Friday, July 11, 2014

बकरे की अम्मा खैर मनाओ की कयामत जारी है।गुप्त तंत्रविधि के बजट में बोले खूब,कहा कुछ नहीं और जनता मस्त,भारत ध्वस्त,अमेरिका स्वस्थ।

बकरे की अम्मा खैर मनाओ की कयामत जारी है।गुप्त तंत्रविधि के बजट में बोले खूब,कहा कुछ नहीं और जनता मस्त,भारत ध्वस्त,अमेरिका स्वस्थ।

पलाश विश्वास


एक अत्यावश्यक सूचनाः

जब यह आलेख लिख रहा हूं और समूचे बजट डाक्यूमेंट की पड़ताल करते हुए प्रासंगिक तथ्य आलेख से पहले अपने ब्लागों में पोस्ट करने में लगा हूं,इसके मध्य मेरठ के एसएसपी का फोन आया कि उन्हें मेरा कोई मेल मिला होगा,उसे दुबारा भेजने के लिए उन्होंने कहा है।मैंने निवेदन किया कि मुझे जो मेल आते हैं,मैं फारवर्ड करके डिलीट कर देता हूं।तब उन्होने कहा कि किसी को भी मेरठ मंडल से संबंधित कोई शिकायत हो तो वे सीधे उन्हें,यानी एसएस मेरठ को सीधे फोन कर सकते हैं इस नंबर परः911212660548

जनहित में यह सूचना जारी की जा रही है।

एसएसपी मेरठ का आभार इस पहल के लिए।


विशुद्ध गुप्त तंत्र विधि है भारत सरकार का मुक्ताबाजारी बजट।इसका कूट रहस्य खोलना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।डान के मुखातिब है पूरा देश,लेकिन डान की शिनाख्त असंभव।अपराध के प्रत्यक्षदर्शी है सारा जहां।कत्ल हो गया।लेकिन लहू का कोई सूराग नहीं।कातिल हाथों में महबूब की मेंहदी है।


गुप्त तंत्रविधि के बजट में बोले खूब,कहा कुछ नहीं और जनता मस्त,भारत ध्वस्त,अमेरिका स्वस्थ।


गौरतलब है कि अमेरिकी विशेषज्ञों व कारपोरेट जगत के लोगों ने भारत की मोदी सरकार के पहले बजट का स्वागत किया है और कहा है कि यह सही दिशा में है तथा इससे रोजगार एवं आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। भारतीय अर्थ नीतियों पर निगाह रखने वाले इंडिया फस्र्ट ग्रुप के रोन सोमर्स ने वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा कल पेश बजट को मोदी सरकार का पहला शानदार बजट बताते हुए कहा कि  'यह संतुलित, नपा-तुला और सूझबूझ वाला बजट है।'


सोमर्स ने कहा, 'इससे अमेरिकी निवेशक भारत में हो रहे सकारात्मक बदलाव से फिर से उत्साहित हुए हैं।Ó उल्लेखनीय है कि नई सरकार ने बीमा और रक्षा क्षेत्र में विदेशी हिस्सेदारी सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी तक ले जाने की अनुमति दी है। सोमर्स ने कहा कि रक्षा क्षेत्र को खोलने से ही प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में सुविधा होगी। सेंटर फार स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के रिक रोसो ने कहा कि सरकार को इस अवसर का फायदा उठाकर रक्षा क्षेत्र में विदेशी भागीदारी को और ऊपर करना चाहिए था तथा आयकर धिनियम में 2012 में किए गए उस संशोधन को रद्द करना चाहिए था जो पिछली तारीख से प्रभावी बनाया गया है।


लेकिन उन्होंने कहा कि इस बजट से निश्चित रूप से कुछ सुखद आश्चर्य मिले हैं जिसमें विदेशी निवेश की शर्तों में दी गई ढील शामिल है। 'मुझे लगता है कि इससे आने वाले वर्षों में भारत की विकास योजनाओं में अमेरिकी निवेश के लिए राह और चौड़ी हुई है।'  यूएस-इंडिया चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष करूण रिशी ने कहा, 'यह बजट रोजगार सृजन एवं वृद्धि दर में तेजी लाने की दिशा में उठाया गया सही कदम है।'



