Friday, October 29, 2010

Fwd: राष्ट्रवाद और हिंदी समुदाय -2



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2010/10/29
Subject: राष्ट्रवाद और हिंदी समुदाय -2
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com


राष्ट्रवाद और हिंदी समुदाय -2 

हिंदुत्व की विचारधारा ने भी एक अमूर्त हिंदू-जनता की रचना की और उसे समय-समय पर मूर्त हिंदू जनता का रूप देने की कोशिश की. यह प्रयास भी काफी रक्तरंजित रहा और भयानक दंगों का सबब बना. उन्होंने जबरन समूची हिंदू जनता का प्रवक्ता बनने की कोशिश की और हिंदुओं के पूरे स्पेस पर अपना एकाधिकार जताना चाहा. बहरहाल, उन्हें इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली और वे लंबे समय तक हाशिए पर ही रहे.

अमूर्त हिंदू जनता को मूर्त रूप देने में उन्हें सबसे बड़ी कामयाबी रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान मिली. लेकिन यह कामयाबी भी अपर्याप्त थी और उसका भी एक बड़ा कारण उसकी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक शक्तियां की कमजोरी और गलतियां थीं.

इसलिए हिंदुत्व के नेता ने जब जिन्ना की कब्र पर उनके द्वारा एक 'सेक्यूलर' राष्ट्र की रचना के लिए उनकी तारीफ की, तो इसमें उनकी 'ईर्ष्या' भी छिपी थी-खुद वही मुकाम न पाने का दर्दं भी था. साथ ही यह दोनों धाराओं के वैचारिक साम्य की स्वीकारोक्ति भी थी.

http://hashiya.blogspot.com/2010/10/blog-post_29.html

--
Nothing is stable, except instability
Nothing is immovable, except movement. [ Engels, 1853 ]



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment