डीएसबी कॉलेज में राजीवदाज्यू हमारे पहले पढ़ते थे। शायद वीरेन डंगवाल उनके सहपाठी रहे हो। इसलिए नैनीताल के शुरुआती वर्षों में अंतरंगता नहीं बनी।
नैनीताल समाचार के प्रकाशन के साथ ही उनका घर मेरा घर,हम सबका घर बन गया।
हमारी वाहिनी में गिरदा की अगुवाई में सीधे सादे राजीवदाज्यू के साथ भौते जुलुम किये।
अगर नैनीताल समाचार का प्रकाशन नहीं होता और राजीवदाज्यू उसके सम्पादक नहीं होते तो मैं जो भी होता, पत्रकार नहीं होता।
मेरी महत्वाकांक्षा विध्वविद्यालय और साहित्य में थी।
गिर्दा, राजीवदाज्यू और शेखर पाठक की तिकड़ी ने मुझे पत्रकार बना दिया,जिनकी वजह से दीशभर में मुझे इतनी मुहब्बत मिली।
इस मुहब्बत के सबसे बड़े हकदार आप हैं राजीवदाज्यू।
आपको और भाभीजी को औपचारिक जन्मदिन मुबारक।
पहाड़ छोड़े चार दशक हो गए।जन्माष्टमी में आपका जमन्दिन भूल गया था। माफ भी करें।
आप लोगों की बहुत याद आती है।लड़कीं गिर्दा के बाद नैनीताल सूना सूना लगता है। आपके और ज़हूर आलम की मौजूदगी के बावजूद।
गनीमत है कि आप बुलाने पर खुद दिनेशपुर चले आते है और उत्तराखण्ड में कहीं भी जनसरोकार के मंच पर मिल जाते हैं।
सत्तर साल के तो आप लगते नहीं है।
उम्र का क्या दाढ़ी की तरह बेमयलब बढ़ जाती है। फर्क इतना है कि दाढ़ी जब चाहे तब उड़ा सकते हैं।उम्र को उड़ा नहीं सकता।
बहरहाल चार दशक बाद फिर घर आया हूँ और उम्मीद है कि जिंदगी अभी बाकी है और हम सभी लोग पहले की तरह मिलकर काम करेंगे।
आप प्रेरणा अंशु के भी अभिभावक है। प्रेरणा अंशु की तरफ से भी जन्मदिन मुबारक। आपको और भाभीजी को भी।
Palash Biswas