Monday, August 22, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/22
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःपूरी परीक्षा 157 में, एक विषय की 207 रुपये में

Posted: 20 Aug 2011 09:13 PM PDT

माध्यमिक शिक्षा परिषद् की बोर्ड परीक्षा के शुल्क का गणित इस बार काफी पेचीदा हो गया है। पूरी परीक्षा और एक विषय की परीक्षा शुल्क में भारी अंतर है। यह अंतर छात्र और अभिभावकों के गले नहीं उतर रहा है, वहीं प्रधानाचार्य भी इसका जवाब देने से परेशान हैं।
यूपी बोर्ड के नियम भी अजीब है, इंटर में जहां पांच विषयों के 10 पेपर 157 रुपये में होते हैं वहीं एक विषय का परीक्षा का शुल्क 207 रुपये निर्धारित किया गया है। इसी तरह हाईस्कूल की परीक्षा में भी एक विषय की परीक्षा फीस 207 रुपये और पूरी परीक्षा का शुल्क 107 रुपये है।
जेब पर पड़ रहा भारी

बोर्ड की बदली परीक्षा नीति में इस बार हाईस्कूल के तीन विषयों में अनुत्तीर्ण छात्र पूरी परीक्षा की बजाय अनुत्तीर्ण विषयों की ही परीक्षा दे सकता है। इस परीक्षा को योग्यता क्रेडिट परीक्षा (एलिजिबिलिटी क्रेडिट एग्जाम) नाम दिया गया है। यह एग्जाम जेब पर भारी पड़ रहा है। 
अव्यवहारिक है आदेश
प्रधानाचार्य हरिओम शर्मा, सुशील शर्मा, पद्म सेन मित्तल और नित्यानंद शर्मा इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हैं। उनका कहना है कि बोर्ड ने जब पूरी परीक्षा की फीस बढ़ाई थी, तो उस पर आपत्ति हुई थी। शासन ने उसे तो घटा दिया, लेकिन एक विषय की परीक्षा का शुल्क नहीं घटाया। इस अंतर से अभिभावक असंतुष्ट हैं।
शासन की नीति है
क्षेत्रीय सचिव योगेंद्र नाथ सिंह यह शासन की नीति है, लेकिन पूरी परीक्षा का शुल्क काफी कम है। एक मोटे आंकड़े के अनुसार प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद् पर सवा सौ करोड़ रुपये का खर्चा आता है, जबकि एग्जाम फीस से इसके आधे ही प्राप्त होते हैं(अमर उजाला,मेरठ,21.8.11)।

वाराणसी के 16 हाई प्रोफाइल स्कूलों को मान्यता नहीं

Posted: 20 Aug 2011 09:12 PM PDT

शहर के 16 हाई प्रोफाइल स्कूल बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इसका खुलासा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) की जांच में हुआ है। बीएसए ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट विद्यालयों की सूची के साथ जिला प्रशासन को सौंप दी है। अब प्रशासन इन सभी स्कूलों का संचालन बंद कराने और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में है। जिला प्रशासन को मिली एक शिकायत के आधार पर स्कूलों के मान्यता की जांच कराई गई थी।
एडीएम सिटी एमपी सिंह ने बीएसए को निर्देशित किया है कि बगैर राजकीय मान्यता के इन स्कूलों का संचालन विधि विरुद्ध है। इन स्कूलों के संचालन से आम जनता व विद्यार्थियों का शोषण हो रहा है। उन्होंने ऐसे स्कूलों का संचालन बंद कराने के साथ ही विभागीय कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही आम लोगों की जानकारी के लिए इन विद्यालयों की सूची सार्वजनिक करने को लिखा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी सूर्यभान ने बताया कि बिना मान्यता के संचालित सीबीएसई बोर्ड के तीन स्कूलों को नोटिस भेजा गया है। विद्यालय प्रबंधन को मान्यता लेने और आवश्यक शर्तें पूरा करने के लिए 31 अक्तूबर तक का समय दिया गया है। इसके बाद भी यदि लापरवाही की गई तो नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के तहत एक लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है(अमर उजाला,वाराणसी,20.8.11)।

यूपीःबीएड की पूरी फीस का बनेगा डिमांड ड्राफ्ट

Posted: 20 Aug 2011 09:10 PM PDT

बीएड 2011-12 की शनिवार को शुरू हुई तीसरे चरण की काउंसिलिंग में फीस जमा करने के नियम बदल दिए गए हैं। काउंसिलिंग के अंतिम चरण में 5000 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) जमा कराने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। अब अभ्यर्थियों को 51,250 रुपए का डीडी जमा करना होगा। सीएसजेएम विवि के काउंसिलिंग समन्वयक डा. वीपी सिंह का कहना है कि शासन से निर्धारित पूरी फीस का डिमांड ड्राफ्ट बनवाया जा रहा है। 500 रुपए की काउंसिलिंग फीस का ड्राफ्ट अलग से बनेगा, जो वित्त अधिकारी, महात्मा ज्योतिबा फूले रूहेलखंड विवि बरेली के नाम देय होगा।
तीसरे चरण की काउंसिलिंग में विज्ञान, कृषि संकाय, कला, वाणिज्य संकाय की लगभग 8000 सीटाें को भरने की कवायद शुरू कर दी गई है। ज्यादातर सीटें मेरठ विवि से संबद्ध कालेजों की हैं। सीएसजेएम विवि के कंप्यूटर सेंटर, यूआईईटी, नारायणा, दयानंद एकेडमी, एसएसए के काउंसिलिंग समन्वयकों का कहना है कि कृषि, विज्ञान संकाय की सीटों पर दाखिले को लेकर अभ्यर्थियों में उत्साह नहीं है। ट्यूशन फीस और काउंसिलिंग शुल्क के डीडी संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। यह काउंसिलिंग आखिरी है। उन्होंने बताया कि शनिवार को साइंस वर्ग की काउंसिलिंग खत्म हो गई और 600 सीटें खाली बची हैं। ये सीटें अब शासन से निर्धारित अभ्यर्थियों के पूल से भरी जाएंगी। कला और वाणिज्य संकाय के लिए काउंसिलिंग 21 और 23 अगस्त को होगी(अमर उजाला,कानपुर,21.8.11)।

हिमाचलःसंस्कृत शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने और संस्कृत को राजभाषा बनाने की मांग

Posted: 20 Aug 2011 09:08 PM PDT

हिप्र राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपकर वेतन विसंगति को दूर करने तथा शास्त्री अध्यापकों को संस्कृत स्नातक का पद नाम देने की मांग की। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम स्वरूप शास्त्री और महासचिव सुंदर शर्मा ने परिषद की ओर से शिक्षा मंत्री के समक्ष ज्वालामुखी में सितंबर में प्रस्तावित संस्कृत अधिवेशन की अध्यक्षता करने का प्रस्ताव भी रखा। प्रधान सचिव शिक्षा श्रीकांत बाल्दी से मिलकर उनके समक्ष संस्कृत शिक्षकों की समस्याएं रखकर जल्द समाधान का आग्रह किया। राम स्वरूप शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की तर्ज पर हिमाचल में भी संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा प्रदान करने की मांग की(अमर उजाला,शिमला,20.8.11)।

राजस्थानःअनुकम्पा नियुक्तियों का अनुमोदन

Posted: 20 Aug 2011 09:02 PM PDT

माध्यमिक शिक्षा आयुक्तालय में 181 मृतक कर्मचारी आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति मिलने का रास्ता साफ हो गया है। गत तीन अगस्त को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इन्हें नियुक्तियां देने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद नियुक्ति की अनुशंसा के लिए प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा आयुक्त को भेजे गए। आयुक्त ने नियुक्तियों का अनुमोदन कर दिया है। इनमें 103 कनिष्ठ लिपिक तथा 78 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। अब आश्रितों के प्रस्ताव संबंधित उपनिदेशक को भेजे जाएंगे। उनकी जांच पड़ताल के बाद पदस्थापन के लिए प्रस्ताव संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा आयुक्तालय के अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) प्रेमसुख बिश्नोई ने बताया कि कमेटी में अनुकम्पा नियुक्ति के कुछ प्रकरणों में दस्तावेज की कमियां पाई गई थी। उनकी पूर्ति के बाद अनुशंसा पर विचार किया जाएगा(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,20.8.11)।

राजस्थानःएमबीबीएस में अवैध दाखिलों पर हाईकोर्ट की सख्ती

Posted: 20 Aug 2011 08:59 PM PDT

राजस्थान हाईकोर्ट ने एमबीबीएस में सरकारी कोटे में अवैध तरीके से दाखिले पर सख्ती दिखाते हुए बिना आरपीएमटी सीधे दाखिला पाने वाले छात्रों को नियमित करने से इनकार कर दिया है।
न्यायालय की खण्डपीठ ने इस मामले में एकलपीठ के आदेश को कायम रखते हुए महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि इनके दो-तीन साल की पढ़ाई पूरी करने के तर्क के आधार पर इन्हें राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि एमसीआई इन छह छात्रों के बारे में 2008 से ही जानकारी मांग रही थी। साथ ही, कहा कि आरपीएमटी से भरी जाने वाली सीटों के बारे में कॉलेज फेरबदल नहीं कर सकता। न्यायालय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता, प्रवेश पूर्णत: नियमानुसार ही होने चाहिए। कॉलेज की ओर से अपनाई प्रक्रिया को एमसीआई के निर्देशों की अनदेखी माना है(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,21.8.11)

राजस्थानःतकनीकी शिक्षा में बह रही 'उल्टी गंगा'

Posted: 20 Aug 2011 08:58 PM PDT

प्रदेश में तकनीकी शिक्षा की उल्टी गंगा बह रही है। पॉलीटेक्निक व औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में प्रवेश की राह जहां कठिन हो रही है, वहीं इंजीनियरिंग कॉलेज काउंसलिंग के समय काउंटर लगाकर विद्यार्थियों का इंतजार करते दिखाई देते हैं।
पॉलीटेक्निक में तो फिर भी केन्द्रीयकृत प्रवेश होने से मौका मिल जाता है, लेकिन आईटीआई में खुलकर मनमानी चल रही है। सरकारी आईटीआई में सीटें सीमित हैं, ऎसे में निजी आईटीआई संस्थान चांदी कूट रहे हैं। न्यूनतम प्राप्तांकों की बाध्यता नहीं होने से कमजोर विद्यार्थी इनके लिए मजबूत नींव साबित हो रहे हैं। हालात ये हैं कि निजी आईटीआई में अच्छे कोर्स में प्रवेश लेने के लिए इंजीनियरिंग कोर्सेज जितनी राशि मांगी जा रही है। केन्द्रीयकृत प्रवेश व्यवस्था नहीं होने से निजी आईटीआई में सभी सीटें मैनेजमेंट की तरह भरी जा रही हैं।
इन पर अंकुश नहीं
प्रदेश में सरकारी आईटीआई में प्रवेश संबंधी नियमों की पालना के बार-बार निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन निजी आईटीआई में ये नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। विद्यार्थी सीधे संबंघित संस्थान में जाता है और 'डोनेशन' देकर प्रवेश ले लेता है। विद्यार्थियों के आवेदनों के आधार पर कोई वरीयता सूची जारी नहीं होती। यहां शुल्क भी मनमर्जी से निर्धारित होता है और सीटों का आवंटन भी।

क्यों बढ़ा रूझान
आईटीआई (दो वर्ष) पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद विद्यार्थी थर्मल पावर प्लांट, गैस पावर प्लांट, रेलवे, जल व विद्युत विभाग में विभिन्न तकनीकी पदों पर आवेदन करने के योग्य बन जाते हैं। पॉलीटेक्निक (तीन वर्ष), इंजीनियरिंग (न्यूनतम चार वर्ष) तथा सामान्य स्नातक के बाद व्यावसायिक कोर्स करने में करीब पांच से छह साल का समय लगता है। जबकि आईटीआई करने के बाद इतने समय में विद्यार्थी नौकरी करने लगता है।
एक सीट, सात दावेदार
कोटा के सरकारी आईटीआई में उपलब्ध सीटों के मुकाबले सात गुना तक आवेदन आते हैं। इस वर्ष भी यहीं स्थिति रही। यहां सामान्य श्रेणी की कटऑफ 64 प्रतिशत रहा है। ऎसे में शेष आवेदकों के पास निजी आईटीआई में प्रवेश लेने के सिवा कोई रास्ता भी नहीं रहता। उनकी इसी मजबूरी का फायदा निजी आईटीआई संस्थान उठाते हैं।

यह सही है कि निजी आईटीआई में प्रवेश संबंधी नियमों की पूरी तरह पालना नहीं हो पाती। हमारी ओर से पालना करवाने के पूरे प्रयास किए जाते हैं। अनियमितता मिलने पर संबंधित संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।' अशोक शर्मा, उपनिदेशक, प्रशिक्षण तकनीकी शिक्षा

(प्रमोद मेवाड़ा,राजस्थान पत्रिका,कोटा,20.8.11)

अजमेर रेलवे बोर्डःसहायक लोको पायलट परीक्षा परिणाम घोषित

Posted: 20 Aug 2011 08:56 PM PDT

रेलवे भर्ती बोर्ड अजमेर ने सहायक लोको पायलट कोटि संख्या एक व दो पदों के लिए 13 फरवरी 2011 को आयोजित लिखित व 4 से 11 जुलाई तक आयोजित अभिरूचि परीक्षा के आधार पर दस्तावेज सत्यापन के लिए अनन्तिम (प्रोविजनली) रूप में पात्र पाए गए अभ्यर्थियों का परिणाम शनिवार को घोषित कर दिया। यद्यपि नामांक प्रकाशन में पूर्ण सावधानी बरती गई है, फिर भी बोर्ड की सूचना ही अधिकृत एवं अंतिम मान्य होगी। -(सं.)
सहायक लोको पायलट परीक्षा, कोटि संख्या 01

12101011020023 35 36 51 74 143 52 208 38 48 403 52 88 555 57 604 40 46 76 78 701 21 977 83 1017 88 134 39 42 52 230 40 310 22 36 46 416 17 58 64 96 589 653 761 74 834 38 41 55 80 83 925 2024 137 41 59 266 87 344 63 72 418 77 505 12 22 30 92 621 747 65 94 800 9 29 32 48 87 936 52 57 74 98 3003 7 9 16 29 35 78 122 25 74 97 231 63 381 443 86 88 551 56 70 74 661 73 848 50 911 23 48 4053 77 78 99 151 67 291 331 74 408 550 92 97 619 42 54 2024690 717 30 32 74 96 823 28 42 56 70 84 96 914 75 5026 27 79 100 36 43 49 70 82 84 209 29 75 79 94 304 13 62 76 79 81 432 38 61 95 512 53 63 632 43 84 706 40 66 90 91 842 43 65 76 86 904 26 38 46 75 99 6019 71 72 79 82 105 48 74 94 218 29 49 70 300 3 22 32 89 403 4 24 39 76 97 505 45 55 83 95 659 706 47 60 74 91 98 806 17 18 22 25 30 57 79 84 907 20 38 49 94 7007 24 32 59 79 82 143 63 99 224 39 43 50 362 80 86 96 401 515 25 32 73 78 85 94 613 20 60 84 700 44 77 99 807 15 73 902 17 21 29 3027939 82 89 96 8003 15 49 58 136 62 207 52 70 369 76 402 10 33 58 63 96 513 25 35 36 89 607 30 70 79 709 833 36 66 900 48 76 94 96 9038 39 49 54 88 100 35 236 80 339 90 446 69 80 505 25 34 45 637 91 93 94 95 701 5 47 58 63 70 84 809 20 33 45 51 62 84 929 74 90 30014 36 46 47 49 53 67 86 105 11 35 49 50 58 84 93 237 313 34 4030360 61 67 451 58 70 71 80 90 516 18 21 69 89 92 618 36 42 62 90 91 712 26 831 45 70 90 901 10 45 55 59 62 77 86 89 92 96 98 1014 48 67 83 93 98 117 38 61 66 96 238 98 334 61 71 81 401 14 29 90 95 538 48 49 54 56 67 70 82 89 603 12 33 46 54 70 711 18 30 36 37 40 54 58 72 76 813 15 33 60 90 908 31 40 51 54 57 58 77 86 2009 15 38 48 60 70 81 97 99 128 34 66 68 80 87 215 42 70 314 22 24 27 53 54 75 85 416 23 47 48 61 68 74 97 98 99 505 7 40 59 80 625 50 97 717 32 46 72 75 913 47 56 79 81 88 3033 39 43 53 68 74 85 98 102 8 32 34 39 45 47 72 226 88 96 319 25 48 61 85 422 33 41 57 513 27 29 31 34 63 70 82 87 91 604 34 48 56 61 713 14 30 800 12 32 53 89 910 13 48 49 71 82 4005 19 24 32 55 84 85 137 45 56 87 206 13 25 34 35 48 71 75 92 302 26 44 45 59 66 96 401 7 29 68 510 29 33 35 56 58 69 82 88 91 601 8 17 21 25 49 82 92 97 711 17 35 47 66 71 809 52 54 85 86 933 37 42 59 66 68 5001 9 23 62 74 77 100 8 20 41 43 49 68 78 214 16 29 49 85 90 95 301 4 9 42 48 50 63 92 410 65 66 82 93 94 97 517
उपरोक्त के अलावा निम्नलिखित विस्तारित मेरिट सूची के अन्र्तगत उम्मीदवारों को उनकी उम्मीदवारी एवं दस्तावेज सत्यापन के लिए प्रोविजनल आधार पर वास्तविक रिक्तियों की संख्या के अतिरिक्त बुलाया जा रहा है, ताकि किसी भी कारणवश पैनल में होने वाली कमी से बचा जा सके। ये अभ्यर्थी केवल बुलाए जाने मात्र से ही अपने चयन की दावेदारी नहीं कर सकते हैं।
12101011020360 662 87 702 91 824 72 900 9 21 1001 104 67 587 866 917 2065 72 112 47 96 399 403 523 616 903 3010 11 102 383 425 28 543 73 696 715 845 4135 205 501 34 2024759 60 73 822 904 8 5022 32 118 32 204 40 59 314 448 53 580 89 622 873 937 6076 203 38 40 81 94 374 460 548 661 702 41 899 916 55 7112 296 306 69 405 19 76 561 618 81 759 850 76 912 3028109 230 67 328 725 33 47 801 9102 44 82 265 316 54 92 486 515 699 740 62 92 810 908 13 30017 30 75 263 338 4030416 505 14 676 707 60 65 76 875 1129 227 69 336 78 517 88 601 69 723 24 84 808 12 57 914 2030 65 126 90 223 95 392 463 622 48 67 808 56 916 52 3119 219 405 6 19 575 624 778 839 71 919 4079 107 58 224 341 55 438 577 84 602 44 45 844 57 931 52 65 67 5000 38 477 507
सहायक लोको पायलट परीक्षा, कोटि संख्या 02
12101011035542 45 46 51 53 54 55 56 57 58 60 61 2035566 67 73 75 82 3035587 88 92 93 95 96 4035600 1 5 6 7 9 12 14 15 16 17 18 20 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 34 35 36 37 38 40 41 44 47 48 49 50 51 52 54 55 57(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,21.8.11).

बिहार में टीचर ट्रेनिंग कॉलेजों के लिए विशेष पहल

Posted: 20 Aug 2011 08:54 PM PDT

राज्य में टीचर ट्रेनिंग कालेजों की घनघोर किल्लत को दूर करने की दिशा में बिहार सरकार विशेष पहल करेगी। राज्य सरकार ने केन्द्र से एनसीटीई के टालू रवैये को लेकर सीधा हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। मानव संसाधन विकास विभाग की पहल पर राज्य के तीन दर्जन से अधिक अंगीभूत महाविद्यालय टीचर ट्रेनिंग कालेज खोलने को आगे आए हैं।

लेकिन नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन की बार-बार की आपत्तियों से यह मुहिम कुंद हो रही है। बिहार ने मांग की है कि एनसीटीई की टीम दो या तीन दिनों तक कैम्प करके बीएड कोर्स शुरू करने वाले संस्थानों का आवेदन लें। आपत्तियों का निराकरण करें। इस कैम्प में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास विभाग की टीम भी मौजूद रहे।

इसको लेकर मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने एमएचआरडी के सचिव अंशू वैश्य को एक पत्र लिखा है। पत्र में उनसे बातचीत का हवाला देते हुए सिंह ने कहा है कि एनसीटीई में नालंदा खुला विवि बिहार, स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग पटना, तथा राज्य के 26 कांस्टीच्यूएंट कालेजों की मान्यता लंबित है। आप जानते हैं कि बिहार में टीचर ट्रेनिंग क्षमता की बड़ी कमी है। हम इस क्षमता को शीघ्र बढ़ाना चाहते हैं।


एनसीटीई को जो आवेदन गए हैं वे विभिन्न स्टेज में हैं। हम चाहते हैं कि एनसीटीई की एक टीम और एमएचआरडी की एक टीम दो-तीन दिनों तक पटना में कैम्प करे, ताकि कोर्स की मान्यता का समाधान एनसीटीई द्वारा शीघ्र हो सके। सिंह ने इस मुद्दे पर अंशु वैश्य से व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

बिहार की मुश्किलें आरटीई लागू होने के बाद प्रारंभिक कक्षाओं में छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 करने की मुश्किल। इसके लिए चाहिए 3 लाख ट्रेंड टीचर। फिलहाल महज 5500 सालाना ट्रेंड टीचर तैयार करने की क्षमता। 2.25 लाख नियोजित शिक्षकों में करीब डेढ़ लाख को प्रशिक्षित करने का पहले से ही टास्क। टीईटी में अनट्रेंडो के शामिल करने के बाद पास होने वाले अनट्रेडों को भी बनाना होगा ट्रेंड। बिहार से ज्यादा झारखंड में ट्रेनिंग कालेज फिलहाल बिहार में एनसीटीई से मान्यता प्राप्त 37 इलिमेंट्री, 35 सेकेंड्री और तीन मास्टर ऑफ एजुकेशन कालेज हैं। उधर, बिहार से ही अलग हुए राज्य झारखंड में एलिमेंट्री के 24, सेकेंड्री के 55 और एमएड के 4 संस्थान एनसीटीई से मान्यता प्राप्त हैं(आशीष कुमार मिश्रा,हिंदु्स्तान,दिल्ली,21.8.11)।

बिहारः23 हजार मध्य विद्यालयों में शिक्षक बनेंगे हेडमास्टर

Posted: 20 Aug 2011 08:46 PM PDT

राज्य के करीब तेईस हजार मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने शिक्षकों की सेवा अवधि और योग्यता में शिथिलीकरण करने का फैसला किया है। इस फैसले को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने के लिए मानव संसाधन विकास विभाग ने एक प्रारूप तैयार किया है। इस प्रारूप के तहत राज्य के मध्य विद्यालयों में स्नातक वेतनमान में न्यूनतम 5 वर्षो की सेवा अनुभव वाले शिक्षकों में से स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को वरीयता के आधार पर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दी जायेगी। नये संशोधित नियमावली में जिलास्तर पर गठित प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष पद से जिला पदाधिकारी को मुक्त कर यह जिम्मेवारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी गयी है। मानव संसाधन विकास विभाग ने राज्य के राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत जिला संवर्ग के शिक्षकों की प्रोन्नति हेतु बिहार राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक प्रोन्नति नियमावली में संशोधन किया है। नये संशोधित नियमावली में जिलास्तर पर गठित प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी गयी है। फिलहाल राज्य के राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों में वेतनमान में कार्यरत जिला संवर्ग के शिक्षकों की प्रोन्नति, नियमावली 1993 के आलोक में की जा रही है। नियमावली के मुताबिक जिला पदाधिकारी प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष हैं। वहीं वरीय एवं प्रवरण वेतनमान की प्रक्रिया को सरल करते हुए मैट्रिक व इन्टरमीडिएट कोटि एवं स्नातक कोटि के शिक्षकों को 12 वर्षो पर प्रथम वित्तीय उन्नयन तथा 24 वर्षो पर द्वितीय वित्तीय उन्नयन देने का प्रावधान किया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने मानव संसाधन विकास विभाग की समीक्षा के क्रम में यह निर्णय लिया था कि जिला पदाधिकारी की व्यस्तता एवं भूमिका को देखते हुए प्रोन्नति समिति का अध्यक्ष विभागीय पदाधिकारी को ही बनाया जाये। साथ ही शिक्षा संवर्ग के पुनर्गठन किये जाने के फलस्वरूप नई पद संरचना एवं पदनाम के अनुसार भी प्रोन्नति समिति का पुनर्गठन हो। मालूम हो कि प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों की प्रोन्नति नियमावली 1993 के अनुसार प्रत्येक कोटि में 12 वर्षो की सेवा के पश्चात वरीय वेतनमान दिये जाने का प्रावधान है। इसमें वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों में से केवल 20 प्रतिशत शिक्षकों को ही प्रवरण वेतनमान देने की व्यवस्था है। अधिकाश: जिलों में प्रवरण वेतनमान में 20 प्रतिशत की गणना करने में प्रक्रियात्मक विलंब के कारण शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है। इसे सरल करते हुए सभी शिक्षकों को 12 वर्षो पर वरीय वेतनमान एवं 24 वर्षो पर प्रवरण वेतनमान स्वीकृत होना है। वर्तमान नियमावली के अनुसार स्नातक वेतनमान में न्यूनतम 5 वर्षो की सेवा अनुभव वाले कार्यरत शिक्षकों में से स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को वरीयता के आधार पर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति दी जा सकती है। अधिकांश जिलों में स्नातक वेतनमान में ही प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है। इसलिए स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति प्राप्त शिक्षकों में से पांच वर्षो की न्यूनतम सेवा वाले स्नातकोत्तर शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण राज्य के 26000 मध्य विद्यालयों में से लगभग 3000-3500 मध्य विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक उपलब्ध हैं। लिहाजन मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के पदों को प्रोन्नति से भरने हेतु निर्धारित कालावधि एवं योग्यता में एक बार शिथिलीकरण की व्यवस्था की जानी है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,21.8.11)।

मध्यप्रदेशः30 नवम्बर तक होगा परीक्षा केंद्रों का निर्धारण

Posted: 20 Aug 2011 08:44 PM PDT

तीस नवंबर तक माध्यमिक शिक्षा मंडल दसवीं-बारहवीं की परीक्षा के लिए केंद्रों का निर्धारण कर देगा। 31 दिसंबर के बाद परीक्षा केंद्रों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। छात्रों को केंद्रों की सूचना 31 जनवरी तक दी जाएगी। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाईकोर्ट के परिपेक्ष्य में दसवीं-बारहवीं परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। गत वर्ष परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में कुछ लेटलतीफी भी हुई थी लेकिन इस बार मंडल पूरी सावधानी बरत रहा है। इसके अनुसार दसवीं-बारहवीं में परीक्षा फार्म भरने वाले छात्रों की सूची एवं कुल संकायवार जिला शिक्षा अधिकारी, मंडल को 15 अक्टूबर तक भेजेंगे। जिला योजना समिति द्वारा अक्टूबर-नवंबर माह में केंद्र निर्धारण के संबंध में बैठक आयोजित कर अपनी अनुशंसाएं 30 नवंबर तक मंडल को प्रेषित करेंगे। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के बाद उनके बदलने की अनुशंसा स्वीकार नहीं की जायेंगी। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में गतवर्ष के परीक्षा केंद्रों में जिनमें सामूहिक नकल, नकल के अनेक प्रकरण या नकल की पर्चियां मिली, तो उन्हें इस साल केंद्र नहीं बनाया जाए। परीक्षा केंद्रों का चयन करते समय विशेष ध्यान रखा जाए कि संबंद्ध शाला से प्रस्तावित परीक्षा केंद्र की दूरी कम से कम होनी चाहिए। शहरी क्षेत्र में यह दूरी अधिकतम 5 किलोमीटर व ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम दूरी दस किलोमीटर हो। जिस शाला को परीक्षा केंद्र बनाया जाना प्रस्तावित है, उसमें अध्ययनरत छात्रों को उस परीक्षा केंद्र में शामिल नहीं किया जाए। जिला योजना समिति द्वारा केंद्र के निर्धारण के लिए अपनी सिफारिश अंतिम रूप से 31 दिसंबर तक सूचना का प्रकाशन करेंगे। बोर्ड इससे सहमत नहीं होता, तो केंद्र में परिवर्तन भी कर सकता है। किसी भी परिस्थिति में 31 दिसंबर के बाद केंद्र में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। स्कूल प्राचार्य द्वारा 31 जनवरी तक केंद्र के निर्धारण की सूचना विद्यार्थियों को दी जाएगी(दैनिक जागरण,भोपाल,21.8.11)।

उत्तराखंडःटीईटी में अंकों की अनिवार्यता खत्म

Posted: 20 Aug 2011 08:36 PM PDT

नैनीताल उच्च न्यायालय ने स्नातक स्तर पर 50 फीसद से कम अंक लाने वाले बीएड धारकों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित होने का पात्र करार दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार से ऐसे अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने बलदेव सिंह एवं सैकड़ों अन्य लोगों की याचिकाओं की सुनवाई पर दिया है। इन याचिकाओं में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस अधिसूचना में टीईटी के लिए स्नातक स्तर पर 50 फीसदी तक अंक लाने वाले छात्रों को पात्र बताया गया था। याचिकाकर्ताओं ने एनसीटीई के इस आदेश के बाद विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा निकाली गई विज्ञप्ति को निरस्त करने की मांग की थी। इन याचिकाओं में अभ्यर्थियों ने कहा था कि 2007 की बीएड प्रवेश परीक्षा में स्नातक स्तर पर 45 फीसद अंक की अनिवार्यता थी, जबकि इसके पहले अंकों की कोई बाध्यता नहीं थी। दोनों पक्षों के तकरे को सुनने के बाद एकल पीठ ने कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 को लागू की गई है। इससे पूर्व बीएड कर चुके अभ्यर्थियों पर लागू नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही एकल पीठ ने पचास फीसदी से कम अंक लाने वालों को टीईटी परीक्षा के लिए योग्य करार दे दिया है। उधर, एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने बीपीएड को राहत नहीं दी। हाईकोर्ट ने बीपीएड अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दी है। यह याचिका अनिल लोहनी एवं अन्य ने दाखिल की थी(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,21.8.11)।

भोपालःअब तक आधा प्रतिशत स्कूलों को ही मान्यता

Posted: 20 Aug 2011 08:32 PM PDT

शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बाद भी राजधानी में अभी तक आधा प्रतिशत स्कूलों को ही जिला शिक्षा कार्यालय से मान्यता मिली है। जबकि लोक शिक्षण संचालनालय व राज्य शिक्षा केंद्र आयुक्त ने 31 अगस्त तक मान्यता के प्रकरणों को निपटाने के लिए कहा है। जानकारी के अनुसार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत इस बार सभी स्कूलों को जिला शिक्षा कार्यालय से मान्यता लेनी है। राजधानी में मप्र बोर्ड, मदरसा, संस्कृत शाला सहित करीब 22 सौ स्कूल है। इसमें मान्यता के लिए 1885 स्कूलों ने आवेदन किया है। बीआरसी के माध्यम से अभी तक 170 आवेदन ही जिला शिक्षा कार्यलय पहुंचे हैं। जिला शिक्षा कार्यालय में भी कंप्यूटर खराब होने से काम बाहर कराया जा रहा है। इसमें अभी तक 100 स्कूलों को ही मान्यता दी गई है। अन्य 70 आवेदनों पर कार्यवाही चल रही है। वहीं 1785 स्कूलों के प्रकरण ही अभी तक बीआरसी ने जिला शिक्षा कार्यालय में नहीं पहुंचाए हैं। वहीं राज्य शिक्षा केंद्र से 31 अगस्त तक हर हाल में मान्यता के प्रकरण निपटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं आयुक्त लोक शिक्षण भी वीडियों कांफ्रेंसिंग में 31 अगस्त मान्यता के सभी प्रकरणों का निराकरण का निर्देश दे चुके हैं। धीमी गति से चल रहा निरीक्षण: स्कूलों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण कार्य धीमी गति से चल रहा है। बीआरसी कार्यालय हो रहे निरीक्षण में लेटलतीफी का खामियाजा बाद में छात्रों को उठाना पड़ सकता है(दैनिक जागरण,भोपाल,21.8.11)।

डीयूःओबीसी की 3000 सीटें अब भी खाली,11वीं कट-ऑफ की तैयारी

Posted: 20 Aug 2011 08:29 PM PDT


10वीं कटआफ के बेस पर दाखिले के बाद भी डीयू के कॉलेजों में ओबीसी की काफी सीटें बच गई हैं। खास बात यह है कि ओबीसी की 3500 सीटों को भरने के लिए डीयू अब तक 5 कटऑफ निकाल चुकी है, लेकिन इन 5 कटआफ के बेस पर मात्र 500 दाखिले हुए। अब भी 3 हजार सीटें खाली हैं। विविद्यालय के रजिस्ट्रार राजेश कुमार सिन्हा ने बताया कि और कटऑफ निकालने के अलावा उनके पास और कोई रास्ता नही है। विवि बाकी बची सीटों को भरने के लिए 11वीं कटऑफ निकालेगा। उन्होंने कहा कि लगता है कि इस पूरे महीने दाखिले चलते रहेंगे। विविद्यालय मंगलवार को 11वीं कटआफ को लेकर फैसला करेगा। गौरतलब है कि दसवीं कटऑफ में ओबीसी छात्रों को भारी छूट देने की डीयू की हिदायत के बाद भी कुछ कॉलेजों को छोड़कर ज्यादातर कॉलेजों ने पुराना फंडा अपनाया और कटऑफ को न्यूनतम योग्यता तक नहीं ले गए। इसके पीछे कारण यह भी है कि यदि कॉलेज कटऑफ को 70 से सीधा 40 फीसद तक लाते हैं, तो उनके सामने दो सीटों के लिए 40 उम्मीदवार आ सकते हैं। इस कारण, कॉलेजों ने यह खतरा मोल नहीं लिया। राजेश सिन्हा के मुताबिक कॉलेजों को अब अपनी कटऑफ और गिरानी होगी। इसके अलावा न्यूनतम योग्यता में भी 10 फीसद तक छूट देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यदि 11वीं कटऑफ से भी सीटें नहीं भरतीं तो फिर कॉलेजों को अपने स्तर से कटऑफ जारी करने के लिए कहा जा सकता है। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो जेएम खुराना ने कहा कि कॉलेजों को किसी भी हालत में सीटों को भरना होगा। यदि कॉलेज कटऑफ ज्यादा नीचे करते हैं और सीटों के हिसाब से ज्यादा उम्मीदवार आते हैं, तो ऐसे में कॉलेज मेरिट के आधार पर दाखिले कर सकते हैं। कॉलेजों को कटऑफ में गिरावट करने को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। बता दें कि विविद्यालय नियमों के तहत कॉलेजों में 31 अगस्त तक दाखिले हो सकते हैं। विविद्यालय ओबीसी सीटों को सामान्य व अन्य आरक्षित वगरे में परिवर्तित न करने का फैसला पहले ही ले चुका है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,21.8.11)।

नई दुनिया की रिपोर्टः
दिल्ली विश्वविद्यालय में शनिवार को दसवीं लिस्ट के आधार पर ओबीसी दाखिले का काम पूरा हो गया। कॉलेजों में इसके बाद भी कई महत्वपूर्ण कोर्स में सीटें खाली हैं। प्रशासन इन सीटों का ब्योरा मंगाकर विचार कर रहा है। 

विश्वविद्यालय में बीकॉम आनर्स, बीकॉम, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, इतिहास और साइंस के विभिन्न कोर्स में दस लिस्ट के बाद भी सीटें नहीं भर पाईं। शनिवार को दसवीं लिस्ट के आधार पर दाखिले की आखिरी समय सीमा खत्म हो गई। बताया जाता है कि इस बार कॉलेजों में इक्के दुक्के छात्रों ने ही दाखिला लिया है। रामलाल आनंद कॉलेज के प्राचार्य विजय शर्मा ने बताया कि इस वर्ग की कई सीटें पहले की तरह ही खाली रह गई हैं। नये छात्र दाखिला लेने कम ही आए हैं। दूसरे कॉलेज में दाखिला पाने वाले ओबीसी छात्र ही इस कट ऑफ के आधार पर एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे हैं। कॉलेजों में सेशन के एक माह गुजर चुके हैं। सेमेस्टर में देर से दाखिला पाने वाले छात्रों का अब नुकसान ही है। इसलिए इस वर्ग में अब नये छात्र दाखिला लेने नहीं आ रहे हैं। बची हुई सीटों का ब्योरा कॉलेज ने प्रशासन को भेज दिया है। आचार्य नरेन्द्रदेव कॉलेज की प्राचार्य सावित्री सिंह ने बताया कि बीकॉम आनर्स की सीटें अब भी खाली हैं। इतनी देर से लिस्ट जारी होने पर छात्र कम ही आ रहे हैं। अब परीक्षा के ढाई माह रह गए हैं। ऐसे में आगे इस वर्ग में नए छात्रों के आने की उम्मीद न के बराबर है। शहीद भगत सिंह सांध्य कॉलेज में भी बीकॉम आनर्स में ओबीसी की सीटें खाली रह गई हैं। इनके अलावा कैंपस के प्रमुख कॉलेजों में भी विभिन्न कोर्स में ओबीसी की सीट नहीं भरी हैं। प्राचार्यों ने इसका ब्योरा दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को भेज दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले की आ़ड़ में विश्वविद्यालय प्रशासन आगे इन सीटों का क्या किया जाए इस पर विचार कर रहा है। प्राचार्यों का कहना है कि अब अगले साल से इन सीटों को भरने के लिए अदालत के आदेश के हिसाब से नियम तैयार किए जाएं। इससे कॉलेजों में ऊहापोह की स्थिति नहीं रहेगी। सभी जगह एक समान ढंग से दाखिले दिये जा सकते हैं।

बिहारःस्कूल 26 हजार, प्रधानाध्यापक साढ़े तीन हजार !

Posted: 20 Aug 2011 08:25 PM PDT

मध्य विद्यालय 26 हजार मगर प्रधानाध्यापक महज 3500 में ही तैनात। विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने व शिक्षकों के नियोजन में जुटा मानव संसाधन विकास विभाग जो दावा करे खुद सरकार के दस्तावेज यह सच कबूल रहे हैं। इस विकट स्थिति से उबरने के लिए विभाग राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत जिला संवर्ग के मैट्रिक-इंटर कोटि व स्नातक के शिक्षकों की प्रोन्नति नियमावली 2011 तैयार कर ली है तथा उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया है। नई नियमावली के मुताबिक स्नातक वेतनमान में न्यूनतम 5 वर्षो की सेवा अनुभव प्राप्त शिक्षकों में से स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को वरीयता के आधार पर मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दी जा सकती है। राज्य के अधिकांश जिलों में स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति न दिये जाने के चलते 26 हजार मध्य विद्यालयों में तीन-साढ़े तीन हजार मध्य विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक उपलब्ध हैं। नियमावली के तहत अब वरीय (सीनियर ग्रेड) व प्रवरण (सेलेक्शन ग्रेड) वेतनमान की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए शिक्षकों को 12 वर्ष की सेवा पूरी करने पर प्रथम वित्तीय उन्नयन तथा 24 वर्ष की सेवा पूरी कर लेने पर द्वितीय वित्तीय उन्नयन देने का प्रावधान किया गया है। जिलाधिकारी के स्थान पर जिला शिक्षा पदाधिकारी अब प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष होंगे। विभागीय सूत्रों के अनुसार शिक्षा संवर्ग के पुनर्गठन के बाद नई पद संरचनाव पदनाम के अनुसार प्रोन्नति समिति का पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। 1993 की मौजूदा प्रोन्नति नियमावली के अनुसार प्रत्येक कोटि में 12 वर्ष की सेवा के बाद वरीय वेतनमान देने का प्रावधान है जबकि वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों को ही प्रवरण वेतनमान देने की व्यवस्था है। इसके चलते अधिकांश जिलों में 20 प्रतिशत की गणना में प्रक्रियात्मक विलंब के कारण शिक्षकों को प्रवरण में प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है। नई नियमावली में इसे सरल कर दिया गया है(दैनिक जागरण,पटना,21.8.11)।

डूटा चुनाव में छाया प्रोफेसरशिप व नियमित नियुक्ति का मुद्दा

Posted: 20 Aug 2011 08:24 PM PDT

दिल्ली विविद्यालय शिक्षक संघ चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशी इस बार मुख्य रूप से कॉलेजों में प्रोफेसरशिप को जल्द से जल्द लागू करवाने और शिक्षकों की रुकी हुई नियमित नियुक्तियों के मुद्दे को लेकर ताल ठोंकेगे। प्रत्याशियों का कहना है कि डीयू ने प्रोफेसरशिप देने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन कॉलेजों में अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है। इसी प्रकार, करीब 3 हजार शिक्षकों की नियमित नियुक्ति होनी है, लेकिन यह मामला भी अधर में लटका हुआ है। तदर्थ शिक्षकों से कॉलेजों में काम चलाया जा रहा है। उधर, डूटा चुनाव में नामांकन करने वाले सभी प्रत्याशियों की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई। चुनाव में अध्यक्ष के 1 पद के लिए 4 और कार्यकारिणी सदस्य के 15 पदों के लिए 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। डूटा चुनाव 25 अगस्त को है। मतदान उत्तरी परिसर के कला संकाय में होगा। प्रमुख संगठन में एएडी, इंटेक, डीटीएफ और एनडीटीएफ शामिल हैं। डूटा चुनाव में वामपंथी शिक्षक संगठन डीटीएफ की ओर से कार्यकारिणी सदस्य पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाली डॉ. आभा देव हबीब का कहना है कि उनके अहम मुद्दों में प्रोफेसरशिप और नियमित नियुक्तियां तो हैं ही। इसके अलावा डीयू में सेमेस्टर की लड़ाई को आगे ले जाना, प्रशासन को शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों के प्रति जबावदेह बनाना भी उनके चुनावी एजेंडे में शामिल है। ओबीसी आरक्षण के बाद कॉलेजों में ढांचागत विकास पूरा करवाना और बाजारीकरण की नीतियों के विरोध का मुद्द पर वह लेकर मैदान में उतरी हैं। शिक्षकों के प्रमोशन में प्वाइंट सिस्टम का विरोध भी उनके मुद्दों में शामिल है। भाजपाई शिक्षक संगठन एनडीटीएफ की ओर से डूटा अध्यक्ष पद के प्रत्याशी डॉ. मनोज खन्ना ने कहा कि प्रोफेसरशिप तो घोषित कर दी गई है, लेकिन अभी तक कॉलेजों में इसे लागू नहीं किया जा सका है। इसके चलते कॉलेजों में अब तक एसोसिएट प्रोफेसर की प्रोफेसर के तौर पर पदोन्नति नहीं हो पाई है। इसके अलावा कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है, जबकि डीयू में 3 हजार शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। डॉ. खन्ना ने कहा कि अन्य मुद्दों में शिक्षकों की सेवा शतरे को लेकर परेशानियां दूर करना प्रमुख है। इसके अलावा डीयू शिक्षकों के प्रोविडेंट फंड पर जो ब्याज दर कम मिलता है, उसे भी बढ़वाना उनके एजेंडे का हिस्सा है। एएडी की ओर से कार्यकारिणी पद के प्रत्याशी डॉ राजीव कुमार वर्मा ने कहा कि कॉलेजों में शिक्षकों को प्रोफेसरशिप और नियमित नियुक्तियां करवाना उनके एजेंडे में प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षकों को मेडिकल का पूरा भुगतान नहीं मिलता है। उसे शत प्रतिशत करवाना व कम्प्यूटर प्रोफेशनलों को शिक्षकों के बराबर दर्जा दिलवाना भी उनके प्रमुख मुद्दे हैं। कांग्रेसी शिक्षक संगठन इंटेक की ओर से कार्यकारिणी पद के प्रत्याशी जाकिर हुसैन कॉलेज के भूपेन्द्र ने कहा कि युवा शिक्षकों की नियमित नियुक्तियां और उनके हित में काम करना उनके एजेंडे मे है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,21.8.11)।

