nahi khool saka
         
        Chandan Pandey ‎Avinash Das : क्यों ? आप स्त्री विरोधी बात कर रहे हैं. इस खबर में ऐसा क्या बुरा है या क्या कमी है जो यह पिछले हफ्ते की खबरों से होड़ नहीं ले सकती. मैं उन खबरों की बात कर रहा हूँ जो ऐसे कॉरोपोरेट संचालित पत्रिकाओं में जगह पाती हैं.
         
        Anand Pandey ‎Avinash Das bhai..यह एक समकालीन इश्यु है और उसको फ्रंट पेज में जगह देना गलत नहीं है. वैसे दिलीप जी का हार्ड स्टैंड सिर्फ आरक्षण और हिन्दू धर्म के प्रति रहा है.
        
        Arbind Jha India Today ka yahi rabieya kabhi dilip sir ko achha nahi lagta tha
         
 [IMG]/images/april2012/ubhaar1.jpg[/IMG]       Chandan Pandey शैलेन्द्र झा जी, वो पेट की भी बात करते हैं, लगातार करते हैं. पर सबसे बड़ी खूबी उस शख्स की है कि वो दिमाग की बात भी करता है. अभी आप अभिषेक मनु सिंघवी प्रकरण में उस आदमी का स्टेटस मैसेज देख लीजिये. बहुत बारीक बात कही है उस आदमी ने.
         
        Shailendra Jha चन्दन पडे जी ये जो आप बता रहे हैं की मार्केटिंग टीम होती है, ये हम सब पिछले ५-७ सालों से जानते हैं, पर दिलीप जी अपने पीछे जो पूरी जिहादियों की फ़ौज छोड़ गए हैं उन्हें इस बात का पता नहीं है के उन्होंने एक ऐसे आदमी की सरपरस्ती हासिल की जो कदम कदम मार्केटिंग टीम या जो कोई भी टीम है उसके सामने हाज़िर हो जाता है थ्री इडियट का डायलोग बोलते हुए - जह्पनाह तुसी ग्रेट हो, तोहफा क़ुबूल करो
         
        Anurag Arya आपकी जानकारी के लिए बता दूँ प्लास्टिक सर्जन hymenoplasty तक कर रहे है ओर ये बदलते समय के साथ विज्ञान की टेक्नोलोजी का इस्तेमाल है .टाइम्स ऑफ़ इंडिया से लेकर हिन्दू ओर आउट लुक मेग्जिन में उनके बारे में आया है . गृहशोभा ,मनोरमा आदि फेमेल मेग्जिन में ये कोमन लेख है
         
        Chandan Pandey झा जी, मैने कब कहा कि आप नहीं जानते हैं. मेरे कहने का सारा अर्थ यह ही था कि आप सब जानते बुझते यह हल्की बात कह रहे हैं.
         
        Shailendra Jha हुज़ूर आप जिस जगह की बात कर रहे हैं , वहां मैं पांच साल काम कर चूका हूँ, दिलीप मंडल की क्या चलती है वहां और किसकी क्या चलती है सब मुझे मालूम है, मैं पूरी इंडिया टुडे को पत्रिका के तौर पर खारिज करता हूँ, दिलीप मंडल को लाया भी गे था उसी छवि को वापस पाने के लिए, अपर दिलीप ,मंडल भी उसी छापे खाने के कर्म करने लगे, अंग्रेजी का माल हिंदी में
         
        Avinash Das अच्‍छा है, जब अपने देश में स्‍तन को सुंदर बनाने के उपाय के बारे में कवर स्‍टोरी की जा सकती है और आपलोग इसे जरूरी मानते हैं, तो मैं अपनी बात वापस लेता हूं...
         
        Chandan Pandey ‎Avinash Das : जरूरी कोई नहीं मानता. पर आप उस पत्रिका का पूरा कलेवर देखिए.
         
        Avinash Das वो पत्रिका पहले थी, आज भी है, आगे भी रहेगी... सवाल है कि दिलीप मंडल जैसे लोग जो मीडिया आलोचना में एक नयी जमीन तलाश रहे थे, वहां जाकर किस तरह का स्‍टैंड ले रहे हैं।
         
        Shailendra Jha देखिये अविनाश भाई मैं दिलीप मंडल को शुरू से अन्देमोक्रेतिक आदमी मानता हूँ,लेकिन यदि उनमे ऐसा कुछ है तो उनसे अपेक्षा है की वो यहाँ आकर स्पष्टीकरण दें
         
        Avinash Das शैलेंद्र भाई, आप बीच बहस में बार-बार दिलीप जी को बुलाने पर क्‍यों तुले रहते हैं?
         