कारोबारी जगत की दृष्टि से किसी नई सरकार के पहले बजट को उससे इकनॉमी को मिलने वाली दिशा के आधार पर आंका जाता है, न कि आंकड़ेबाजी के आधार पर। 2014-15 के लिए अरुण जेटली के बजट में एक साफ विजन है कि नई सरकार आने वाले वर्षों में इकनॉमी में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा कितना मिलेगा,मुनाफा कितना गुणा बढ़ेगा,उसके नजरिये से राष्ट्रहित यह है।


कारपोरेट केसरिया बजट में इसका पूरा ख्याल रखा गया है।


पीपीमाडल का लोकलुभावन जलवाःआम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने भारत के सभी राज्यों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे संस्थान खोले जाने की घोषणा की। जेटली ने कहा कि चार नए एम्‍स (आंध्र प्रदेश, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और विदर्भ के लिए) की स्‍थापना की जाएगी. हर साल बिना एम्‍स वाले राज्‍यों में नए एम्‍स खोले जाएंगे। 12 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे. 12 मेडिकल कॉलेजों में डेंटल सुविधा मुहैया कराई जाएगी। पांच नए आईआईटी, पांच नए आईआईएम की स्‍थापना होगी। इसके अलावा, मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव है।


इनमें दाखिले के लिए और बाकी नालेज इकोनामी में अपने वजूद के लिए लाखों की फीस और डोनेशन निनानब्वे फीसद की औकात से बाहर है,जाहिर है।


लोकलुभावन जलवाःभोग संस्कृति के मुताबिककोल्ड ड्रिंक्स और पान मसाला महंगे होंगे। तंबाकू उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई। सिगेरट, सिगार महंगी। विदेश से 45 हजार रुपये तक का सामान लेने पर कोई टैक्स नहीं। कंप्यूटर्स पार्ट्स और 1000 रुपए तक के जूते सस्ते होंगे। स्टील के सामान सस्ते होंगे। सौर ऊर्जा से जुड़े उपकरण सस्ते होंगे। सभी तरह के टीवी सस्ते होंगे, 19 इंच से कम के एलसीडी में कस्टम ड्यूटी शून्य करने का प्रस्ताव। म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 10% से बढ़कर 20% होगा।


मीडिया के मुताबिक दरअसल, वित्त मंत्री ने मुश्किल दौर में बजट पेश किया है। इसके बावजूद उन्होंने ऐसे कदमों की घोषणा की है, जो अगले दो-तीन साल के दौरान विकास दर में रफ्तार का आधार बन सकती हैं।


मीडिया के मुताबिक वर्ष 2014-15 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था की मरम्मत काआधार तैयार किया है। भारतीय अर्थतंत्र के हर संबद्ध क्षेत्र के भरोसे को मजबूत करने के लिए बजट प्रस्तावों में लघु और दीर्घकालिक उपायों का समावेश है।समग्र आर्थिक विकास यात्रा के प्रारंभ की आधार शिला है इस सत्र का आम बजट। हानिकारक वस्तुओं पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर खाद्य एवं अन्य वस्तुओं पर एक्साईज घटाकर कल्याण समाज की संरचना को सुदृढ़ीकरण का संकेत प्राप्त हुआ है।लोकसभा चुनावों के परिणाम सामने आते ही मोदी सरकार के आम बजट की प्रतीक्षा शुरू हो गई थी। ... ये अतिरिक्त प्रयास योजनाओं और सुधार के उपायों के क्रियान्वयन में दिखने चाहिए।


अल्पमती नवउदारवादी धारा की सरकारों के मुकाबले जनादेश सुनामी मार्फत सत्ता में आयी गुजरात माडल की सरकार के चरित्र में केसरिया रंग के सिवाय कुछ भी बदलाव नहीं है,यह वाकई सत्तावर्ग के वर्णवर्चस्वी नस्ली संहारक चरित्र का रंगबदल है।बाकी जादू टोना टोटका टोटेम हुबहू वही।


जैसे मनमोहिनी ,प्रणवीय,चिदंबरमी बजटसुंदरी के होंठें में केसरिया रंगरोगन।


बंगाल में दो सदियों की भूमि सुधार आंदोलन की फसल बतौर बनी कृषक प्रजा पार्टी के स्थाई बंदोबस्त और जाति वर्ण नस्ल एकाधिकार के विरुद्ध जनविद्रोह से देशव्यापी राष्ट्रीय आंदोलन के गर्भपात हेतु जिन  महामना श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के अल्पसंख्यकों को बंगाल की खाड़ी में फेंक देने और भारत विभाजन हो या नहीं,बंगाल का विभाजन जरुर होगा,की सिंह गर्जना की थी और विभाजन एजंडा पूरा होने के बाद भारतीयजनसंघ के जरिये भारतीयकरण मार्फते हिंदू राष्ट्र की नींव डाली थीं,यबह कारपोरेट केसरिया बजट पहली बार गांधी,नेहरु और अंबेडकर के साथ साथ समूचे वाम पर उन्हीं श्यामाप्रसाद का ब्राजीली गोल पर जर्मन धावा है।


जाहिर है नमो महाराज से बड़ा कोई रंगरेज नहीं है भारतीय इतिहास में जो सबकुछ इसतरह केसरिया बना दें।अपनी दीदी भी बंगाल को सफेद नील अर्जेंटीना बनाने की मुहिम में हैं और उन्हें लोहे के चने चबान पड़ रहे हैं।


कल्कि का जलवा इतना जानलेवा,इतना कातिलाना कि सावन भी केसरिया हुआ जाये रे।घुमड़ घुमड़कर मेघ बरसै केसरिया।


जैसे कि उम्मीद थी,वोटरों को संबोधित करने की रघुकुल रीति का पालन हुआ है एकमुश्त वित्तीय प्रतिरक्षामंत्री के एफडीआई विनिवेश प्राइवेटाइजेशन बजट में।


गला रेंत दिया और बकरे को मरते दम चारा चबाने से फुरसत नहीं।


हमने पहले ही लिखा है कि मध्य वर्ग और निम्नमध्यवर्ग के साथ उच्चवित्तीय नवधनाढ्य मलाईदार तबके को खुश रखिये और मुक्तबाजारी जनसंहार नीतियों की अविरल गंगाधारा की निरंतरता निरंकुश छिनाल छइया छइया पूंजी का निखालिश कत्लेआम जारी रखिये,बजट के जरिये रणनीति यही अपनायी गयी है।इसी मुताबिक  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट पेश किया। बजट में जेटली ने नौकरीपेशा लोगों को थोड़ी राहत पहुंचाने की कोशिश की। आयकर में छूट की सीमा 50 हजार रुपये बढ़ा दी यानी अब ढाई लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि टैक्स की दरों में वित्त मंत्री ने कोई बदलाव नहीं किया है। इसी तरह 80C के तहत निवेश पर छूट की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दी है। कर्ज पर घर खरीदने वालों को राहत पहुंचाते हुए वित्त मंत्री ने ब्याज पर छूट की सीमा डेढ़ लाख रुपये से दो लाख रुपये तक कर दी है।वहीं निवेश पर छूट की सीमा में भी इजाफा किया गया है। महिलाओं और बच्चों को सुविधाओं पर विशेष जोर, विश्वस्तर के शहरों का निर्माण, वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है।


हमने लिखा था कि आर्थिक समीक्षा का आइना हो बजट,कोई जरुरी नहीं है।यह सिर्फ संसद और जनता के प्रति उत्तरदायित्व के निर्वाह की वैदिकी विधि है और बाकी बचा वही गुप्त तंत्र विधि।


बोले तो बहुत,लेकिन कहा कुछ भी नहीं।वैसे कहने बोलने को रहा क्या है,देश में लोकतंत्र और संविधान का तो सत्यानाश कर दिया है।हालांकि वित्त मंत्री ने रोजगार के अवसर और आर्थिक वृद्धि बढ़ाने तथा निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की है। महिलाओं और बच्चों को सुविधाओं पर विशेष जोर, विश्वस्तर के शहरों का निर्माण, वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है।इसी सिलसिले में आवास ऋण पर ब्याज की कटौती की सीमा डेढ़ लाख से बढ़कर दो लाख रुपए। ---छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन के लिए वर्ष में 25 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर 15 प्रतिशत निवेश भत्ते का प्रस्ताव। ---स्मार्ट सिटी के लिए 7,060 करोड़ रुपए का आवंटन। ---धार्मिक शहरों के लिए प्रसाद व विरासत वाले शहरों के लिए ह्दय का शुभारंभ।


जनता खुश कि बजट में 7060 करोड़ रुपये नए शहरों के लिए। 1,000 करोड़ रुपये से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरूआत। 2019 तक स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी घरों में शौचालय सुविधा। दीनदयाल ग्रामीण ज्योति योजना के तहत बिजली उपलब्ध कराने के लिए 500 करोड़ रुपये के साथ शुरूआत होगी। 100 करोड़ रुपये के साथ आदिवासियों के लिए वनबंधु कल्याण योजना। सरदार पटेल की प्रतिमा के लिए 200 करोड़ रुपये। बीमा क्षेत्र में एफडीआई 26 से बढ़ाकर 49 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव। ईपीएफ योजना के तहत श्रमिकों के लिए न्यूनतम 1000 रुपये की पेंशन। 2014-15 में वित्तीय घाटा कम करके 3 फीसदी पर लाएंगे।


देहात और कृषिजीवी बहुसंख्य मूक भारत के चौतरफा सत्यानाश का जो एजंडा आया है,वह अंध भक्त बजरंगी पैदल भेड़ सेनाओं की निर्विकल्प समाधि और सत्ता वर्ग से नत्थी चेतस तेजस केसरिया मलाईदार तबके के चरवाहों और गड़ेरियों के चाकचौबंद इंतजामात के मद्देनजर निर्विरोध है।


वोटबैंक समीकरपण साधने के लिए लेकिन  दिल्ली में पानी क्षेत्र में सुधार के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। जेटली ने कहा कि दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए 200 करोड़ रुपये और पानी क्षेत्र में सुधार के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अरुण जेटली ने आम बजट 2013-14 प्रस्तुत करते हुए अहमदाबाद और लखनऊ की मेट्रो परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की भी घोषणा की।


उम्‍मीदों की इस बजट में अरुण जेटली ने उत्‍तर प्रदेश का ध्‍यान रखा और करते हुए लखनऊ की मेट्रो परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की। हालांकि ये पूरी राशि अहमदाबाद और लखनऊ में मेट्रो कार्य के लिए दी गई है। बजट पेश करने के दौरान अरुण जेटली ने कहा कि मैं सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) के अंतर्गत अहमदाबाद और लखनऊ की मेट्रो रेल परियोजनाओं के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित किए जाने की घोषणा करता हूं।


बजट में आपका टैक्स कितना बचेगा,मीडिया का थीमसांग यही है। आज के तमाम अखबारों में कड़वी दवा न मिलने का विश्वकप वंचित ब्राजीली हाहाकार है।


अर्थव्यवस्था के कायाकल्प के लिए सब्सिडी असुरों का एकमुश्त वध ने होने का क्रंदन है।बाजार की सारी उछलकूद है।


मजा देखिये,जनता बचे हुए नोटों का हिसाब लगाकर मस्त,असली भारत ध्वस्त और अमेरिका स्वस्थ।


गौरतलब है कि अमेरिका जब राजनीतिक बाध्यताओं के बहाने पूर्ववर्ती गुलामवंशीय सरकार की नीतिगत विकलांगकता के बहाने केसरिया कारपोरेट सुनामी की पहल कर रहा था,तब भी अमेरिका और उसके सहयोगी देश में अवांछित था गुजरात माडल।


आज उसी गुजरात माडल से समूचा पश्चिम बल्ले बल्ले है।


इस बजट में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के युद्धविजय की खुशबू जितनी है,भारत अमेरिकी परमाणु संधि,आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिका और इजराइल के वैश्विक युद्ध में महाबलि गौरिक भारत की भागेदारी से नियत अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था की जमानत पर रिहा होने का नशा उससे कहीं ज्यादा है।