झारखंडःशिक्षकों के खाली पदों पर नियुक्ति शीघ्र

Posted: 20 Aug 2011 09:14 PM PDT

बिहारःविवि शिक्षकों के लिए खुला खजाना

Posted: 20 Aug 2011 08:11 PM PDT

राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय व कालेज शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन, पेंशन व वित्तीय वर्ष 2009-10 तथा 2010-11 के महंगाई भत्ते के मद में बकाये राशि के भुगतान के लिए मार्च 2011 से फरवरी 2012 तक की अवधि के लिए 982 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। उक्त राशि की माहवार विमुक्ति की जायेगी। विभाग के सचिव एस.शिव कुमार के हवाले से स्वीकृति आदेश शुक्रवार देर रात जारी कर दिया गया। विभाग अब इस प्रयास में लगा है कि कोषागार से आवंटन आदेश प्राप्त कर यथाशीघ्र इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से विश्वविद्यालयों के खाते में जमा कर दे ताकि ईद के मौके पर शिक्षकों व कर्मचारियों को जून व जुलाई माह के वेतन, पेंशन व महंगाई भत्ते की बकाया राशि का भुगतान हो सके। विभागीय आदेश के मुताबिक पटना विश्वविद्यालय को 72.58 करोड़, मगध विश्वविद्यालय को 225 करोड़ 88 लाख, बिहार विश्वविद्यालय को 141 करोड़ 80 लाख, जेपी विश्वविद्यालय को 59 करोड़ 72 लाख,कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को 76 करोड़ 44 लाख,भागलपुर विश्वविद्यालय को 133 करोड़ 30 लाख, बीएन मंडल विश्वविद्यालय को 89 करोड़ 67 लाख, मिथिला विश्वविद्यालय को 148 करोड़ 66 लाख तथा दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को 31 करोड़ 89 लाख रुपये स्वीकृत किये गये हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि वेतन,पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान वैसे ही शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मियों को किया जाये जो विश्वविद्यालय सेवा में विधिवत रूप से नियुक्त हैं अथवा सेवा निवृत्त हो चुके हैं। विश्वविद्यालयों को हिदायत दी गई है कि वे वेतन का भुगतान करने के पूर्व शिक्षकों व कर्मियों से लिखित वचनबद्धता ले लें कि वेतन सत्यापन में यदि पाया गया वे अनुमान्य से अधिक वेतन ले रहे हैं तो राशि की वसूली की जायेगी(दैनिक जागरण,पटना,21.8.11)।

आईटी कर्मचारी घर बैठे कर रहे ऑफिस का काम

Posted: 20 Aug 2011 08:08 PM PDT

यदि आप अपने ऑफिस का काम घर पर बैठकर कर सकें तो कैसा रहे। ऐसा हो रहा है। कुछ आईटी कंपनियां अपना काम घरों से करवा रही हैं। यानी रोजाना ऑफिस जाने के लिए जल्दी जागने से मुक्ति।

एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कुछ आईटी कंपनियां अपना 40 फीसदी काम घरों से करवा रही हैं। जाहिर है इसमें कर्मचारियों और कंपनियां दोनों ही अपना फायदा देख रही हैं। हालांकि यह संस्कृति अभी सिर्फ आईटी कंपनियों में ही ज्यादा देखने को मिल रही है।

हैदराबाद में एक आईटी कंपनी से जुड़े देबाशीष बोहरा कहते हैं कि यह आसान है। वह पिछले दो सालों से ऑफिस का काम घर पर ही कर रहे हैं। अपने साथियों को याद करने के सवाल पर कहते हैं, हां उनकी याद तो आती है। लेकिन वे भी अपने कामों में व्यस्त रहते हैं।


लेकिन हम लोग फेसबुक, जीटॉक और स्काइप के जरिये वचरुअली एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी से पिछले तीन सालों से जुड़े मैकेनिकल इंजीनियर प्रकाश मित्तल (नाम परिवर्तित) कहते हैं कि वह किसी को भी घर से ऑफिस का काम करने के लिए नहीं कहेंगे। 
वह कहते हैं, इससे आप घरवालों को समय तो दे सकते हैं। पैसे भी बचा सकते हैं। लेकिन काम करने का सही अनुशासन ऑफिस के अंदर ही होता है। घर और ऑफिस के बीच संतुलन बनाना मुश्किल 
होता है। हालांकि इसे किया जा सकता है(निवृति बुटालिया,दैनिक भास्कर,मुंबई,21.8.11)।

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटलःछुट्टी मांगी तो गई नौकरी

Posted: 20 Aug 2011 07:38 PM PDT

कानून होने के बावजूद भारतीय माताओं का मातृत्व अवकाश के लिए संघर्ष जारी है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की सीनियर रेजीडेंट सपना रमानी सरदाना को मातृत्व अवकाश नहीं मिला। जब उन्होंने इसे चुनौती दी तो नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा।

33 वर्षीय सपना कहती हैं, समाज मातृत्व का बखान करता है। मैंने जब नियोक्ता से मातृत्व अवकाश मांगा तो मेरा पद ही छिन गया। सरदाना ने टाटा मेमोरियल अस्पताल, परेल के प्रशासनिक विभाग में एक अगस्त 2009 को बतौर सीनियर रेजीडेंट ज्वाइन किया था।

यह तीन वर्षीय पद था, जिसे सालाना कार्य विस्तार दिया जाना था। इस दौरान मैं गर्भवती हुई। अप्रैल 2010 में डिलीवरी होनी थी। मार्च में मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन दिया। जिसे ठुकरा दिया गया। सपना कहती हैं, जब अन्य अस्पतालों में मेरे समान पद वालों को मातृत्व अवकाश मिलता है तो यहां क्यों नहीं।


एचआर विभाग, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और टाटा मेमोरियल अस्पताल के निदेशक ने नहीं सुनी। मुझे एक पत्र मिला। उसमें बताया गया कि मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता। लेकिन अवैतनिक अवकाश ले सकती हूं। सरदाना पांच महीने छुट्टी पर रहीं। अस्पताल में 31 जुलाई उनका अंतिम दिन था।
दिल्ली से सबक: 

इसी साल मई में एम्स के प्रबंधन ने रेसीडेंट डॉक्टरों को मातृत्व अवकाश देने से इनकार किया था। 42 डॉक्टरों ने एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दिब्जोति करमाकर से संपर्क किया। फेसबुक पर भी लड़ाई चली। प्रशासन घुटनों के बल आया। सभी रेजीडेंट्स को मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया।

क्या कहता है कानून

मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत गर्भवती महिला को डिलीवरी के एक हफ्ते पहले से अधिकतम छह महीने मातृत्व अवकाश का प्रावधान है(योगेश पवार,दैनिक भास्कर,मुंबई,21.8.11)।

लखनऊ विविःपीएचडी इंट्रेंस रिजल्ट कल

Posted: 20 Aug 2011 07:36 PM PDT

लखनऊ विश्वविद्यालय में शनिवार को पीएचडी प्रवेश परीक्षा शांतिपूर्वक निपट गई। 450 सीटों के लिए हुई परीक्षा में तकरीबन 3000 अभ्यर्थी शामिल हुए। कोऑर्डिनेटर प्रो. पद्मकांत ने बताया कि प्रवेश परीक्षा परिणाम 22 अगस्त को जारी कर दिया जाएगा। इसी दिन शाम तक कुंजी भी लविवि की वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। पीएचडी में 33 विषयों की 450 सीटें खाली सीटों को भरने के लिए लविवि में शनिवार को प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया। सुबह पाली में 1800 और शाम की पाली में 1250 अभ्यर्थी बुलाए गए थे। लगभग शत प्रतिशत अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। दो बाहरी छात्र विलंब से परीक्षा देने पहुंचे, इन्हें इजाजत दे दी गई। अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट की एक-एक कापी दी गई है(दैनिक जागरण,लखनऊ,21.8.11)।

झारखंड में शिक्षकों का जोरदार प्रदर्शन

Posted: 20 Aug 2011 07:34 PM PDT

झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर सीएम आवास के समक्ष शनिवार को जोरदार प्रदर्शन किया। विभिन्न जिलों से आए माध्यमिक शिक्षाकर्मियों ने एक घंटे तक नारेबाजी की।

अपराह्न एक बजे शिक्षकों ने जयपाल सिंह स्टेडियम से रैली निकाली, जो कचहरी चौक होते हुए सूचना भवन पहुंची, वहां तैनात झारखंड पुलिस के जवानों व पदाधिकारियों ने उन्हें रोक लिया। सीएम के उप सचिव मधु बड़ाईक ने शिक्षकों को वार्ता के लिए बुलाया।