        Umashankar Singh अविनाश, कल अजीत जी की पोस्ट पर कमेंट करने से नहीं रोक पाया था माफ करना आज तुम्हारी पोस्ट पर भी वही कमेंट दोहरा रहा हूं
        "ये मंडल जी के दलित एजेंडे का वैकल्पिक मीडिया उभार है"
 
        Avinash Das ‎:)
 
        Shailendra Jha क्यों आपको ये बात अजीब नहीं लगती की जिस आदमी की पोस्ट्स से पूरे फेसबुक की नाक में ३ साल तक दम हुआ पड़ा था वो संपादक होते ही बिना किसी तरह का स्पष्टीकरण दिए हुए फेसबुक से गायब हो गया, और ऑफिस में मातहत काम करने वालों को अब कहता है के फेसबुक पे कोई ऑफिस के बारे में नहीं लिखेगा, ये उन्ही मुसाफिर बैठा के दोस्त हैं न जिन्होंने ऑफिस में बैठकर फेस्बुकिंग की थी और उन्हें निकाल दिया गया था तो ये उसको मुदा बनाकर पिल पड़े थे, आज सबको ऑफिस में हड़का रहे हैं फेस्बुकिंग करने के लिए
 
        Vidhan Chandra Rana दिलीप मंडल घोर जातिवादी और फर्जी इंटेलेक्टचुअल किस्म के ओवर रेटेड व्यक्ति हैं . खैर अपनी पुरानी दुकान अब इंडिया टुडे में नहीं चला सकते, यहाँ पर तो शेयर होल्डर को जवाद देना होता है . इनके वो सब मुहीम और महान विचार सब गायब हो गए हैं जिसके बल पर यहाँ पर पहुंचे हैं. महान बातें यहाँ तक पहुंचें का जरिया था.. अब इनको इतना सीरियसली क्यूँ लिया जा रहा है ..समझ से परे है.
 
        Susmit Priyadarshi विषय बिल्कुल जायज़ है, मैं इससे असहमत नहीं हूँ , पर इतना अहम भी नहीं कि उसे india today का cover story बनाया जाये, देश के पास इससे ज्यादा अहम विषय मौजूद है, जाहिर है इसे cover story बनाना सिर्फ और सिर्फ लोगों के कामुक इच्छाओं को पूरा करना भर है, ताकि बिक्री में ज़बरदस्त इजाफा हो............
 
        Shailendra Jha मैं क्यों न कहूँ उनको बहस में आने के लिए बहुत सवाल पूछने हैं, वो भी तो यही करते थे न ?
   
        Avinash Das ‎Shailendra Jha जो चला गया, उसे भूल जा :)
    
        Avinash Das i agree with Susmit Priyadarshi
     
        Arbind Jha aaj usak awaqt hai bhai
      
        Arbind Jha aaj nahi to kal jawab dena he padega
      
        Santosh Kr. Pandey दिलीप मंडल पर इतनी चर्चा क्यूँ ?? पी.साईनाथ पर क्यूँ नहीं ? दिलीप मंडल का ज्ञान मध्यवर्गीय लोगों की भावनाओं को उकसाने भर के लिए है और कोई तथ्यात्मक और शोधपरक बात वे नहीं करते ! गौर से सोचें इसपर !
     
        Rajendra Singh हा हा हा ..इसमें गलत क्या हें सेक्स रोज डिनर करने जेसा हें कोई स्टोरी दी हें तो कोई बुराई नहीं सेकडो बरसो पहले खजुराहो के मंदिर बने थे अगर आपने देखे हो तो बताये और ना देखे हो देख ले ..दिलीप जी को भी अपना परिवार चलाना हें क्रांति भाई किश्तों में ही होगी बटन दबा कर नहीं
     
        Avinash Das ‎Rajendra Singh दिलीप जी का परिवार तब भी चल रहा था, जब इंडिया टुडे और बाकी दसरे मीडिया संस्‍थानों में नहीं थे :) उनकी पत्‍नी क्‍लासवन ऑफिसर हैं भाई...
      