भारतीय उद्योग,वाणिज्य,कारपोरेट के सुधार सांढ़ों के उतावलेपन के मुकाबले में अंकल सैम की गुलमोहर हुई मुस्कान को समझिये।


बजट में जो निर्विरोध सत्ता जाति वर्चस्वी नस्ल वर्चस्वी वर्ग वर्चस्वी बुनियादी एजंडा पास हो गया,वह प्रतिरक्षा बीमा समेत सारे क्षेत्रों,महकमों और सेवाओं में निरंकुश विदेशी पूंजी प्रवाह की सहस्रधारा है,जिसे संभव न बना पाने की सजा बतौर मुक्तबाजार के ईश्वर से स्वर्ग का सिंहासन छीन लिया गया।


इस पर अब सर्वानुमति है।


बजट में जो निर्विरोध सत्ता जाति वर्चस्वी नस्ल वर्चस्वी वर्ग वर्चस्वी बुनियादी एजंडा पास हो गया,वह गुजरात का पीपीपी माडल है जो बिना बजट के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश माध्यमे कृषिजीवी भारत के महाश्मशान कब्रिस्तान रेगिस्तान पर अंधाधुंध शहरीकरण का लक्ष्य हासिल करेगा।


इसीलिए एक साथ स्मार्ट सिटीज की सेंचुरी तेंदुलकरी।1930 तक दस लखिया पचास शहर बनेंगे इसीतरह।


इन्ही उन्मुक्त कत्लगाहों को जोड़ने के लिए एफडीआई प्लस पीपीपी माडल,जिसका कोई खुलासा किसी बजट में होना नहीं है और अरबों की कारपोरेट राजनीतिक कमाई की कोई कैग रपट जारी नहीं होनी है और न किसी घोटाले और न किसी घपले का झमेला है।


इसीलिए  इन्फ्रास्ट्रक्चर ... इन परियोजनाओं को मंजूरी के लिए अब योजना आयोग के दरवाजे पर दस्तक देने की जरूरत नहीं होगी। ... वही धन आवंटन की सिफारिश करता था, जिसके आधार पर वित्त मंत्रालय की ओर से धन का आवंटन होता था


इस पर भी सर्वानुमति हो गयी।


पहले जमाने का बजट याद करें,अखबारों के पेज रंगे होते थे कि क्या सस्ता होगा,क्या महंगा।आज के अखबारों को देखें,बमुश्किल ग्राफिक समेत दो पैराग्राफ।


बजट में जो निर्विरोध सत्ता जाति वर्चस्वी नस्ल वर्चस्वी वर्ग वर्चस्वी बुनियादी एजंडा पास हो गया,वह मूल्यों,शुल्कों,किरायों पर सरकारी हस्तक्षेप निषेध है।


शत प्रतिशत विनियंत्रण,शत प्रतिशत विनियमन।हंड्रेड पर्सेंट लव लव लव कारपोरेट बिल्डर प्रोमोटर राज के लिए।


करछूट के लाखों अरबों करोड़ का किस्सा अब बेमतलब है।


करछूट धाराप्रवाह है।


मुनाफा धाराप्रवाह है।


कालाधन धारा प्रवाह है।


साकी भी है और शराब भी।


हुश्न भी है और नशा भी।


एफडीआई भी है और पीपीपी भी है।


तेल गैस, कोयला, उर्वरक, बिजली, रेलभाड़ा,स्कूली फीस, चिकित्सा व्यय,परिवहन खर्च,चीनी,राशन से लेकर मूल्यों,शुल्कों और किराया सरकार का सरदर्द नहीं है,बाजार की मर्जी है।


तो नवधनाढ्यों को गदगदायमान कर देने के अलावा वित्तमंत्री को बजट में कहना क्या था आखिर।


