From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/19
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- कम्प्यूटर में करिअर
- फिल्म निर्माण : अवसरों का समंदर
- प्रैक्टिस बनाए परफेक्ट
- बैंकिंग में करिअर
- दूरसंचार क्षेत्र में रोज़गार के अवसर
- बिहारःसेना में भर्ती के लिए आठ जिलों का चयन
- मप्र में संविदा शिक्षकों का वेतन बढ़ा
- कानपुरःइंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले का खाता नहीं खुला
- बिहारःशिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत से अधिक वेतनमान देने से इनकार
- पीजी डिप्लोमा इन वुड ऐंड पैनल प्रोडक्ट्स टेक्नोलॉजी
- राजस्थानःस्कूलों में शुरू होगा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम
- राजस्थानःकॉलेज के संविदा व्याख्याताओं को जल्द मिलेगा बकाया वेतन
- यूपीःडिग्री प्रवक्ता परीक्षा चार सितंबर को
- उत्तराखंडःभरसार विवि को विश्व मानचित्र पर लाना प्राथमिकता
- इंडियन ओवरसीज बैंक का छात्रों के लिए तोहफा
- महाराष्ट्रःआश्रित को नौकरी देने का सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश
- गणित-विज्ञान में यूएस को मात दे रहा है भारतः ओबामा
- उत्तराखंडःनवोदय विद्यालयों में प्रवेश की तिथि बढ़ी
- राजस्थानःशिक्षा बोर्ड में अब सिर्फ ऑनलाइन परीक्षा आवेदन
- OBC के लिए 10 फीसदी कम हो कटऑफः SC
Posted: 18 Aug 2011 10:30 AM PDT आईटी विविधताओं से भरा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कैरियर से संबंधित विकल्प सबके लिए उपलब्ध हैं, 10वीं-12वीं पास के लिए भी और उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों के लिए भी... आपकी शिक्षा चाहे जिस भी स्तर की हो, कंप्यूटर की दुनिया आपके लिए बांहें फैलाए खड़ी है। यहां उपलब्ध विकल्पों में से आप अपनी रुचि और शिक्षा के अनुसार किसी विकल्प का चयन कर उस दिशा में अपने कैरियर की दिशा तय कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में आपका काम विभिन्न सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम्स को डेवलप करना होता है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनियों में ऐसे प्रोफेशनल्स की काफी मांग रहती है। सरकारी विभागों में भी ऐसे विशेषज्ञों के लिए अवसर होते हैं। कंप्यूटर इंजीनियर बनने के लिए आपको इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट पास करना होता है। इसके लिए 12वीं मैथ्स से उत्तीर्ण होना जरूरी है। एमसीए मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशंस 3 साल का कोर्स है जो आपको एक ऐसा प्लेटफॉर्म देता है, जिसके बाद आप आईटी में बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं। कंप्यूटर फील्ड में इसे काफी सम्मानजनक डिग्री माना जाता है। कुछ संस्थानों में एमसीए करने के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन होता है, जबकि कुछ ओपन यूनिवर्सिटी में वैसे भी प्रवेश मिल जाता है। मैथमेटिक्स बैकग्राउंड के छात्रों को एमसीए पाठ्यक्रमों में सुविधा होती है। हार्डवेयर ऐंड नेटवर्किंग कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ उनको मेंटेन और फिट रखने के लिए हार्डवेयर और नेटवर्किंग प्रोफेशनल्स की मांग भी बढ़ती जा रही है। विभिन्न संस्थानों में नेटवर्किंग की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर नेटवर्क इंजीनियरों की काफी मांग है। 12वीं के बाद आप इसमें एडमिशन ले सकते हैं। इस क्षेत्र में आप सिस्को (222.ष्द्बह्यष्श.ष्शद्व), माइक्रोसॉफ्ट (222.द्वद्बष्ह्म् शह्यशद्घह्ल.ष्शद्व) आदि से सटिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। आप स्पेशलाइज्ड कोर्स जैसे सीसीएनए, एमसीएसई आदि भी कर सकते हैं। एनिमेशन/मल्टीमीडिया मल्टीमीडिया/एविएशन का विशेष महत्व है, क्योंकि इससे संबंधित कोई शॉर्ट टर्म कोर्स भी आपको आसानी से जॉब दिला सकता है। इससे संबंधित कोर्सों में एडमिशन लेने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं है, जिनके तहत एचटीएमएल, फोटोशॉप, फ्लैश, स्क्रिप्ट राइटिंग, गेम डिजाइनिंग आदि की जानकारी दी जाती है। रोबोटिक्स रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की एक ऐसी ब्रांच है, जिसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी, रोबोट के निर्माण, उसके विभिन्न एप्लीकेशंस, डिजाइन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। साइबर लॉ इंटरनेट से जुड़े तमाम अपराधों को हैंडल करने के लिए साइबर लॉ के विशेषज्ञों की मांग काफी बढ़ गई है। लॉ फील्ड में काम करने के इच्छुक अभ्यर्थी यदि आईटी में भी दिलचस्पी रखते हों तो उनके लिए साइबर लॉ का कोर्स करना उपयोगी होगा। ऐसे विशेषज्ञों की मांग सुरक्षा एजेंसियों, पुलिस विभाग, लॉ फर्म आदि में बनी रहती है। ई-कॉमर्स ई-कॉमर्स का मतलब बिजनेस के उस स्वरूप से है, जहां प्रोडक्ट या सर्विस की खरीद-बिक्री विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों की सहायता से की जाती है। ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग आदि की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ई-कॉमर्स के जानकारों के लिए भी मौके काफी बढ़ने लगे हैं। ई-बिजनेस, ई-टिकटिंग, ई-लर्निंग, ऑनलाइन बैंकिंग जैसे सेवाओं से जुड़े संस्थानों में ऐसे प्रोफेशनल्स रोजगार तलाश सकते हैं। सर्टिफिकेट इन ई-कॉमर्स, बैचलर इन ई-कॉमर्स आदि कई कोर्स इस फील्ड में उपलब्ध हैं। कंप्यूटर एकाउंटेंसी 12वीं के बाद कंप्यूटर एकाउंटेंसी से संबंधित कोर्स किया जा सकता है। इसके लिए कॉमर्स का बैकग्राउंड भी जरूरी नहीं है। इससे संबंधित पाठ्यक्रमों में फाइनेंशियल एकाउंटिंग सॉफ्अवेयर जैसे टैली, बिजी, मनिवेयर आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन प्रोफेशनल्स को बैंकिंग, इंश्योरेंस, टैक्स आदि से संबंधित संस्थानों में मौके मिलते हैं। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोर्स कंप्यूटर प्रोग्राम्स (सॉफ्टवेयर्स) ही कंप्यूटर को काम करने के लायक बनाते हैं। अब तो स्कूल स्तर पर भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज की ट्रेनिंग दी जाने लगी है। इंडस्ट्री की डिमांड और अपनी रुचि के अनुसार आप कोई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोर्स कर सकते हैं। जावा, डॉट नेट, पीएचपी आदि लैंग्वेजों के जानकारों के लिए इंडस्ट्री में काफी अवसर हैं। इससे संबंधित कोर्स 3 माह से 1 वर्ष तक के हो सकते हैं। अमूमन ग्रेजुएशन के बाद ऐसे कोर्स को करना आपके लिए ठीक रहेगा। अन्य कोर्स सर्टिफिकेट और डिप्लोमा स्तरीय कई ऐसे कोर्स हैं, जो आपको किसी ऑफिस में डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर, डीटीपी आदि पदों पर काम करने के योग्य बनाते हैं। इन कोर्सेज में विंडोज, एमएस ऑफिस पैकेज, इंटरनेट आदि की ट्रेनिंग दी जाती है। सभी शहरों में ऐसे इंस्टीट्यूट हैं, जहां 10वीं-12वीं के विद्यार्थियों के लिए ऐसे कोर्स कराए जाते हैं(संजीव सिंह, अमर उजाला,17.8.11)। |
फिल्म निर्माण : अवसरों का समंदर Posted: 18 Aug 2011 09:30 AM PDT भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के विस्तार का ही परिणाम है कि न सिर्फ देश-विदेश में इसकी एक खास पहचान बन चुकी है, बल्कि युवाओं को रोजगार प्रदान करने में भी यह सेक्टर अग्रणी है। वैसे तो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री सदा से ही रोजगार प्रदाता रही है, पर पिछले दो दशक से फिल्म निर्माण में काफी तेजी आई है, जिससे रोजगार के मौके भी खूब बढ़े हैं। मल्टीप्लेक्स का चलन बढ़ जाने से इस इंडस्ट्री में और बूम आया है। व्यावसायिक सफलता देखकर विदेशी कंपनियां भी भारतीय फिल्मों पर अधिक पैसा लगाने लगी हैं। बड़ी संख्या में फिल्मों का निर्माण होने से अवसरों में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। न सिर्फ हिंदी, बल्कि अन्य प्रादेशिक भाषाओं में बननेवाली फिल्मों ने भी रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध कराए हैं। कैसे-कैसे कोर्स फिल्म निर्माण से संबंधित कई पाठ्यक्रम हैं। इनमें मुख्य हैं ः बीए इन फिल्म स्टडीज, सर्टिफिकेट कोर्स इन एनिमेशन एंड फिल्म मेकिंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजिटल फिल्म मेकिंग, डिप्लोमा इन एनिमेशन फिल्म मेकिंग, डिप्लोमा इन एक्टिंग, डिप्लोमा इन वीडियोग्राफी, डिप्लोमा इन फिल्म डायरेक्शन, डिप्लोमा इन फिल्म मेकिंग, पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट कोर्स इन फीचर फिल्म एेंड स्क्रीनप्ले राइटिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फिल्म डायरेक्शन आदि। विस्तृत कार्यक्षेत्र फिल्म मेकिंग में कई तरह से अपनी सेवाएं दी जा सकती हैं - फिल्म प्रोड्यूसरः इसका काम फाइनेंस को मैनेज करना होता है। फिल्म की प्रोग्रेस की मॉनिटरिंग से लेकर बजट को मेंटेन करने का काम इसी का होता है। प्रोडक्शन मैनेजरः प्रोडक्शन मैनेजर प्रोड्यूसर के अंडर में काम करता है। बजट तैयार करना, शूटिंग शेड्यूल बनाना, उपकरणों को किराए पर लाना तथा लोकेशन के लिए परमिशन लेना आदि काम प्रोडक्शन मैनेजर करता है। प्रोडक्शन असिस्टेंटः होटल बुक करने, फिल्म के सदस्यों के लिए फ्लाइट टिकट का इंतजाम करने, टाइम शेड्यूल अरेंज करने, विदेशों में शूटिंग के लिए उपकरणों को भिजवाने आदि की जिम्मेदारी इसी की होती है। रिसर्चरः फिल्म निर्माण में रिसर्चर की भी जरूरत होती है। इसका मुख्य काम जरूरी तिथियाें, ऐतिहासिक घटनाक्रम, लोकेशन आदि के बारे में पता करना होता है। डायरेक्टर ः इसी के दिशानिर्देश में पूरी फिल्म की शूटिंग होती है। स्क्रिप्ट को जरूरत के हिसाब से बदलने, एक्टर व कैमरामैन को गाइड करने, कोरियोग्राफी तथा वॉयस रिकॉर्डिंग की मॉनिटरिंग करने जैसे सभी कार्य इसी की देखरेख में होते हैं। असिस्टेंट डायरेक्टरः फिल्म की शूटिंग के दौरान आने वाली समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी असिस्टेंट डायरेक्टर की होती है। फिल्म मेंबर एवं कास्ट में को-ऑर्डिनेशन बनाना भी इसका काम होता है। लाइटिंग एवं कैमरामैनः सिनेमैटोग्राफर कैमरा एवं लाइट के प्रति जिम्मेदार होता है। सेट्स एवं एंगल के हिसाब से लाइट अरेंज करना इसी का काम होता है। इसके सदस्यों में कैमरा ऑपरेटर, कैमरा असिस्टेंट, क्लैप ब्वॉय आदि होते हैं। साउंड प्रोफेशनल्सः साउंड टीम का कार्य म्यूजिक एवं वॉयस का काम देखना होता है। माइक्रोफोन का प्रयोग, डबिंग मिक्सर, डायलॉग की रिकॉर्डिंग आदि भी इसी के कार्यक्षेत्र में आते हैं। एडिटरः शूटिंग मैटेरियल को सही तरीके से फ्रेम में सजाना ही एडिटर का काम होता है। अपनी दक्षता से वह खराब शॉट्स को भी शानदार बना सकता है। स्क्रीनप्ले राइटरः स्क्रीनप्ले राइटर फिल्म की मांग व फ्रेम के मुताबिक मूल स्टोरी में परिवर्तन करता है या दोबारा लिखता है। एक्टरः एक एक्टर के अंदर पूरी फिल्म को रिप्रजेंट करने का कौशल होना चाहिए। उसे शारीरिक रूप से फिट, आकर्षक और संवाद अदायगी में निपुण होना चाहिए। एनिमेटरः एनिमेटर अपनी ड्राइंग स्किल्स का प्रयोग कर मूविंग इमेज एवं इफेक्ट तैयार कर फिल्म अथवा किसी कॉमर्शियल का निर्माण करता है। कोरियोग्राफरः कलाकरों को डांस की बारीकियां सिखाने तथा गाने के अनुसार उनसे नृत्य कराने के लिए कोरियोग्राफर ही जिम्मेदार होता है। स्किल्स दिलाएगी सफलता यदि आप एक्टिंग, डायरेक्शन, लेखन आदि का शौक रखते हैं तो आपको क्रिएटिव बनना पड़ेगा, जबकि सिनेमैटोग्राफी, साउंड इंजीनियरिंग, एडिटिंग आदि के लिए टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। जॉब की बेहतर संभावनाएं कोर्स अथवा अनुभव के पश्चात अभ्यर्थी को फिल्म स्टूडियो, प्रोडक्शन कंपनी, एडवरटाइजिंग एजेंसी और उन सरकारी विभागों में जॉब मिल सकता है, जहां फिल्में बनती हैं। प्रोफेशनल्स अनुभव के पश्चात चाहें तो अपना काम भी शुरू कर सकते हैं। मिलने वाला पारिश्रमिक इसमें आमदनी काम की क्षमता और अनुभव के आधार पर होती है। अनुभव के बाद आप अपना स्टूडियो या प्रोडक्शन हाउस खोलते हैं तो आमदनी की कोई सीमा नहीं होती(अमर उजाला,17.8.11)। |
Posted: 18 Aug 2011 08:30 AM PDT किसी भी काम की आप जितनी प्रैक्टिस करेंगे, सफलता की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी। सिर्फ प्लानिंग से ही बात नहीं बनती, बल्कि किसी भी उद्देश्य को लेकर की गई प्लानिंग तभी सफलता की ओर ले जाती है, जब उससे संबंधित कार्यों की प्रैक्टिस की जाए। असल में उचित योजना और निरंतर अभ्यास के बल पर ही मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। आपके पास क्षमता हो सकती है, आप प्रतिभावान हो सकते हैं, आपमें दृढ़ इच्छाशक्ति हो सकती है और आपमें आत्मविश्वास भी हो सकता है। इसके बावजूद यदि अपने काम का अभ्यास आप नहीं करेंगे, तो आपका प्रदर्शन उस हद तक नहीं हो सकता, जैसी आपकी अपेक्षा थी। यदि आप परफेक्ट होना चाहते हैं तो प्रैक्टिस जरूरी है। यदि मानव जीवन पर नजर डालें तो बचपन से ही सीखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और यह सीखना सतत अभ्यास के माध्यम से ही होता है। चाहे चलना हो या बोलना, अभ्यास से बच्चा सबकुछ सीखता है। वह बार-बार गिरता है, फिर उठकर चल देता है। धीरे-धीरे वह चलना सीख जाता है। बार-बार वह गलत बोलता है, पर बोलते-बोलते सही बोलना सीख जाता है। सिर्फ बचपन में ही नहीं, बल्कि ताउम्र अभ्यास की यही प्रक्रिया व्यक्ति को संपूर्ण ज्ञानोपार्जन में मदद करती है। कोई भी फील्ड हो, चाहे वह स्टडी हो, डांस हो, स्पोर्ट्स हो, म्यूजिक हो, लेखन हो, पेंटिंग हो, परफेक्शन के लिए प्रैक्टिस की जरूरत होती है। न तो एक बार की पढ़ाई से कोई एग्जाम पास कर सकता है और न ही किसी कला में माहिर हो सकता है। कई बार तो शुरू में जिस काम को करना बिल्कुल असंभव सा लगता है, प्रैक्टिस के बाद उस में मास्टरी हासिल हो जाती है। यदि व्यक्ति में कोई गुण जन्मजात हो तो भी प्रैक्टिस के बगैर उसमें निखार नहीं लाया जा सकता। प्रैक्टिस एक ऐसा मंत्र है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों ही विकास के लिए फिट बैठता है। चाहे मानसिक स्तर पर हमें अपनी क्रिएटिविटी बढ़ानी हो अथवा शारीरिक फिटनेस प्राप्त करनी हो, रोजाना अभ्यास के बल पर ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। प्रैक्टिस से ही किसी काम में विशेषज्ञता हासिल होती है और फिर जीवन में निर्धारित मंजिल की ओर कदम तेजी से बढ़ने लगते हैं। आप चाहे जो भी काम करते हों, उसमें अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लें। फिर उस तक पहुंचने की सुव्यवस्थित योजना बना लें। इसके बाद उस योजना के तहत काम करना शुरू कर दें। एक बार नहीं, बल्कि बार-बार...यही प्रैक्टिस है। इससे आप अपनी गलतियों को जानेंगे और आपको उन गलतियों को सुधारने का मौका भी मिलेगा। मंजिल तभी मिलेगी!(डॉ. मनीषा गिल,अमर उजाला,17.8.11) |
Posted: 18 Aug 2011 07:30 AM PDT वैसे तो बैंकों में जॉब के लिए प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन होता है, पर इससे संबंधित कोर्स करना भी आजकल जॉब के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। देश के आर्थिक परिदृश्य में बैंकिंग एवं वित्तीय सेक्टर की अहम भूमिका होती है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2040 तक भारत विश्व का तीसरा बड़ा बैंकिंग हब होगा। सरकारी बैंकों के अलावा निजी बैंकों का भी देश में जबरदस्त विस्तार हो रहा है। इससे आनेवाले समय में युवाओं को कैरियर बनाने के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। बैंकिंग सेक्टर की इसी जरूरत के मद्देनजर इससे संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। कार्य प्रकृति बैंकिंग व वित्तीय सेक्टर से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों की रूपरेखा इस तरह बनाई गई है, ताकि अभ्यर्थी योग्य बैंकिंग प्रोफेशनल बन सकें। ऐसे कोर्स करने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों के अलावा निजी क्षेत्र के तमाम बैंकों में वित्तीय प्रबंधक, बैंक टेलर, क्लर्क आदि के रूप में काम करने के मौके मिलते हैं। कैसे-कैसे कोर्स बैंकिंग एवं फाइनेंस के क्षेत्र में अवसर तलाशने के लिए डिग्री, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा एवं एमबीए तक के कोर्स उपलब्ध हैं। इस फील्ड से संबंधित मुख्य कोर्स हैं - बाजार प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा, वित्तीय प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा, वित्त और बैंकिंग में सर्टिफिकेट कोर्स, एमबीए इन बैंकिंग मैनेजमेंट आदि। दाखिले के मानदंड बैंकिंग से संबंधित कोर्स कराने वाले अधिकांश संस्थान एंट्रेंस टेस्ट और इंटरव्यू के आधार पर प्रवेश देते हैं। किसी भी संकाय के छात्र इनमें प्रवेश पा सकते हैं। अभ्यर्थियों के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट में पास होना जरूरी होता है और फिर साक्षात्कार से भी रूबरू होना पड़ता है। कुछ संस्थान कोर्स के दौरान इंटर्नशिप, शिक्षा लोन, रोजगार आदि से भी अभ्यर्थियों को अवगत कराते हैं। वेतनमान बैंकिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत बहुराष्ट्रीय कंपनियों, निजी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को होती है। शुरुआत में न्यूनतम पैकेज करीब १५ हजार रुपए मासिक हो सकता है, जिसमें अनुभव के बाद इजाफा होता जाता है(अमर उजाला,17.8.11)। |
दूरसंचार क्षेत्र में रोज़गार के अवसर Posted: 18 Aug 2011 06:30 AM PDT टेलीकम्युनिकेशन फील्ड में इंजीनियरों के अलावा मैनेजमेंट व आईटी प्रोफेशनल्स को भी खूब मौके मिल रहे हैं। भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है और यदि मोबाइल फोन के विस्तार की बात करें तो विश्व के किसी भी देश के मुकाबले यह विस्तार सबसे तेज है। भारत के गांव-गांव में अब एसटीडी/आईएसडी की सुविधा उपलब्ध है। मोबाइल के अलावा इंटरनेट के विस्तार से भी इस सेक्टर को काफी बल मिला है। इंडस्ट्री के इस विस्तार का ही परिणाम है कि टेलीकॉम सेक्टर में विभिन्न स्तर पर बड़ी संख्या में रिक्तियां निकलती रहती हैं। बेहतर सैलरी और वर्किंग माहौल के कारण टेलीकॉम सेक्टर युवाओं को काफी आकर्षित करता है। किन-किन रूपों में मौके इस सेक्टर में कई तरह से मौके उपलब्ध हैं ः टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर टेलीकॉम उपकरणों की डिजाइनिंग से लेकर उनकी मरम्मत तक का काम करता है। इंजीनियरों को ट्रांसमिशन इंजीनियर, सर्विस इंजीनियर, नेटवर्क इंजीनियर आदि के रूप में भी मौके मिलते हैं। मार्केटिंग, कस्टमर केयर आदि विभिन्न वजहों से इस इंडस्ट्री में प्रबंधन विशेषज्ञों की जरूरत भी काफी महसूस होने लगी है। इसीलिए टेलीकॉम सेक्टर के दरवाजे अब मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए भी खुल चुके हैं। इसी के मद्देनजर कुछ संस्थानों में टेलीकम्युनिकेशन में एमबीए पाठ्यक्रम भी शुरू किया जा चुका है। आईटी प्रोफेशनल्स भी टेलीकॉम सेक्टर की जरूरत बन गए हैं। इसके तहत स्पेशल सॉफ्टवेयर को डिजाइन और विकसित करना उनका काम होता है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट अथवा आईटी इंजीनियरिंग की डिग्री इसके लिए जरूरी है। टेक्निकल सपोर्ट के लिए संबंधित फील्ड में आईटीआई से ट्रेंड टेक्निशियंस की भी जरूरत इस सेक्टर में काफी है। जॉब के मौके टेलीकॉम सेक्टर में सरकारी नौकरी के अलावा निजी क्षेत्रों में भी भरपूर संभावनाएं हैं। एमटीएनएल, रिलायंस, वीएसएनएल, टाटा इंडिकॉम, एयरटेल, वोडाफोन आदि विभिन्न टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों में प्रोफेशनल्स की अच्छी मांग है। एनटीपीसी, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बीईएल, ईसीआईएल, भेल आदि कुछ ऐसी कंपनियां हैं, जहां टेलीकम्युनिकेशन विशेषज्ञों की जरूरत बनी रहती है। सशस्त्र सेनाओं में भी टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरों के लिए रिक्तियां निकलती हैं। इस फील्ड में जॉब के अलावा रिसर्च के मौके भी काफी हैं। इसरो, डीआरडीओ, एटॉमिक रिसर्च सेंटर, नेशनल लेबोरेटरी आदि में रिसर्च से संबंधित मौके मिलते हैं। (गणेश कुमार पांडे,अमर उजाला,17.8.11) |
बिहारःसेना में भर्ती के लिए आठ जिलों का चयन Posted: 18 Aug 2011 05:54 AM PDT 19 से 24 अगस्त तक नेहरू स्टेडियम (पोलो मैदान) में होनेवाले सेना भर्ती अभियान की सभी तैयारियॉ पूरी कर ली गयी हैं। सेना भर्ती अभियान में दरभंगा, मधुबनी, सीतामढी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चंपारण एवं शिवहर के अभ्यर्थी भाग ले सकेगें। सेना भर्ती अभियान के निदेशक भर्ती कर्नल श्रीकान्त ने बताया कि 19 अगस्त 2011 को मधुबनी जिले के अभ्यर्थी, 20 अगस्त को सीतामढी जिले के अभ्यर्थी, 21 एवं 22 अगस्त को समस्तीपुर जिले के अभ्यर्थी, 23 अगस्त को दरभंगा जिले के अभ्यर्थी एवं 24 अगस्त को मुजफ्फरपुर, पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण एवं शिवहर जिले के अभ्यर्थी भाग ले सकेगें। मधुबनी एवं सीतामढी जिले के अभ्यर्थियों के लिए जन्मतिथि 19 फरवरी 1994 से 24 अगस्त 1988 के बीच, 21 अगस्त को होनेवाले समस्तीपुर के लिए भर्ती अभियान में अभ्यथियों की जन्मतिथि 19 फरवरी 1994 से 19 अगस्त 1991 के बीच, 22 अगस्त 2011 को समस्तीपुर जिले के अभ्यर्थियों के लिए जन्मतिथि 18 अगस्त 1991 से 24 अगस्त 1988 के बीच, 23 एवं 24 अगस्त 2011 को होनेवाले दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंमारण एवं शिवहर जिले के अभ्यर्थियों के लिए जन्मतिथि 19 फरवरी 1994 से 24 अगस्त 1988 के बीच होना आवश्यक है। सभी पदों के लिए सीना की न्यूनतम् माप 77-82 सेमी़, न्यूनतम् वजन 50 किलो, उॅचाई 169 सेमी़ (केवल सोलजर कलर्क/एस0के0टी0 के लिए उॅचाई 162 सेमी़) साथ ही केवल सोलजर जेनरल ड्यूटी को छोड़कर अन्य सभी पदों के लिए आयु साढे सतरह वर्ष से 23 वर्ष के बीच निर्धारित की गयी है। सोलजर जेनरल ड्यूटी के लिए आयु साढे 17 से 21 वर्ष के बीच होना आवश्यक है। एनसीसी अभ्यर्थियों के लिए ए, बी एवं सी प्रमाणपत्र दिखलाना अनिवार्य होगा। सेना भर्ती के निदेशक कर्नल श्रीकान्त ने पुन: सेना भर्ती में शामिल होनेवाले अभ्यर्थियों से आवश्यक कागजात के साथ सीधी सेना भर्ती अभियान में शामिल होने की अपील की है। भर्ती के लिए किसी भी दलाल के चंगुल में न फंसें तथा भर्ती हेतु दलाल द्वारा पल्रोभन दिये जाने की स्थिति में इसकी शिकायत जिला प्रशासन, दरभंगा से करें(राष्ट्रीय सहारा,दरभंगा,18.8.11)। |
मप्र में संविदा शिक्षकों का वेतन बढ़ा Posted: 18 Aug 2011 05:52 AM PDT प्रदेश के करीब 20 हजार 625 संविदा शाला शिक्षकों के मासिक पारिश्रमिक में डेढ़ से साढ़े तीन हजार रुपए तक की वृद्धि का प्रस्ताव कैबिनेट ने मंजूर कर लिया है। पारिश्रमिक में जून से एक हजार रुपए के इजाफे के बाद अब नवंबर से संविदा शाला शिक्षक वर्ग तीन का वेतन साढ़े तीन से बढ़कर पांच हजार, वर्ग दो का साढ़े चार हजार से सात हजार और वर्ग एक का पारिश्रमिक साढ़े पांच हजार से बढ़कर नौ हजार रुपए मासिक हो जाएगा। इसका फायदा भर्ती किए जा रहे 80 हजार संविदा शाला शिक्षकों को भी मिलेगा। इस वृद्धि से सरकारी खजाने पर सालाना साढ़े 52 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कैबिनेट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित सहायक शिक्षकों को आउट ऑफ टर्न पदोन्नत कर शिक्षक और शिक्षकों को प्रधान अध्यापक बनाने का फैसला भी किया। इसका फायदा 250 शिक्षकों को मिलेगा। मंत्रिपरिषद ने व्यावसायिक शिक्षा योजना में 1980 के बाद अंशकालिक शिक्षक रहे 620 उम्मीदवारों को संविदा शाला शिक्षक वर्ग तीन में नियुक्ति की पात्रता परीक्षा में एक बार के लिए छूट देने के प्रस्ताव भी मंजूर किए(दैनिक भास्कर,भोपाल,18.8.11)। |
कानपुरःइंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले का खाता नहीं खुला Posted: 18 Aug 2011 05:50 AM PDT राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) 2011 की पहले, दूसरे चरण की काउंसिलिंग प्रक्रिया खत्म हो चुकी है, लेकिन शहर के निजी इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले का बुरा हाल है। सात इंजीनियरिंग कालेज ऐसे हैं, जिनका कि काउंसिलिंग से दाखिले का खाता तक नहीं खुला है। इससे इन कालेजों की शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। गौतम बुद्ध प्राविधिक विश्वविद्यालय (जीबीटीयू) से संबद्ध शहर में 27 सरकारी और गैर सरकारी इंजीनियरिंग कालेज हैं। इनमें से ज्यादातर की सीटें नहीं भर सकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे विद्यार्थियों ने प्राविधिक विश्वविद्यालय से किनारा कर लिया है। इस कारण प्रवेश परीक्षा, काउंसिलिंग प्रक्रिया फेल हो गई है। यही वजह है कि प्रवेश परीक्षा के आयोजक एमटीयू प्रशासन ने सभी सीटें भर पाने में असमर्थता जताई है। एसईई के समन्वयक प्रोफेसर ओंकार सिंह का कहना है कि प्रदेश के 30 सरकारी, गैर सरकारी इंजीनियरिंग कालेज ऐसे हैं, जिनकी सभी सीटें भर सकी हैं। यानी 320 इंजीनियरिंग कालेजों की सीटें खाली हैं। यही वजह है कि इंटरमीडिएट में 50 फीसदी अंक पाने वाले विद्यार्थियों को सीधे दाखिले का विकल्प दे दिया गया है। अब सभी तकनीकी संस्थान सीधे सीटें भर सकते हैं। संस्थान----------- काउंसिलिंग से लॉक विकल्प अनुभव इंस्टीट्यूट---------शून्य विजन इंस्टीट्यूट-----------शून्य नारायणा विद्यापीठ----------शून्य रामा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी-शून्य एसएसए------------------शून्य जीपीआरडी----------------शून्य इंडस----------------------शून्य प्रभात इंजीनियरिंग कालेज------1 विद्याभवन------------------1 आरआईईटी------------------2 एलन हाउस------------------3 केजीईसी--------------------4 अपोलो----------------------4 कृष्णा इंस्टीट्यूट---------------10 एक्सिस----------------------11 क्या है वजह खराब प्लेसमेंट, लैब, लाइब्रेरी और कंप्यूटर सहित अन्य सुविधा - संसाधनों का न होना, अच्छी फैकल्टी की कमी, बेहतर प्लेसमेंट न होने के बाद भी ज्यादा फीस वसूलना, प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कम होना, प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अंक अनिवार्यता 50 फीसदी किया जाना। सीधे सीटें भरने का दावा कानपुर शहर के ज्यादातर तकनीकी संस्थानों का दावा है कि भले ही काउंसिलिंग से विद्यार्थी नहीं मिले हों, लेकिन सीधे दाखिले को लेकर पंजीकरण पूरा किया जा चुका है। 19 अगस्त से सीटें भरी जाएंगी। यह प्रक्रिया 31 अगस्त तक पूरी करके संबंधित विवि को दाखिले की सूची उपलब्ध करा दी जाएगी। तीन कालेजों की सीटें भरीं राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) 2011 की आनलाइन काउंसलिंग से शहर के एचबीटीआई, पीएसआईटी और यूआईईटी सीएसजेएम विश्वविद्यालय की पूरी सीटें भर गई हैं। निजी तकनीकी संस्थानों की दाखिला प्रक्रिया में पीएसआईटी नंबर वन है। इसकी सीएस, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स सहित सभी ट्रेड की 421 सीटें भर गई हैं। एपीईसी की 172 सीटें, केआईटी की 133 सीटें भरी हैं(अमर उजाला,कानपुर,18.8.11)। |
बिहारःशिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत से अधिक वेतनमान देने से इनकार Posted: 18 Aug 2011 05:43 AM PDT सरकार ने बुधवार को कुलपतियों को साफ तौर पर विविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान से अधिक वेतनमान देने से मना कर दिया है। सरकार ने सभी विविद्यालयों को उनके बजट में आयी विसंगतियों को तत्काल सुधार करने को भी कहा है जिससे सरकार समय पर बजट को स्वीकृति प्रदान करें और राज्य के विभिन्न विविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का वेतन भुगतान किया जा सके। मानव संसाधन विकास विभाग के सभागार में राज्य के सभी विविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए विभागीय सचिव एस शिव कुमार ने कहा कि सरकार राज्य के विविद्यालयकर्मियों को अगले माह से नये वेतनमान देगी। इसमें पिछले तीन माह का बकाया भी मिलेगा। इस बाबत कैबिनेट की स्वीकृति मिल गयी है। संचिका अंतिम स्वीकृति के लिए वित्त विभाग गयी हुई है। बैठक में कहा गया कि सरकार के स्तर पर विविद्यालयों से अनुरोध किया गया था कि शिक्षक एवं शिक्षकेत्तरकर्मियों के बकाये वेतनादि के भुगतान के लिए राशि की मांग विहित प्रपत्र एवं प्रमाण पत्र के साथ की जाये। परंतु देखा गया है कि राज्य के विविद्यालयों द्वारा बिना विहित प्रपत्र एवं अपेक्षित प्रमाण पत्र दिये अपूर्ण सूचनाओं के आधार पर अतिरिक्त राशि की मांग की जाती है। कतिपय विविद्यालयों द्वारा वेतनादि के विभिन्न मदों के बकाये मद में मांगी जाने वाली राशि की अनुमान्यता विभागीय पत्रों में अंकित निर्देशों के अनुरूप नहीं कर महज खानापूर्ति के दृष्टिकोण से बजट में शामिल किया जाता रहा है। इसमें मांगी गयी राशि तथा वास्तविक रूप से भुगतेय राशि के साथ-साथ लेखा संबंधी गणना का सर्वथा अभाव रहता है। विविद्यालयों के बकाये राशि के मद में अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने में विभागीय स्तर पर कठिनाई होती है। विविद्यालय अधिनियम 35 के अधीन राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान से अधिक वेतनमान अनुमान्य किये जाने की शक्ति विविद्यालय के किसी भी प्राधिकार,परिनियत समिति तथा अधिकारी में निहित नहीं है। कुलपतियों को यह भी कहा गया कि यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि किसी भी परिस्थिति में अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध किसी भी कर्मी को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान से उच्च वेतनमान में वेतनादि का भुगतान नहीं किया जाये। बैठक में सेवानिवृत्त शिक्षक व शिक्षकेत्तरकर्मियों के बकाये राशि का विवरण 25 अगस्त तक मानव संसाधन विकास विभाग को उपलब्ध कराने को भी कहा है। बैठक में लोक सेवाओं के अधिकारी अधिनियम को कारगर तरीके से लागू करने का भी चर्चा की गयी। इसके लिए अतिरिक्त सेल बनाने की भी बात कही गयी। उच्च शिक्षा निदेशक सीताराम सिंह ने चौथे चरण में नियुक्त शिक्षकों के वेतन को लेकर भी राय मांगी गयी। बैठक में सभी विविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया(राष्ट्रीय सहारा,पटना,18.8.11)। |
पीजी डिप्लोमा इन वुड ऐंड पैनल प्रोडक्ट्स टेक्नोलॉजी Posted: 18 Aug 2011 05:30 AM PDT वुडेन इंडस्ट्री, प्लाइवुड और संबंधित उत्पादों की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर यह कोर्स महत्वपूर्ण है। बात चाहे निर्माण उद्योग की हो अथवा इंटीनियर डेकोरेशन की, लकड़ी, प्लाइवुड आदि की जरूरत इनमें अनिवार्य रूप से होती है। धातुओं के इस युग में भी इन पर हमारी निर्भरता काफी है। ऐसे में इनकी क्वॉलिटी सुधारने से लेकर डिजाइनिंग में विविधता लाने के लिए बड़े स्तर पर शोधकार्यों की जरूरत पड़ती रहती है। इसी जरूरत के मद्देनजर भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पीजी डिप्लोमा इन वुड ऐंड पैनल प्रोडक्ट्स टेक्नोलॉजी जैसे पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है। वुड बेस्ड इंडस्ट्री में ऐसे प्रोफेशनल्स की काफी मांग होती है। पाठ्यक्रम की रूपरेखा इस कोर्स के अंर्तगत लकड़ी, बांस आदि की वैरायटी व रखरखाव, संबंधित की उत्पादों जानकारी, वुडन उत्पादों की मजबूती व आग से बचाव, पर्यावरण आदि विभिन्न बातों की चर्चा की जाती है। आयु सीमा जो अभ्यर्थी इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनकी आयु अधिकतक 28 वर्ष होनी चाहिए। इस कोर्स के लिए आयु की गणना 1 नवंबर, 2011 से की जाएगी। शैक्षणिक योग्यता इस कोर्स के आवेदनकर्ताओं के लिए जरूरी है कि उनके पास बीएससी, बीई अथवा बीटेक की डिग्री हो। चयन प्रक्रिया अभ्यर्थियों को इस पाठ्यक्रम में प्रवेश निर्धारित मेरिट (अंक, ग्रेड आदि) के आधार पर मिलेगा। कैसे करें आवेदन आवेदन से संबंधित विस्तृत जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है। डाक से आवेदन-पत्र मंगाने के लिए बेंगलुरु में देय 250 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट डाइरेक्टर आईपीआईआरटीआई के नाम दिए गए पते पर भेजें। आवेदन-पत्र को वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है(अमर उजाला,17.8.11)। |
राजस्थानःस्कूलों में शुरू होगा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम Posted: 18 Aug 2011 05:14 AM PDT जापान के फुकोशिमा परमाणु रिएक्टर दुर्घटना के बाद देश में आणविक ऊर्जा कार्यक्रम जारी रखने व प्राकृतिक आपदा में रेडियोलॉजिकल इमरजेंसी से लोग प्रभावित नहीं हों, इसके लिए अंतराष्ट्रीय स्तर के संरक्षा मापदण्ड अपनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री स्वयं संरक्षा उपायों की समीक्षा कर रहे हैं। यह बात राजस्थान परमाणु बिजलीघर विक्रमनगर सभागार में न्यूक्लियर आपदा प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एम. शशिधरन रेड्डी ने कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम शामिल कर रहा है। इससे आपदा की स्थिति में आमजन का सहयोग लिया जा सकेगा। रेड्डी ने कहा कि विश्व में नाभिकीय संयंत्रों में अब तक 15 दुर्घटनाएं हुई। इनमें से चेर्नोबिल में 30 मौतें हुई। यह भी चेर्नोबिल रिएक्टर में लापरवाही का नतीजा था। फुकोशिमा हादसे ने हमें नया अनुभव दिया है। नई परियोजनाओं की डिजाइन में सुनामी, भूकम्प, भारी बरसात की स्थिति में संयंत्रों में बिजली गुल नहीं हो जैसे परिवर्तन के प्रयास किए जा रहे हैं। चार बटालियनें तैयार रेड्डी ने कहा कि देश में केमिकल, बायलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल दुर्घटनाओं में आपदा और राहत कार्यो के लिए चार दक्ष बटालियनें तैयार की गई हैं। चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र क्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से चिकित्सकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। विकिरण प्रभावित लोगों की जांच व उपचार में दक्ष चिकित्सकों की मदद मिलेगी(राजस्थान पत्रिका,रावतभाटा,18.8.11)। |