        Rajendra Singh उससे क्या होता हें दिलीप जी मर्सिडीज में घूमना चाहते हो तो ?
        
        Shailendra Jha मैं इस बात को फिर से कोट कर दूं - हिन्दू कोलेज के सभागार में एक स्टुडेंट ने दिलीप मंडल से सवाल किया की क्या मेनस्ट्रीम मिडिया में काम करते हुए, चीजें बदली नहीं जा सकतीं ? दिलीप मंडल ने जवाब दिया था आपलोग क्रांति करने के लिए लाला के पैसे का मुंह क्यों देखते हैं ?
         
        Vidhan Chandra Rana ‎@shailendra jha आपसे पूरी तरह सहमत हूँ. मुझे अभी तक याद है , आरक्षण फिल्म के समय किस हद्द तक गिर गए थे हमारे इंडिया टुडे के एडिटर साब !!! गाली गलौज पर उतर आये थे... i cannot forget all these...and not many of us can by the way...it was utter rubbish on his part just to get mileage...where are his sympathies now????
         
        Rajendra Singh में दिलीप जी का सम्मान इसलिए करता हूँ की दलितो के लिए उन्होंने मुझे प्रतिबद्ध किया ..व्यक्ति पै नहीं उनके उठाये मुद्दों के लिए में उनका सम्मान करता हूँ
         
        Shailendra Jha vidhan apse agrah hai mujhe pls arakshan ke virodh me ya sawarnwadi na samjhen, dileep mandal ki vaicharik kathmullepan se mujhe pareshani hai par zyadatar baten unki thik hai, jo galat hai wo hai aacharan aur baat ka antar
         
        Avinash Das ‎Rajendra Singh यहां दिलीप जी का सम्‍मान और असम्‍मान करने के मुद्दे पर डीबेट नहीं चल रही है :)
         
        Vidhan Chandra Rana by the way nothing personal against anyone @shailendra jee... infact yeh bhi sach hai ki unki baaton me dam bhi hot ahai ...lekin nihit swarth hamesha chalakta hai .....
         
        Vidhan Chandra Rana ‎Avinash Das thanks for intervening :)
         
        Rajendra Singh आपके बीच का कोई आदमी इण्डिया टूडे जेसी पत्रिका में पहुँच गया यही क्या कम हें नहीं तो को दुवा ,मिश्र ,पाण्डेय ही मिलते ..में दिलीप जी के साथ हूँ
         
        Vidhan Chandra Rana Rajendra Singh ji...Dileep jee hamare pados me hi bade hue, same city,same locality....isse kya fark padta hai ....??? why are we playing the regionalism card...?
         
        Avinash Das ‎Rajendra Singh बढिया है... वैसे इससे पहले भी इंडिया टुडे में श्‍यामलाल यादव थे :)
         
        Rajendra Singh अविनास दास जी सिधान्त वो चिड़िया हें जो अंडे देने के लिए अपना घोंसला नहीं बनाती हमेशा दूसरे के बनाये घोंसले पर कब्जा करती हें देश काल समय के हिसाब से बदलते रहते हें
         
        Santosh Kr. Pandey आर्थिक नीति, आदिवासियों की समस्याएं, भू-माफिया, आर्थिक अपराध, पर्यावरण, वर्तमान विकास के माडल की समीक्षा , शहरीकरण, बिजली-पानी की समस्या, विदेश नीति, कर नीति , कृषि नीति, खेल जगत ,आम व्यक्ति की जीवन शैली की समस्याएं आदि आदि ...पर दिलीप मंडल का कोई लेख या विचार हो तो उपलब्द्ध कराएँ ! कहाँ के वे पत्रकार हैं ?? वे एक मध्यम दर्जे के पत्रकार हैं और कुछ वर्गों को उकसाना उन्हें आता है ! बस !
         
        Avinash Das ‎Rajendra Singh जी शुक्रिया, लेकिन बात बड़ी भारी कही आपने... समझने के लिए दिमाग पर जोर देना पड़ेगा :)
         
        Shailendra Jha is prakar koyal duniya ki sabse badi vicharak aur saidhantik hai, ye to aapne rajendra ji bilkul 3 idiots wale virus wali baat kah di, jai ho prabhu
         
        Rajendra Singh संतोष जी डी यू का एडमिशन का भंडा फोड किया ऐसे कई मामले हें मेने कई बार उनका जम कर विरोध भी किया हें ..पर में न्याय की बात कर रहा हूँ स्तन की पोस्ट से इतना विवाद क्यों ..?
         