लोकगण राज्य के असान पर जश्नी कार्निवाल के शोर शराबे में सन्नाटा बहुत है।


विनिवेश की दिशा पहले से तय है।


गोपनीय तंत्र प्राविधि का सबसे संवेदनशील कर्मकांड,जो अटल जमाने की शौरी विरासत है।बचे हुए सरकारी उपक्रमों जैसे स्टेट बैंक आफ इंडिया समेत तमाम बैंकों,कोल इंडिया,जीवन बीमा निगम की पूंजी को बाकी सरकारी उपक्रमों के विनिवेश में खपाने की रणनीति है,उन्हें फिनिश करने चाकचौबंद इंतजाम है।


सबसे माफिक सहूलियत यह है कि सरकारी उपक्रमों,विभागों के कर्मचारी अफसरान और यहां तक कि ट्रेड यूनियनों को भी यह मारक तंत्रविधी समझ में नहीं आ रही।


सेल आफ हो रहा है,पता नहीं।


2000 में ही भारत पेट्रोलियम का सेल आफ तय हो गया।आयल इंडिया और ओएनजीसी,कोल इंडिया,सेल,एसबीआई,एलआईसी,एअर इंडिया,रेलवे,डाक तार,सरकारी बिजली कंपनियों का विनिवेश जारी है,खुदै शिवजी के बाप को नहीं मालूम।


घात लगाकर कत्ल कर देने का नायाब तरीका है यह।


जाने माने कारपोरेट वकील हैं मान्यवर अरुण जेटली और आप उम्मीद कर रहे हैं कि वे विनिवेश और निजीकरण के रोडमैप खोलकर नाम पुकार पुकार कर कह देंगे कि कब किसका कत्ल होना है।


इसीतरह सब्सिडी खत्म करने का मामला है।


विनियंत्रण और विनियमन,एफडीआई और पीपीपी गुजरात माडल के बावजूद जो लोग अब भी सब्सिडी जारी रहने की खुशफहमी में हैं,वे फौरी करछूट से बल्ले बल्ले निम्न मध्यवर्गीय मौकापरस्त मानसिकता के लोगों से भी बुरी हालत में है कि किसी को नहीं मालूम कि इस मुक्त बाजार के तिलिस्म में जान माल इज्जत की गारंटी है ही नहीं।


रोजगार, आजीविका, नागरिकता, जल जंगल जमीन, नागरिक अधिकार मानवाधिकार के बदले हम सिर्फ भोग के लिए मरे जा रहे हैं।यह भोग पल पल कैसे दुर्भोग में तब्दील हो रहा है,उसका अंदाजा नहीं है।


टैक्स बचाने के फिराक में आप भी निवेशक बनने का विकल्प चुनते हुए सेनसेक्सी बाजार के आत्मगाती दुश्चक्र में फंसने वाले हैं और हश्र वहीं बीमा प्रीमियम का होना है।


मर गये तो वाह वाह,हो सकता है कि कवरेज का भुगतान हो गया,वरना क्या होता है,बीमा ग्राहक भुक्तभोगी जानते हैं।


यह जीरो बैलेंस मेडिकल इंश्योरेंश माध्यमे किडनी दान .या बिना प्रयोजने जांच पड़ताल डायगनोसिस और मेजर आपरेशन का खुल्ला खेल है।


कारपोरेट बिल्डर प्रोमोटर राज में आम आदमी की औकात क्या जो धेला भी जेब में बचा लें।


जेबकटी कला का यह चरमोत्कर्ष है।


हम शुरु से नागरिकता संशोधन कानून को मुक्त बाजार का टूल बता रहे हैं।यह समझने वाली है कि अंधाधुंध शहरीकरण,निरंकुश विस्थापन और जनसंख्या सफाये की इस आटोमेशन क्रांति से न कृषि उत्पादन बढ़ सकता है ,न औद्योगिक उत्पादन और न ही श्रमआधारित मैन्युफैक्चरिंग।


गधा भी समझता होगा कि फालतू घास का मतलब है बहुत ज्यादा कमरतोड़ बोझ।

टिइंसान की बुद्धि गधे से तेज है।


लेकिन गधा मौकापरस्त नहीं होता।इसीलिए पिटता है।गधा घोड़ा भी नहीं हो सकता।लेकिन इंसानों की मौजूदा नस्ल घोड़ा बनने की फिराक में है।