राजस्थानःकॉलेज के संविदा व्याख्याताओं को जल्द मिलेगा बकाया वेतन Posted: 18 Aug 2011 02:08 AM PDT कॉलेज के संविदा व्याख्याताओं का बकाया वेतन जल्द ही जारी हो जाएगा। निदेशक कॉलेज शिक्षा सुबीर कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। सभी प्राचार्योü को जारी किए गए पत्र में संविदा व्याख्याताओं को वित्त विभाग की 15 फरवरी 2011 को जारी स्वीकृति के आधार पर वेतन जारी करने की बात कही गई है। पत्र में संविदा व्याख्याताओं को 1 जुलाई 2010 से 30 अप्रेल 2011 तक की अवधि का वेतन नवीन अनुबंध की शर्त को बाध्यकारी बनाए बिना भुगतान करने के लिए कहा गया है। अब आगे का क्या निदेशालय द्वारा जारी किए गए आदेश में अभी भी 1 जुलाई 2010 से 30 अप्रेल 11 तक का वेतन भुगतान करने को कहा गया है, जबकि संविदा व्याख्याताओं की सेवाएं जुलाई से फिर शुरू हो चुकी है। संविदा व्याख्याता छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लाभ देने की मांग कर रहे हैं। इसलिए अटका था : संविदा व्याख्याताओं को सत्र 2010-11 शुरू होने से पूर्व नवीन संविदा संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही वेतन जारी करने के निर्देश दिए गए थे। इसमें 1 जुलाई से 31 दिसम्बर तक का वेतन भुगतान अण्डरटेकिंग भरने के बाद ही देने के लिए कहा गया था। विभाग के इस आदेश पर संविदा व्याख्याताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। जिस पर न्यायालय ने 6 दिसम्बर को संविदा व्याख्याताओं को बिना संविदा संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण वेतन देने के आदेश दिया गया(राजस्थान पत्रिका,कोटा,18.8.11)। |
यूपीःडिग्री प्रवक्ता परीक्षा चार सितंबर को Posted: 18 Aug 2011 02:06 AM PDT आखिरकार तीन वर्ष के इंतजार के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अशासकीय डिग्री कॉलेजों के लिए प्रवक्ता पदों के लिए परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है। आवेदकों की संख्या अधिक होने के कारण आयोग ने विषयवार अलग-अलग चरणों में परीक्षा कराने का निश्चय किया है। पहले चरण की परीक्षा चार सितंबर को दो पालियों में होगी। इसमें वाणिज्य और अर्थशास्त्र विषय की परीक्षा होगी। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने 2008 में प्रदेश के डिग्री कॉलेजों के लिए विज्ञापन 44 के तहत 552 पदों की घोषणा की थी। तीन वर्ष बाद आयोग ने 38 विषयों में से मात्र दो विषयों के लिए परीक्षा कराने का ऐलान किया है। विज्ञापन के समय लगभग 44 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। इसमें वाणिज्य के कुल 11 पदों के लिए आठ सौ से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे, प्रमाण पत्रों की जांच के बाद मात्र 554 अभ्यर्थी ही परीक्षा के योग्य पाए गए। इसी प्रकार अर्थशास्त्र के कुल 26 पदों के लिए 1263 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे, इसमें से स्क्रीनिंग के बाद 886 परीक्षा के योग्य पाए गए। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. जे प्रसाद ने बताया कि लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश में परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए अभ्यर्थियों को अब प्रवेश पत्र भेजने की तैयारी शुरू हो गई है(अमर उजाला,इलाहाबाद,17.8.11)। |
उत्तराखंडःभरसार विवि को विश्व मानचित्र पर लाना प्राथमिकता Posted: 18 Aug 2011 01:51 AM PDT औद्यानिकी एवं वानिकी विविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डा. मैथ्यू प्रसाद ने कहा कि विविद्यालय को वि मानचित्र पर एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करना उनकी प्राथमिकता होगी। इसके लिए विविद्यालय में बौद्धिक वातावरण बनाने के लिए कारपोरेट कल्चर का समावेश किया जाएगा। बुधवार को विविद्यालय के कुलपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद डा. मैथ्यू ने कहा कि उत्तराखंड के लिए औद्यानिकी एवं वानिकी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसका विकास व प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके व उच्च तकनीकी के साथ किया जाना चाहिए। प्रदेश में वनाच्छादित क्षेत्र की व्यापकता और औद्यानिकी की असीम संभावनाओं को देखते हुए योग्य एवं प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता होगी। इसे औद्यानिकी विविद्यालय पूरा करेगा। वैज्ञानिक शोध के माध्यम से औद्यानिकी व वानिकी की विकास योजनाओं को सशक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्यानिकी में फसल उत्पादन के अतिरिक्त और कई आयाम है। जैसे फल-सब्जी प्रसंस्करण, फूल व्यवसाय, सगंध व शोभनीय पौध व्यवसाय, लैडस्केप व्यवसाय, पार्क एवं उद्यान, टर्फ विकास एवं प्रबंधन आदि। वानिकी के क्षेत्र में ग्रीन बोनस के दृष्टिगत वनाच्छादित भूमि के मूल्य का सही आकलन जरूरी है। इसके लिए पर्यावरण, समाज और आर्थिकी पर वनों के प्रभाव का आंकलन करना होगा। वन परिमापन, जलवायु एंव मृदा आदि की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कारगर योजनाएं बनाने में महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए वानिकी में योग्य एवं प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता होगी जो कि विविद्यालय उपलब्ध कराएगा। उन्होंने माना की भरसार दुर्गम क्षेत्र है। शुरूआती दौर में वहां छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। प्रारम्भ में शिक्षा, शोध व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुविधाएं जुटाने का प्रयास किया जाएगा। जैसे-जैसे विविद्यालय विकसित होगा उसके आस-पास का क्षेत्र भी विकसित होने लगेगा। उन्होंने कहा कि यदि सभी समर्पित होकर कार्य करेंगे तो विविद्यालय को वि के मानचित्र में एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में लाया जाएगा। डा. प्रसाद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से खाद्य प्रसंस्करण अभियांत्रिकी में परास्नातक व डाक्टरेट की उपाधियां प्राप्त की है। उन्होंने इलाहाबाद विविद्यालय से कृषि आभियांत्रिकी में स्नातक किया है। उनकी शोध उपलब्धियों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया है। डा. मैथ्यू ने इजरायल में वोलकानी रिसर्च संस्थान से पोस्ट हाव्रेस्ट तकनीक में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने 14 वर्ष से अधिक समय तक जम्मू कश्मीर के कृषि विविद्यालय में शीतोष्ण औद्यानिकी पर कार्य किया है। उन्होंने ग्रीन बोनस के परिपेक्ष्य में अकाष्ठ वन उत्पादों के प्रसंस्करण व मूल्य वृद्धि का भी गहन अध्ययन किया है। उन्हें कृषि विविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान, वि बैंक के यूपीडास्प में काम करने का 30 वर्ष का अनुभव है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.8.11)। |