        Santosh Kr. Pandey ‎Rajendra Bhai: आप स्तन की पोस्ट को ख़ारिज करते हैं और मैं दिलीप मंडल को ख़ारिज करता हूँ ! फर्क ये है ! :)) खैर ज्यादा लिख कर उनकी टी.आर.पी . नहीं बढ़ाना चाहता ! :))मेरे पढने के स्तर में उनका लिखा बहुत नीचे दर्जे है ! अतः इति !
         
        Rajendra Singh भाई ये क्या बात हुई व्यक्ति की नहीं हम मुद्दे की बात करे
         
        Rajendra Singh क्या कोई बिना स्तन की स्त्री से विवाह कर लेगा ये नेतिकता का पाखंड क्यों .....जब भी कोई व्यक्ति अकेला होता हें तो उसकी कल्पना में देश समाज ..भगवान नहीं कोई स्त्री ही होती हें
         
        Akanksha Pandey वैसे इस मुद्दे को कवर पेज पर डाल कर एक ढंग का काम किया है Dilip जी ने -अब वास्तव में बहस होनी चाहिये कि इस युग में भी महिलाओं कि जिंदगी में कितना टीटीम्मा लगा रखा है पुरुषवादी समाज ने .वात्स्यायन गुरु के सुंदरता मापने वाले पैमाने खारिज किये जाने चाहिये :D
        
        Dilip C Mandal भारत दुनिया का सर्वाधिक नैतिकतावादी महान मुल्क है. अब Google दुष्ट का क्या क्या करें जो अपने सर्वर में दर्ज आंकड़ों के आधार पर बताता है कि SEX सर्च करने में भी यह अव्वल है. http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-12-31/internet/30576096_1_insights-into-broad-search-google-s-trends-search-engine
          
        Niraj Anand waiting for Musafir Baitha ji ka comment...dekhey unki kya rai hain..
         
        Dilip C Mandal आदरणीय शैलेंद्र झा जी, अरबिंद झा जी, संतोष पांडे जी, उमाशंकर सिंह जी, राणा जी और तमाम अन्य जी लोगों का आभार कि आप लोगों के चिंतन जगत में मैं शामिल हूं. वरना मैं क्या...?
         
        Prakash K Ray इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं. दिलीप जी महान समाजवादी शरद यादव और उनसे भी महान दलित चिन्तक डॉ धर्मवीर के खांटी समर्थक हैं. किसी को इस पर शोध करना चाहिए कि यह सब अरुण पुरी के बाज़ारू अर्थशास्त्र और एम् जे अकबर के जनपथीय उदारवाद के साथ कंपैटिबल कैसे हो जाता है. पत्रकारिता के लिए यह शोध एक योगदान होगा.
         
        Dilip C Mandal राय साहब का भी शुक्रिया.
         
        Rajendra Singh ‎Dilip C Mandal ji यहाँ फ़ेसबुक पर ही देख लो कोई सुंदर कवियत्री ने उटपटांग कविता भी लिख डी तो कम से कम २५० लाइक और इतने ही कमेंट्स आ जायगे पर जनहित की पोस्ट हो जनता से जुड़े मुद्दे की पोस्ट हो कोई झांकता भी नहीं किसी नारी के प्रोफाइल फोटो पर ही देखे कितने कमेंट्स आते हें देखे ,,असल में भारतीय लोग सबसे ज्यादा पाखंडी हें धर्म संस्क्रती की बात करते हें पर मठो में बेठे साधू महात्मा के योनाचार पर चुप रहते हें ,नित्यानंद सेकडो हें ..मेने तो सिंहस्थ के दोरान खुद अपनी आँखों से देखा आश्रमो /डेरे तम्बू के पिछवाड़े कंडोम के पैकेट मिल सकते हें ..सेक्स जीवन का आवश्यक अंग हें इस से जो बचने की बात करता हें वो महा डोंगी हें
         
        Dilip C Mandal आप लोग मेरे बारे में जितना सोचते हैं उतना तो मैं अपने बारे में भी नहीं सोच पाता. आप लोग कितने उदार हैं.
         
        Rajendra Singh हा हा हा ..दिलीप जी जुतियाये ना
         
        Dilip C Mandal नहीं सर, मैं तो सम्मान कर रहा हूं. इस युग में कहां मिलते हैं ऐसे उदात्त लोग जो दूसरों के बारे में सोचते हैं? मेरे पिछले जन्मों के कर्मों का फल है यह सब!
         
        Ashish Jha पूरी बहस को पढने के बाद जो बात मेरे समझ में आयी वो यही थी कि दिलीप मंडल जी अंदर से बहुत मजबूत आदमी है। वक्‍त आने पर वो अपनी राय भी पत्रिका के कवर पर दिखाएंगे। यह तो हम सभी को समझना होगा कि संस्‍थान कितना भी बडा हो संपादक लाला का नौकर ही होता है मालिक नहीं होता।
         
        The Sex Issue
        When U.S. magazines devote special issues to sex, they are usually of the celebr...See more
         
        Dilip C Mandal आप लोगों ने मेरी इतनी चिंता की तो मेरा भी कुछ करने का कर्तव्य बनता है. लीजिए एक गीत सुनिए- गुरु रविदास ने बे-गमपुरा की कल्पना की है. यह यूटोपिया है. एक ऐसा शहर जहां कोई दुख नहीं होगा, जन्म के आधार पर न कोई ऊंचा होगा न कोई नीच. बे-गम यानी दख से रहित. http://www.youtube.com/watch?feature=player_detailpage&v=7O6BYwdV1lM
         
        Santosh Kr. Pandey वैसे ! इन मध्यवर्गीय दिलीप मंडल का उच्चवर्गीय महिलाओं के लिए स्तन विशेषांक बढ़िया ही लगा ! वैसे , ये भी एक उटोपिया ही है की एक निम्न या माध्यम वर्ग का पत्रकार उचक वर्ग की महिलाओं के लिए स्तन थिरेपी सुझा रहा है ! :))))
         
        Rajendra Singh संतोष जी स्तनों से आपको इतनी एलर्जी क्यों ?
         
        Ashish Jha जन्म के आधार पर न कोई ऊंचा होगा न कोई नीच......मंडल जी, इस विषय पर तो कल ही मैंने आपके प्रिय अविनाश जी को तथ्‍यों से अवगत कराया था, लेकिन वे समझ नहीं तैयार नहीं हुए।
         
        Santosh Kr. Pandey ‎Rajendra Singh:एलर्जी नहीं भाई ! थोडा आश्चर्य जरुर हो चला है की भारत कम से कम सुन्दरता के लिए स्तनों की सर्जरी का मसला अब प्राथमिकता में आ चूका है !रही बात मेरी तो- जापान, अमेरिका में रहते हुए भी मेरी प्राथमिकता स्तन सुन्दरता के उपाय अभी तक नहीं आये ! भारत के गरीब और मध्य warg के लोग इस इंडिया टुडे के विशेषांक को अपनी बेटियों / बहनों के लिए जरुए खरीद रहे होंगे, ऐसी आशा है ! क्यों राजेन्द्र जी ?? Is it "India Today"??? :))
         
        Ashish Jha संतोष भाई पता नहीं आप लोग दिलीप जी को क्‍या बनाना चाहते हैं। उन्‍हें उच्‍च वर्ग में रखने से परहेज क्‍यों करते हैं। इंडिया टूडे का संपादक को मध्यवर्गीय कहना उनकी आर्थिक संपदा और जीवनस्‍तर दोनों से अपरिचित होना दिखाता है। आप लोग तो ऐसे व्‍यवहार कर रहे हैं मानों वो 20 हजार की नौकरी में किसी झोपडी में रहते हों।
         
        Rajendra Singh में समजता हूँ ओरतो का मामला हें हम क्यों इस पर बहस कर रहे हें
         
        Rajendra Singh शुभरात्रि दोस्तों
         
        Santosh Kr. Pandey मंडल जी ! आपका जोर तो इसी बात पर रहा है के पांडे जी, झा जी , सिंह जी और राणा जी बने रहें ! क्यूँ ?? अन्यथा कैसे आपकी छद्म क्रांति चलेगी और कैसे उच्च वर्ग के लिए आप स्तन थिरेपी उपलब्द्ध करवाएं ! सब समझता हूँ साहब ! आप इसी शातिरपने के साथ तरक्की करेंगे और मैं इसे पसंद करता हूँ ! आपकी जय हो ! लेकिन सामने वाला बेवकूफ नहीं है , बल्कि वे लोग हैं जिनको आप इकठ्ठा कर रहे हैं और जिनके कंधे पर चढ़ कर भारत के लोगों को स्तन थिरेपी उपलब्बध करवा रहे हैं !
         
        Ashish Jha राजेंद्र जी मामला तो दिलीप जी है, औरत तो यहां कोई मसला ही नहीं है। परेशान वो लोग हैं जो इंडिया टूडे के संपादक को एलीट मानने को तैयार नहीं हैं। दिलीप जी को मध्यवर्गीय पत्रकार कहना हमें तो हस्‍यास्‍पद लगता है।
         
        Santosh Kr. Pandey अरे आशीष जी ! मंडल जी एलिट ही बनाने के कोशिश कर रहे हैं--स्तन थिरेपी से ! लेकिन एलिट तबका उन्हें एलिट माने तब न ! तो, वे बिचारे एलिट वाली पुडिया मध्यवर्ग को परोस रहे हैं ! :)))
         
        Santosh Kr. Pandey अच्छा मंडल साहब ! ये बताइए की आपने जो लिंक दिया है जिसमें ये बताया गया है भारतीय SEX सर्च करने में अव्वल है ! लेकिन ये बताइए की इन भारतियों में दलित और सवर्ण का परसेंटेज क्या है ?? जब आप ये सिद्ध करेंगे की सवर्ण ज्यादा सेक्स सर्च करते हैं, तभी तो आपकी उपयोगिता बरक़रार रहेगी ! क्यूँ है न ?? सही कहा न मैंने ?? :))))
         
        Ashish Jha संतोष जी, यह मध्‍यवर्ग का भ्रम है कि मंडल जी उसके जमात में हैं। सच कहूं तो कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं। मंडल जी का जरा कॅरियर देखिए। इतना शानदार कॅरियर रखने के बाद कोई मध्‍यवर्ग में रह ही नहीं सकता। एलीट तो वो कब के ना हो गए। मेरे ख्‍याल से उनसे ज्‍यादा अभिजात्‍य, सभ्रांत और आधुनिक पत्रकार इस बहस में शामिल कोई पत्रकार नहीं है।
         
        Santosh Kr. Pandey ‎Ashish Ji: कैसा शानदार कैरियर बंधू ?? कैरियर कहते किसे हैं आप ? ऊपर मैंने कुछ प्रश्न पूछे हैं की पत्रकारिता में किन किन विषयों पर उन्होंने अपने लेख लिखा है ! कोई जवाब नहीं ! चलिए, आप ही जवाब दे दीजिये ! :))
         
        Ashish Jha उत्‍तर देने के लिए मंडल जी खुद सक्षम हैं। मैं बस उस राय का खंडन करता हूं जो आप लोगों ने दिलीप जी के बारे में बना रखी है। मैं तो उन्‍हें दलित और सवर्ण की नजर से कभी नहीं देखता। क्‍योंकि मैं ''जन्मते जायते शुद्र, संस्कारो द्विजोत्तमा, वेद जाने सो विप्राणां, ब्रह्म जाने सो ब्राह्मणा:'' में विश्‍वास रखता हूं। वे ज्ञानी हैं, विद्वान हैं और अच्‍छे मसले उठाते हैं। पत्रकारिता मे यह कहीं नहीं लिखा है कि एक अमीर और अभिजात्‍य पत्रकार गरीबों की बात नहीं कर सकता है। और यह भी नहीं लिखा है कि जो गरीब की बात करता है वो कभी अमीर की बात नहीं कर सकता है। यह सीमा रेखा पत्रकार के लिए बांधना अनुचित ही नहीं अस्‍वीकार्य है।
         
        Santosh Kr. Pandey ‎Ashish Ji: यही तो मसला है जो Avinash Das जी ने उठाया है ! दिलीप जी न तो दलित पत्रकार हैं और न ही सवर्ण पत्रकार ! वे बस एक अवसर वादी पत्रकार हैं ! तो भैय्या , ऐसे पत्रकार हर जिले में मिलते हैं ! इति!
        
        Ashish Jha मेरे ख्‍याल से वे अज्ञानी हैं जो उन्‍हें ''विशेष'' समझते थे, मैं तो उन्‍हें केवल एक कुशल पत्रकार ही माना है जो विषयों की अच्‍छी जानकारी रखते हैं। वे कोई ''अजुबे'' नहीं हैं। आज भी आम पत्रकारों की तरह ही लाला की दुकान पर नौकरी करते हैं।
        
        Prabhat Jha अविनाश भाई, दिलीप मंडल आपके करीबी दोस्तो में रहें हैं आप से बेहतर शायद ही कोई उनके बारे में जानता हो पर इतना जरूर कहना चाहूंगा कि वे अपने संघर्स के साथी रहे मित्रों भी नहीं पहचान रहें संभव है दृ
        
        Pankaj Jha समझने की कोशिश कर रहा हूं कि निर्मल बाबा ज्यादे बड़े ठग हैं या दिलीप मंडल ज्यादे बड़े ढोंगी.
         
        Dinesh Agrahari Mujhe ek bat nahi samajh aa rahi ki Dilip Mandal ke India Today ka sampadak ban jane se bhai logon ko itni jalan kyon ho rahi hai, Rahi bat Breast par story ki to itani moorkhtapoorna bahas kyo chal rahi hai samajh me nahi ata. Are bhai ye english ki story hai aur hindi me bhi cover story banane ka Team ka decision hoga isme mandal ji kya kar sakte hain
        
        Avinash Das ‎Ashish Jha आप जैसा आत्‍ममुग्‍ध और बड़बोला आदमी मैंने बहुत कम देखा है। कल की बहस में समझने के लिए आपके पास बहुत कुछ था, लेकिन आप समझे नहीं और उल्‍टा हमारी समझाइश को लेकर राग अलापने लगे। कौन सा तथ्‍य (हां हां तथ्‍य) बताया था, जरा यह भी बताइए। और क्‍या आपको बताना पड़ेगा कि पुराणों से निकाला गया कोई श्‍लोक, जो आज अप्रासंगिक हो गया है, वह कभी तथ्‍य नहीं हो सकता, महज एक उद्धरण हो सकता है।
         
        Avinash Das ‎Dinesh Agrahari मामला जलन का नहीं, ज्‍वलंत मुद्दे का है :)
         
        Naveen Kumar क्या हो गया अगर इस विषय पर लेख लगा दिया तो ? यार क्या बात है ? बहुत से लोग पता नहीं कहां-कहां पर काम करके, किस-किस की चमचागिरी करके, फिर किसी से किसी बात पर विवाद या उस जगह से धक्के देकर निकाल दिए जाते है, फिर लिखते है कि यहां पर ये गलत है, वहां पर ये गलत है, फिर हमें ये नुस्ख़े भी आते है की देखो ये आदमी पहले तो ये कहता था अब ये कह रहा है ? कहां तक सही है ? एक बात उठाओ फिर उसे काटो, फिर उस बात पर सहमति-असहमित, फिर एक बार उसी लेखक के लेख को अपने यहां चिपकाओ, फिर उसकी पोल खोलो, फिर उसकी खिचाई करो, बिल्कुल यह मामला ऐसा नहीं लगता जैसे टीवी न्यूज़ चैनल के तथाकथित दिग्गज़ पत्रकार अपने प्राइम टाइम में निर्मल बाबा का 20 मिनट का विज्ञापन दिखाते है फिर उसके तुरंत बाद उसी की खाल उधेड़ते है...कुछ समझ नहीं आता की ये क्या हो रहा है? किसको सही कहें? किसे गलत ?
 
        Naveen Kumar पाठक क्या करे बेचारा...?
   
        Satyendra Pratap Singh Waah Dilip C Mandal ji, Dam hai aapme.... warna is tarah ki be sirpair charcha n hoti. Aur aise log to kattai nahi karte, jo media me rahe hain :)
    
        Kaushal Kamal ऐसे किसी मीडिया हाऊस में पहुंचते ही आपकी सोच गुलाम हो जाती है... चाय की दुकान पर उचित अनुचित का ज्ञान बघारते हैं... लेकिन जब लिखने की बारी आती है तो मन मसोसकर गुलामी को स्वीकार कर लेते हैं...
     
        Saroj Arora Jeo Dalip Mandal. Koi yuhi mandal se kamndal thore hi ho jata hai. trick chahiye uske liye bhi.
      
        Satyendra Pratap Singh Ashish Jha जी, वो विशेष इस मामले में हैं कि अभी भी आम हैं। ऐसे बहुत कम लोग मिलते हैं। अरविंद मोहन जी... दिलीप जी... आदि कुछ ऐसे पत्रकार मुझे मिले जो आम आदमी जैसे लगते हैं। वर्ना बड़े पदों पर रहने या रह चुके और थोडा सा सक्षम होने पर भी लोग पता नहीं कहां कहां उड़ने लगते हैं :)
        ...
        भाई मैने तो बहुत पत्रकारों को झेला है। बेनजीर ने मेरे पैर के ऊपर पैर रख दिया... राजीव गांधी से यात्रा के दौरान मैने जो बात कही, वही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने उठाई.. आदि आदि... दिमाग में फोड़ा हो जाता है सुनते सुनते। गजब के होते हैं ये बड़े पत्रकार भी... मैं तो चुपचाप सुनने और जी-जी के सिवा कुछ कह भी नहीं पाता।
      
        Satya Prakash Chaudhary aadmi jiski roti khata hai, kam usi ke hisab se karna parta hai. india today ki blog nahi hai, jahan koi bhi krantikari ho sakta hai
       
        Nadim S. Akhter chaliye..Satya Prakash Chaudhary ji prakat tau hue..aap ka aviwadan hai :)
       
        Ashish Jha सतेंद्र भाई और सत्‍यप्रकाश जी, मैंने भी कुछ ऐसी ही राय रखी है, लेकिन कुछ लोग केवल बहस करना चाहते हैं पता नहीं क्‍या क्‍या उपमा बांट रहे हैं। वो केवल वही सुनना चाहते हैं जो वो बोलना चाहते हैं।
       
        Mohalla Live » Blog Archive » गैर-द्विज पत्रकार को अश्‍लीलता की तीर से मारना एक षड्यंत्र है!
        mohallalive.com
        पत्रकारिता में अश्‍लीलता और सामाजिक न्‍याय का सवाल
 
        Anoop Patel Das ji- it's a planned charecter assasination of someone by an organised media lumpens. its not only probs of these lumpens, the whole nation is indulged on one's like and dislike. they never pay their attention on debates and isuues.
 
        Ashish Kumar 'Anshu' वक्त के साथ मुहावरों के अर्थ भी बदलते हैं और कभी-कभी स्थान के साथ-साथ भी. आज-कल दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय में मनुवादी होने का कुछ और अर्थ लगाया ज़ा रहा है, पटना उच्च न्यायालय में तो इसके शॉर्ट फॉर्म से ही काम चल रहा है. ''जानते हैं सर, बड़े बाबु तो साफे मनुआ गए हैं.''
        वैसे यह मनु दौर है, देखिए ना मनु के रंग में ''इण्डिया टूडे'' भी मनुआ रहा है......
        (उंगलबाज.कॉम, हमारी विश्वसनीयता संदिग्ध है)
 
        Kanwal Bharti Ye bahas mudde se hat kar vyaktik jyada ho gayi hai. par ye bahas samajik nyay ko rekhankit karti hai. Dilip ji ne pichhle janmo ki baat karke puri dalit vaichaariki par pani daal diya hai. Ye aadmi dalit vimarsh ka pratinidhi nahi ho sakta.
 
        S.r. Darapuri Bilkul nahin!
   
        Kanwal Bharti Thanks sir
    
        Naren Ary स्तन और सेक्स से दलित या दलितवाद को परहेज़ नहीं हो सकता आखिर हम सभी biological beings hai मगर दलित दृष्टि discrimination ,exploitative attitude (सेक्सुअल),women commodification ,victimisation of macho-stereotypes ya sirf sexual object ke roop me chinhit aur sweekarya nahin ho sakti.agar dilip mandal ambedkar ka chera FACEbook par laga kar paise ,tikdam aur jugaad ke liye aisa kar rahe hain to vo us andolan aur vichardhara ka hissa nahin ho sakte.
     
        Kanwal Bharti Naren ji mai apse sahmat hoo. Dilip ji ko jitni jaldi ho sake apne chehre se Ambedkar ka photo hata len.

[B]अविनाश दास के फेसबुक वॉल से साभार.[/B]

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