जिंदगी अब रेस है।इस रेस में जो आगे निकल जाये वही सिकंदर बाकी चुकंदर।


हम पहले ही लिख चुके हैं कि औद्योगिक क्रांति की उत्पादन प्रणाली में श्रम अनिवार्य है।मानवसंसाधन प्राकृतिक संसाधनों के बराबर है।इसीलिए औद्योगिक क्रांति के दरम्यान श्रमिक हितों की परवाह पूंजीवाद ने खूब की और इतनी की कि मजूर आंदोलनों को बदलाव का कोई मौका हाथ ही न लगे।


अब आटोमेशन तकनीनी क्रांति है।


मनुष्य फालतू है।


कंप्यूटर, तकनीक, मशीन,रोबोट ही आटोमेशन के आधार।


निजीकरण और एफडीआई,विनेवेश और पीपीपी की प्रासंगिकता यही है।


उद्योग और पूंजी में अच्छी मुद्रा के प्रचलन से बाहर हो जाने का समय है यह।


भारी विदेशी देशी पूंजी के आगे मंझोली और छोटी पूंजी का असहाय आत्मसमर्पण का समय है यह।


अभी बनिया पार्टी की धर्मोन्मादी सरकार छोटे कारोबारियों को केसरिया बनाने के बाद कभी भी खुदरा कारोबार में शत प्रतिशत एफडीआई का ऐसान कर सकती है कभी भी।


बहुमती स्थाई सरकार है।


विधानसभाओं के आसण्ण चुनावों में जनादेश लूटने के बाद खुल्ला मैदान है,फिर देखें कि सुधारो की सुनामी को कौन माई का लाल रोक लेता है।


इस आटोमेशल तकनीकी क्रांति में उद्योग कारोबार में लगे फालतू मनुष्यों के सफाये का एजंडा सबसे अहम है और इसीलिए औद्योगिक क्रांति के परिदृश्य में श्रमिक हितों के मद्देनजर पास तमाम कायदे कानून खत्म किये जाना है ताकि स्थाई सुरक्षित नौकरियों के बजाय असुरक्षित हायर फायर की तकनीकी क्रांति को मुकम्मल बानाया जा सकें।


अरुण जेटली ने कृषि उत्पादन,औद्योगिक उत्पादन और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उपाय किये हैं,मीडिया का यह प्रचार मिथ्या है।


शैतानी गलियारों और स्मार्ट सिटीज ही नहीं, सेज को भी पुन्जीवित किया गया है।


उद्यम के लिए तीन तीन साल की कर छूट,लेकिन छोटे उद्यमियों के लिए नहीं,कम से कम पच्चीस हजार करोड़ का निवेश कीजिये तब।


सेज के बारे में बहुत लिखा कहा गया है।उन्हें दोहराने की जरुरत नहीं है।


तो समझ लीजिये,खेतों,खलिहानों,वनों,नदियों,घाटियों यानि की शिखरों से लेकर समुंदर तक इस मिसाइली शहरीकरण के पीपीपी एफडीआई चाकचौबंद इंतजाम में कृषि का विकास कितना संभव है।


तो समझ लीजिये कि श्रम और मनावसंसाधनं के सफाये के साथ प्राकृतिक संशाधनों को एक मुशत् छिनाल विदेशी पूंजी और गुजरात माडल के हवाले करके आटोमेशन,अंग्रेजी और तकनीक बजरिये कैसे औद्योगीकरण होगा।


मैन्युफैक्चरिंग की तो कहिये ही मत।


सब्सिडी खत्म करने के लिए आधार असंवैधानिक योजना ऩागरिकता का पर्याय बना दिया गया और अब नई सरकार भगवा डिजिटल देश बनाने चली है और फिर वही बायोमेट्रिक डिजिटल अनिवार्यता से जुड़ी नागरिकता और अनिवार्य सेवाएं,जान माल की गारंटी।आधार योजना को खत्म करने के बजाय उसे बहुआयामी बनाया जा रहा है।


ठंडे बस्ते जाती दिखाई दे रही यूपीए सरकार की महत्वकांशी योजना 'आधार कार्ड' प्रॉजेक्ट को नई सरकार ने जारी रखने का फैसला किया है। चालू वित्त वर्ष में यूआईडी प्रॉजेक्ट के लिए 2,039 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

बुधवार को संसद में पेश बजट दस्तावेज में कहा गया है, 'यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा चलाए जा रहे यूनीक आइडेंटिटी प्रॉजेक्ट के लिए 2014-15 में 2,039.64 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।' पिछले फाइनैंशल इयर में इस प्रॉजेक्ट के लिए 1,550 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

यूआईडीएआई का गठन साल 2009 में किया गया था। इसका चेयरमैन नंदन नीलेकणि को बनाया गया था। यह अथॉरिटी प्लानिंग कमिशन के तहत आती है।



बकरे की अम्मा खैर मनाओ की कयामत जारी है।


बीबीसी के मुताबिक गुरुवार को पेश किए गए आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 योजनाओं के लिए सौ करोड़ रुपए की राशि देने का प्रस्ताव दिया. पेश है इन सौ करोड़ी योजनाओं की सूची.


1. जनजातियों के लिए 'वन बंधु कल्याण योजना'


2. 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना

3. 'स्टार्ट अप विलेज आंतरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम'

4. संचार संबद्ध संपर्क तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के रूप में वास्तविक कक्षाएं स्थापित करने के लिए सौ करोड़ की राशि का प्रस्ताव

5. 'सुशासन' के संवर्धन के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा जिसके लिए 100 करोड़ रुपए राशि अलग से रखने का प्रस्ताव

6. सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपए आबंटन का प्रस्ताव

स्कूली छात्रा

7. लखनऊ-अहमदाबाद में पीपीपी के तहत मेट्रो रेल स्थापित करने के लिए 100-100 करोड़ रुपए की राशि अलग से रखने का प्रस्ताव.

8. मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए 100 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि स्कूली शिक्षा विभाग को.

9. सौ करोड़ रुपए की राशि से असम और झारखंड में कृषि अनुसंधान संस्थानस्थापित किए जाएंगे.

10. कृषि प्रौद्योगिकी अवसरंचना निधि स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपए अलग से रखने का प्रस्ताव.

11. किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड देने की योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रस्ताव.

मदरसे की छात्रा

12. राष्ट्रीय अनुकूलन निधि स्थापित करने के लिए 100 करोड़ की राशि देने का प्रस्ताव.

13. किसान टीवी शुरू करने के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

14. राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा प्राधिकरण के लिए 100 करोड़ की प्रारंभिक निधि देने का प्रस्ताव.

15. अल्ट्रा मॉडर्न सुपर क्रिटिकल कोल आधारित ताप विद्युत प्रौद्योगिकी के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

16. नहरों के किनारे एक मेगावाट सौर पार्कों के विकास के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

17. प्रिंसेज पार्क में युद्ध स्मारक स्थापित करने के लिए 100 करोड़.

पवित्र गंगा

18. रक्षा प्रणाली के अनुसंधान और विकास में सहायक शैक्षिक और वैज्ञानिक संस्थाओं के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

19. राष्ट्रीय तीर्थस्थल पुनरोद्धार और अध्यात्मिक परिवर्धन कार्यक्रम शुरू करने के लिए 100 करोड़.

20. पुरातात्विक स्थलों के परिरक्षण के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

21. नदियों को जोड़ने की परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

22. नदियों के घाटों के विकास और केदारनाथ, हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, पटना और दिल्ली में घाटों के सैन्दर्यीकरण के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

23. मणिपुर में खेल विश्वविद्याल स्थापित करने के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

24. आगामी एशियाई खेलों में भारत की पुरुष और महिला खिलाड़ियों के प्रशिक्षणके लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

25. युवा रोजगार कार्यालयों को करियर केंद्रों के रूप में पुनर्गठित करने के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

26. युवाओं में नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए युवा नेतृत्व कार्यक्रम के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

27. हिमालय अध्यन के लिए उत्तराखंड में राष्ट्रीय केंद्र खोलने के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.

28. भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती के विकास के लिए 100 करोड़ देने का प्रस्ताव.



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