प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया कि उनकी मांगों को सीएम के समक्ष रखा जाएगा। साथ ही शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और निदेशक से वार्ता कराई जाएगी। संघ के महासचिव ने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा के विकास के लिए अरबों रुपए खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर 131 सरकारी मान्यता प्राप्त और घोषणा के लिए आवेदित 100 अल्पसंख्यक विद्यालयों के कर्मियों को सरकार परेशान कर रही है। आंदोलन के तीसरे चरण में 29 अगस्त से विधानसभा के समक्ष शिक्षाकर्मी अनवरत अनशन करेंगे(दैनिक भास्कर,रांची,21.8.11)।

ग्वालियरःतंग गलियों से बाहर होंगे स्कूल

Posted: 20 Aug 2011 07:32 PM PDT

नए मास्टर प्लान के प्रारूप में ग्वालियर को एजुकेशन हब बनाने पर जोर दिया गया है। तंग गलियों में संचालित होने वाले स्कूल-कॉलेजों को शहर से बाहर ले जाया जाएगा। साथ ही, उन शिक्षण संस्थाओं को भी शिफ्ट किया जाएगा जो रहवासी क्षेत्र में स्थित हैं।

नए मास्टर प्लान में निवेश क्षेत्र में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा का विकास करने की दिशा में काफी ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय एवं विश्वव्यापी आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर शैक्षणिक अपेक्षाएं तेजी से बदल रही हैं, इसलिए प्रोफेशनल एवं वोकेशनल शिक्षा के अवसर बढ़ाने का प्रस्ताव है।

एकीकृत स्कूलों को बढ़ावा देने के साथ ही पूर्व प्राथमिक स्कूलों को उच्चतर माध्यमिक स्तर तक किया जाएगा। नर्सरी, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए अलग से भूमि के आवंटन पर रोक लगेगी।

मुरैना रोड पर पुरानी छावनी से रायरू तक, भिंड रोड पर महाराजपुरा क्षेत्र को, बड़ागांव, शिवपुरी लिंक रोड चंदौहा खुर्द, झांसी रोड तुरारी क्षेत्र पर उन शैक्षणिक संस्थानों को भूमि का आवंटन किया जाएगा जो शहर की गलियों में स्थित हैं।


मास्टर प्लान में ऐसे शिक्षण संस्थानों को भी शिफ्ट करने का प्लान है जो रहवासी क्षेत्रों में चल रहे हैं। इन संस्थानों के कारण ट्रैफिक समस्या उत्पन्न होती है। यदि रहवासी क्षेत्र में 80 फीट चौड़ी सड़क है तो ऐसे संस्थानों के संचालन की अनुमति दी जा सकती है।
नए मास्टर प्लान में नर्सरी स्कूलों को प्राइमरी, मिडिल, हायर सेकंडरी स्कूल के भाग के रूप में संचालित करने की बात कही गई है लेकिन ऐसे नर्सरी स्कूलों को तब्दील करने से पहले ये देखना होगा कि छात्रों के खेलने-कूदने के लिए उचित व्यवस्था है या नहीं। साथ ही, नर्सरी स्तर के बच्चों की सुविधाएं क्षेत्रीय आबादी के अनुपात में होनी चाहिए। 
डॉ. आलोक शर्मा, प्रोफेसर, एमआईटीएस

शहर के अंदर बहुत से ऐसे पुराने संस्थान हैं तो यूजीसी एवं एआईसीटीई के मानकों को पूरा नहीं करते, इसके बावजूद संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे संस्थान लोगों की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इसलिए ऐसे संस्थानों को नए मास्टर प्लान में अतिरिक्त भूमि आवंटित की जानी चाहिए ताकि वे कैंपस का विस्तार कर सकें।
डॉ. संजीव जैन, डायरेक्टर, एमआईटीएस(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,21.8.11)

यूपीःवेबसाइट पर नहीं दिखा पॉलिटेक्निक वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट

Posted: 20 Aug 2011 07:30 PM PDT

प्राविधिक शिक्षा परिषद ने गुरुवार को पॉलीटेक्निक वार्षिक परीक्षा के प्रथम व द्वितीय वर्ष और पार्ट टाइम तीसरे वर्ष का परिणाम भले ही घोषित कर दिया लेकिन अभी तक परिणाम वेबसाइट पर लोड नहीं किया जा सका है। इंटरनेट के माध्यम से परिणाम न देख पाने से अभ्यर्थी परेशान रहे। जबकि परिषद के सचिव सुरेंद्र प्रसाद ने परीक्षा परिणाम परिषद की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू बीटीईयूपी डाट कॉम पर लोड होने की बात कही थी। शनिवार तक परिणाम लोड न होने के बारे में सचिव ने जानकारी न होने की बात कही है(दैनिक जागरण,लखनऊ,21.8.11)

हरियाणा जेबीटी भर्ती घोटाला: बयान से पलट गए संजीव कौशल

Posted: 20 Aug 2011 07:28 PM PDT

जेबीटी टीचर्स भर्ती घोटाला मामले में सरकारी गवाह बने हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव कौशल पूर्व में दिए गए अपने बयानों से पलट गए। संजीव ने इस बात से इनकार कर दिया कि उन्होंने अपने वरिष्ठ सचिव शादीलाल कपूर के जरिए सभी जिलों के प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को 1 सितंबर 2000 को आवश्यक कार्य के लिए दिल्ली पहुंचने का निर्देश दिया था।

संजीव ने विशेष अदालत में दिए बयान में कहा कि वर्ष 2000 में वे मुख्यमंत्री चौटाला के अतिरिक्त प्रधान सचिव और निदेशक (जनसंपर्क) के पद पर तैनात थे। इस दौरान उनके साथ शादीलाल कपूर वरिष्ठ सचिव के तौर पर काम कर रहे थे। न्यायाधीश द्वारा संजीव से यह पूछे जाने पर की क्या उन्होंने शादीलाल कपूर को 30 अगस्त 2000 को जींद के प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को आवश्यक कार्य के लिए दिल्ली पहुंचने का संदेश दिए जाने के निर्देश दिए थे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 'मुझे याद नहीं कि मैंने तब शादीलाल को ऐसा संदेश देने को कहा।

न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि यह सही है कि आपके वरिष्ठ सचिव होने के नाते शादीलाल को आपकी तरफ से यह संदेश दिए जाने के लिए कहा गया था? संजीव ने कहा कि साधारणतया हां, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय में मुझसे कोई भी वरिष्ठ इस तरह के निर्देशों को दे सकता था। उन्होंने शादीलाल कपूर को किसी भी जिले के प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को दिल्ली पहुंचने का संदेश पहुंचाने के निर्देश नहीं दिए थे। उल्लेखनीय है कि 4 जुलाई 2005 को संजीव ने कहा था कि 'उन्होंने ही सीएम चौटाला की तरफ से मिले निर्देशों पर शादीलाल कपूर को जींद के जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को यह निर्देश दिए जाने के लिए कहा था।' रोहिणी की विशेष अदालत ने 23 जुलाई को ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला, दो पूर्व सहयोगियों विद्या धर और शेर सिंह बड़शामी, निलंबित आईएएस अधिकारी संजीव कुमार समेत कुल 57 लोगों के खिलाफ आरोप निर्धारित किए थे। सभी पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोप तय किए गए। अदालत ने बृजमोहन नामक आरोपी को आरोप मुक्त कर दिया था, जबकि तीन अन्य की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। बता दें कि इन पर अक्टूबर २क्क्क् में फर्जी तरीके से 3206 टीचर्स की भर्ती करने का आरोप है(संदीप कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,21.8.11)।
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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