इंडियन ओवरसीज बैंक का छात्रों के लिए तोहफा Posted: 18 Aug 2011 01:47 AM PDT छात्रों को सहूलियत देते हुए सरकारी इंडियन ओवरसीज बैंक ने उन्हें कई तरह की सुविधाएं मुफ्त में देने का फैसला किया है। इसका आगाज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया गया जिसमें छात्रों के लिए महज 500 रुपए के न्यूनतम बैलेंस पर खाता खोलने की सुविधा उपलब्ध कराई है। इस कार्यक्रम में बैंक ने छात्रों को चालू एवं बचत खाते के बारे में समझाया तथा उनके लिए विशेष स्कीम पेश किया जिसमें आईओबी एसबी स्टुडेंट अकाउंट के तहत न्यूनतम 500 रुपए बैलेंस, मुफ्त चेकबुक, मुफ्त इंटरनेट बैंकिंग, मुफ्त एसएमएस अलर्ट और मुफ्त बहुउद्देश्यीय एटीएम कार्ड दिया जाएगा(नवभारत टाइम्स,मुंबई,18.8.11)। |
महाराष्ट्रःआश्रित को नौकरी देने का सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश Posted: 18 Aug 2011 01:44 AM PDT बंबई हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें उसने एक मृत कर्मचारी की पुत्री को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इंकार कर दिया था। उस कर्मचारी की काम के दौरान मृत्यु हो गई थी। राज्य ने दलील दी कि सरकारी प्रस्ताव (जीआर) सिर्फ मृत सरकारी कर्मचारी की अविवाहित पुत्री, पत्नी और पुत्र को नौकरी पाने की अनुमति देता है। हालांकि, मृत कर्मचारी के परिवार ने दलील दी कि नौकरी के लिए आवेदन देते वक्त कर्मचारी की पुत्री अविवाहित थी। उसकी बाद में शादी हुई। इसलिए इस मामले में यह सवाल पैदा हुआ कि क्या इस तरह के उम्मीदवार की योग्यता पर आवेदन देने के दिन से विचार किया जाना चाहिए या नियुक्ति की तारीख से विचार किया जाना चाहिए। अपर्णा जांबरे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और मृदुला भाटकर ने कहा कि उम्मीदवार की योग्यता नौकरी के लिए आवेदन करने के समय से शुरू होती है। इसलिए इस मामले में मृत कर्मचारी की अविवाहित पुत्री जिसने जुलाई 2004 में नौकरी के लिए आवेदन किया था, इसके लिए योग्य थी क्योंकि आवेदन के वक्त उसने शादी नहीं की थी।न्यायाधीशों ने राज्य को निर्देश दिया कि वह अनुकंपा के आधार पर उपयुक्त रिक्ति के संबंध में नियुक्ति के लिए उसके दावे पर पुनर्विचार करे। न्यायाधीशों ने पाया कि संबद्ध प्रतीक्षा सूची में उससे वरिष्ठ सभी उम्मीदवारों की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है इसलिए अगर वह अन्य मामलों में योग्य पाई जाती है तो राज्य को उपयुक्त रिक्ति के लिए अपर्णा की नियुक्ति के लिए कदम उठाना चाहिए। सांगली में सिंचाई विभाग में सहायक इंजीनियर मोहन कुलकर्णी की आठ सितंबर 2003 को नौकरी के दौरान मृत्यु हो गई थी(दैनिक ट्रिब्यून,मुंबई,18.8.11)। |
गणित-विज्ञान में यूएस को मात दे रहा है भारतः ओबामा Posted: 18 Aug 2011 01:39 AM PDT अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अमेरिका तेजी से भारत और चीन जैसे देशों से पिछड़ता जा रहा है। अमेरिका के ग्रामीण इलाकों की तीन दिन की बस यात्रा के समापन के दौरान एटकिंसन में टाउन हॉल में ओबामा ने गणित, विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों को प्रोत्साहित करने पर जोर नहीं दिये जाने पर चिंता व्यक्त की। ओबामा ने कहा कि एक बात जिसको लेकर मैं चिंतित हूं, जिसके लिए हम शिक्षा विभाग पर ज्यादा दबाव बना रहे हैं, वह यह है कि क्या हम गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप दक्ष इंजीनियर है, दक्ष कम्प्यूटर इंजीनियर है, अगर अपका गणित मजबूत है और तकनीकी दक्षता है तो आज की अर्थव्यवस्था में आपके लिए सभी जगह रोजगार है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस संबंध में शुरुआत युवाओं के कॉलेज जाने से पहले होनी चाहिए। इसलिए हम इस दिशा में समग्र प्रयास कर रहे हैं, जिसे स्टेम कार्यक्रम का नाम दिया गया है जो प्रारंभिक कक्षाओं में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से संबद्ध है ताकि बच्चों इस क्षेत्र की ओर शुरू से उन्मुख हो सके। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रूप से इन क्षेत्रों में अमेरिका को तुलनात्मक रूप से बढ़त हासिल थी, लेकिन अब हम भारत और चीन जैसे देशों से पिछड़ रहे हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,18.8.11 में वाशिंगटन की रिपोर्ट)। दैनिक जागरण की रिपोर्टः अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अमेरिका तेजी से भारत और चीन जैसे देशों से पिछड़ता जा रहा है। अमेरिका के ग्रामीण इलाकों की तीन दिन की बस यात्रा के समापन के दौरान बुधवार एटकिंसन में टाउन हॉल में ओबामा ने गणित, विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों को प्रोत्साहित करने पर जोर नहीं दिए जाने पर चिंता व्यक्त की। ओबामा ने कहा कि एक बात जिसको लेकर मैं चिंतित हूं जिसके लिए हम शिक्षा विभाग पर ज्यादा दबाव बना रहे हैं, वह यह है कि क्या हम गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप दक्ष इंजीनियर है, दक्ष कंप्यूटर इंजीनियर है, अगर आपका गणित मजबूत है और तकनीकी दक्षता है तो आज की अर्थव्यवस्था में आपके लिए सभी जगह रोजगार है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस संबंध में शुरूआत युवाओं के कालेज जाने से पहले होनी चाहिए। इसलिए हम इस दिशा में समग्र प्रयास कर रहे है जिसे 'स्टेम' कार्यक्रम का नाम दिया गया है जो प्रारंभिक कक्षाओं में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से संबद्ध है ताकि बच्चे इस क्षेत्र की ओर शुरू से उन्मुख हो सके। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रूप से इन क्षेत्रों में अमेरिका को तुलनात्मक रूप से बढ़त हासिल थी लेकिन अब हम भारत और चीन जैसे देशों से पिछड़ रहे हैं। |
उत्तराखंडःनवोदय विद्यालयों में प्रवेश की तिथि बढ़ी Posted: 18 Aug 2011 01:38 AM PDT शिक्षा विभाग ने प्रदेश में नवोदय विद्यालयों में कक्षा छह में प्रवेश के लिए अर्जी देने की अंतिम तिथि 10 दिन और बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। अपर सचिव शिक्षा स्वतंत्र प्रभार सुबर्धन ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक में स्वीकृत, कार्यरत और रिक्त पदों के अलावा पदोन्नति और नियुक्ति संबंधी जानकारियां लीं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.8.11)। |
राजस्थानःशिक्षा बोर्ड में अब सिर्फ ऑनलाइन परीक्षा आवेदन Posted: 18 Aug 2011 01:45 AM PDT राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी आखिरकार ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की शुरूआत हो गई। बोर्ड से सम्बद्ध स्कूल 22 अगस्त से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया कि बोर्ड की वेबसाइट पर लॉग इन करके ही परीक्षा फार्म भरे जा सकेंगे। इसके लिए सभी विद्यालयों को लॉग इन आईडी तथा पासवर्ड दिया जा रहा है। आवेदन में विद्यार्थी स्कैन फोटो तथा हस्ताक्षर भी होंगे। विद्यालय प्रोफाइल के तहत स्कूल व परीक्षार्थियों से संबंधित सूचनाएं अंकित करनी होंगी। बोर्ड ने इस संबंध में सभी विद्यालयों को निर्देश भिजवा दिए हैं(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,18.8.11)। दैनिक भास्कर की रिपोर्टः अजमेर बोर्ड पहली बार ऑनलाइन आवेदन पत्र भरवाएगा, नोडल केंद्रों को आईडी एवं पासवर्ड भेजे राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 2012 में होने वाली परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन 22 अगस्त से भरे जाएंगे। बोर्ड ने सभी नोडल केंद्रों को आईडी एवं पासवर्ड भेज दिए हैं। बोर्ड की ओर से परीक्षाओं के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन भरवाए जा रहे हैं। बोर्ड सचिव मिरजूराम शर्मा के मुताबिक सीनियर सेकंडरी व सेकंडरी परीक्षाओं के आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया 22 अगस्त से शुरू होगी। सभी विद्यालयों को बोर्ड की ओर से आईडी व पासवर्ड दिया जा रहा है। ये संबंधित नोडल केंद्र से प्राप्त होगा। ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन बोर्ड की ओर से सभी विद्यालयों को एक रिक्त आवेदन पत्र का नमूना भेजा जा रहा है। नमूने का आवेदन पत्र वेबसाइट से डाउनलोड कर करने के अलावा संबंधित नोडल केंद्र से भी प्राप्त किया जा सकता है। जिन स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वे परीक्षार्थियों के भरे हुए फार्म एवं बोर्ड से भेजा गया यूजर आईडी तथा पासवर्ड का लिफाफा लेकर समीप के किसी ई-मित्र, कियोस्क या कम्प्यूटर सेंटर से आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा शुल्क : बोर्ड वेबसाइट से परीक्षा शुल्क चालान की 4 प्रतियों में मय शुल्क के विवरण के साथ प्राप्त होगा। चालान के साथ ही परीक्षार्थियों की अग्रेषण सूची भी दो प्रतियों में मुद्रित की जानी है। चालान पर वेलिडिटी डेट कम्प्यूटर द्वारा अंकित होगी। इस तिथि तक परीक्षा शुल्क और चालान पंजाब नेशनल बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक की राजस्थान स्थित किसी भी शाखा में जमा कराना होगा। नवक्रमोन्नत विद्यालयों के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं : बोर्ड सचिव के मुताबिक जिन नव क्रमोन्नत विद्यालयों को स्थायी विद्यालय कोड आवंटित नहीं हुआ तथा जिनका नाम बोर्ड वेबसाइट की सूची में नहीं है, वे ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकेंगे। ऐसे विद्यालय नमूने के परीक्षा आवेदन पत्रों की फोटो प्रति करवा कर परीक्षार्थियों से भरवाएंगे। शाला प्रधान इन्हें प्रमाणित करेंगे। निर्धारित तिथियों में परीक्षा शुल्क का बैंक ड्राफ्ट बनवाकर परीक्षा आवेदन पत्र, अग्रेषण सूची नोडल केंद्र पर जमा कराएंगे। |
OBC के लिए 10 फीसदी कम हो कटऑफः SC Posted: 18 Aug 2011 01:35 AM PDT सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में न्यूनतम योग्यता प्रतिशत सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में अधिक से अधिक 10 फीसदी कम होना चाहिए। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ओबीसी श्रेणी के छात्रों के लिए योग्यता मानदंड का फैसला सामान्य श्रेणी में दाखिला पाने वाले अंतिम उम्मीदवार के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में विश्वविद्यालयों में जो दाखिले पहले ही हो चुके हैं उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत का स्पष्टीकरण आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रोफेसर पीवी इंद्रेसन की ओर से दायर याचिका पर आया है। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी आरक्षण को लागू करने में अनियमितता के मद्देजनर शीर्ष अदालत से निर्देश देने को कहा था(हिंदुस्तान,दिल्ली,18.8.11)। नवभारत टाइम्स की रिपोर्टः सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सेंट्रल यूनिवर्सिटीज ऐडमिशन में ओबीसी कटऑफ लिस्ट जनरल कटऑफ से 10 फीसदी से नीचे नहीं हो सकती। जस्टिस आर वी रविन्द्रन की बेंच ने यह फैसला देते हुए कहा कि ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का क्राइटीरिया यह नहीं होना चाहिए कि जनरल कैटिगरी के आखिरी कैंडिडेट के मार्क्स कितने थे। इस बाबत उपरोक्त आदेश जारी करते हुए बेंच ने यह साफ कर दिया कि इस शैक्षणिक सत्र के लिए किए गए अब तक के एडमिशन्स पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा। अदालत ने यह फैसला आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रफेसर पी वी इंदरसेन द्वारा फाइल की गई पिटिशन पर दिया है। इंदरसेन ने यह पिटिशन दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट को चैंलेंज करते हुए दायर की थी जिसमें कहा गया था कि ओबीसी कैटिगरी के लिए तय कट ऑफ जनरल कैटिगरी के लिए तय की गई आखिरी कट ऑफ से 10 परसेंट से कम होनी चाहिए। याचिका में कहा गया कि दिल्ली यूनिवर्सिटीज और जेएनयू के पैमानों में काफी अंतर है। याचिका में कहा गया कि ओबीसी कोटा के तहत होने वाले एडमिशन्स में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हे दुरुस्त किया जाना चाहिए। दैनिक जागरण की रिपोर्टः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग [ओबीसी] श्रेणी में न्यूनतम योग्यता प्रतिशत सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में अधिक से अधिक 10 फीसदी कम होना चाहिए। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ओबीसी श्रेणी के छात्रों के लिए योग्यता मानदंड का फैसला सामान्य श्रेणी में दाखिला पाने वाले अंतिम उम्मीदवार के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने हालाकि स्पष्ट किया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में विश्वविद्यालयों में जो दाखिले पहले ही हो चुके हैं उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत का स्पष्टीकरण आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रोफेसर पीवी इंद्रेसन की ओर से दायर याचिका पर आया है। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी आरक्षण को लागू करने में अनियमितता के मद्देजनर शीर्ष अदालत से निर्देश देने को कहा था। इंद्रेसन ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि ओबीसी उम्मीदवारों के लिए कट ऑफ अंक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम योग्यता अंकों से 10 फीसदी कम होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इंद्रेसन ने अपनी याचिका में रेखाकित किया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में अनियमितताएं हो रही हैं। उन्होंने कहा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए जा रहे मानदंड में ओबीसी छात्रों और सामान्य श्रेणी के छात्रों के बीच कट ऑफ अंकों में अंतर 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि जेएनयू में न्यूनतम योग्यता मानदंड में 10 फीसदी की छूट देने का प्रचलन है। |
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/
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